बिहार में करीब 20 सालों बाद सीएम नीतीश कुमार ने गृह विभाग छोड़ दिया। यह जिम्मेदारी भाजपा ने डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी को सौंपी। इनके कार्यभार संभालने के 24 घंटे में ताबड़तोड़ 2 एनकाउंटर हुए। इस पर चर्चा चल रही कि बिहार में भी अब योगी का यूपी पैटर्न लागू होगा। ऐसे में सवाल है कि अपराधियों पर भाजपा (योगी) का ‘यूपी पैटर्न’ क्या है? यूपी मॉडल की क्या खूबियां मानी जाती हैं? क्या छोटे-मोटे अपराध भी कम हुए? क्या इस मॉडल से लॉ एंड ऑर्डर लंबे समय तक सुधर सकता है? पढ़िए सारे सवालों के जवाब भास्कर एक्सप्लेनर में… पहले पढ़िए यूपी के दो बड़े एनकाउंटर केस 1- कानपुर के कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे को उज्जैन से कानपुर लाते समय 10 जुलाई, 2020 को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया। पुलिस के मुताबिक, ट्रांजिट के दौरान गाड़ी पलटने के बाद दुबे ने हथियार छीनकर भागने की कोशिश की। जवाबी कार्रवाई में ढेर हो गया। घटना से एक हफ्ते पहले विकास दुबे और उसके गैंग ने कानपुर के बिकरू गांव में दबिश देने गई पुलिस टीम पर हमला कर 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी। यह एनकाउंटर देशभर में सबसे चर्चित रहा। पुलिस कार्रवाई पर कई राजनीतिक और कानूनी सवाल उठे। मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में SIT ने की थी। केस 2- उमेश पाल हत्याकांड का मुख्य आरोपी और अतीक अहमद का बेटा असद अहमद 13 अप्रैल, 2023 को झांसी में यूपी एसटीएफ के एनकाउंटर में मार दिया गया। सीसीटीवी फुटेज में हथियार लेकर वारदात में शामिल दिखने के बाद वह लगभग 50 दिन तक फरार रहा। झांसी में एसटीएफ को उसकी लोकेशन की पुख्ता जानकारी मिली। इस एनकाउंटर को अतीक अहमद गैंग पर सबसे बड़ा झटका माना गया। 2 दिन बाद ही अतीक और अशरफ की भी हत्या हो गई। इससे मामला और हाई-प्रोफाइल बन गया। अपराधियों पर भाजपा का ‘यूपी पैटर्न’ क्या है?
यूपी में 2017 के बाद अपराध नियंत्रण को लेकर जिस मॉडल को भाजपा अपनी बड़ी उपलब्धि बताती है, उसे आमतौर पर ‘यूपी पैटर्न’ कहा जाता है। यह मॉडल तेज कार्रवाई, कठोर कानून और अपराधियों के नेटवर्क पर सीधी चोट जैसी रणनीतियों पर आधारित है। हालांकि, यूपी के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह बताते हैं- भाजपा माफिया और उनके विरोधियों पर की गई कार्रवाई को अपना ‘यूपी पैटर्न’ बताती है। पुलिस अपराधियों का इतिहास खंगाल कर कार्रवाई करती है। लेकिन जब भाजपा से जुड़े लोग पुलिस अधिकारियों या एसडीएम तक से मारपीट करते हैं, तो उन पर कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं होती। वहीं, रिटायर्ड IPS राजेश पांडेय का कहना है कि इसे भाजपा पैटर्न नहीं, ‘योगी मॉडल’ कहना अधिक उचित होगा। इस मॉडल की सबसे खास बात है- जीरो टॉलरेंस की नीति। राज्य सरकार की साफ चेतावनी है कि यूपी में किसी भी अपराधी को ढिलाई नहीं मिलेगी। इसके लिए कुख्यात अपराधियों की एक लिस्ट तैयार की गई है। गैंगस्टर एक्ट और एनएसए जैसे सख्त कानूनों का इस्तेमाल बढ़ा है। 1- महिलाओं से जुड़े अपराधों में प्राथमिकता
योगी सरकार अपने लॉ एंड ऑर्डर मॉडल में महिलाओं से जुड़े अपराधों को ‘टॉप प्रायोरिटी’ मानती है। महिलाओं की सुरक्षा को लेकर यूपी में पिछले सालों में कई अहम कदम उठाए गए। 2- एनकाउंटर-आधारित पुलिसिंग
यूपी मॉडल की सबसे पहचान वाली छवि मुठभेड़ों की संख्या में बढ़ोतरी रही। हाई-प्रोफाइल मामलों में पुलिस ने तेजी से कार्रवाई की। कई कुख्यात अपराधी एनकाउंटर में मारे गए। 3- माफिया की संपत्ति पर सीधा हमला
राज्य ने अपराधियों की अवैध संपत्तियों पर बड़ी कार्रवाई की। अतीक अहमद, मुख्तार अंसारी जैसे माफिया नेटवर्क पर अवैध निर्माण गिराने और संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई को सरकार मॉडल की सबसे बड़ी सफलता मानती है। 4- तेज पुलिस और प्रशासनिक एक्शन
हर जिले में स्पेशल टीमों की तैनाती, फरार अपराधियों की सार्वजनिक सूची और बड़े मामलों में त्वरित गिरफ्तारी, इस मॉडल की मुख्य विशेषताएं हैं। मुख्यमंत्री स्तर पर केसों की नियमित मॉनिटरिंग भी इसका हिस्सा है। यूपी पैटर्न का क्या असर हुआ? संगठित अपराध पर कड़ा हमला: माफिया गैंग, बाहुबली नेताओं और बड़े अपराधियों पर दर्जनों कार्रवाई, एनकाउंटर और संपत्ति जब्त की। तेज पुलिस रिस्पॉन्स: गंभीर अपराधों में पुलिस की प्रतिक्रिया समय पहले से तेज हुआ। महिलाओं संबंधी अपराधों में सख्ती: एंटी-रोमियो स्क्वॉड, फास्ट-ट्रैक जांच और त्वरित गिरफ्तारी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, माफिया नेटवर्क कमजोर हुए और कई बड़े गिरोह टूटे। पुलिसिंग में फियर ऑफ लॉ बढ़ा। हालांकि छोटे अपराधों- चोरी, महिला अपराध और साइबर फ्रॉड में गिरावट उतनी तेज नहीं दिखी। मॉडल पर मानवाधिकार और एनकाउंटर की वैधता को लेकर लगातार सवाल भी उठते रहे। क्या इससे छोटे अपराध कम हुए?
रिटायर्ड IPS राजेश कुमार पांडेय बताते हैं- योगी मॉडल ने बड़े अपराधों (गैंगस्टर, माफिया, संगठित अपराध) पर बहुत तेज असर डाला। लेकिन, छोटे अपराधों में गिरावट सीमित और आंशिक रही है। हाउस ब्रेकिंग, मोबाइल स्नैचिंग, छेड़छाड़, चोरी जैसे अपराध पूरी तरह कम नहीं हुए। इन अपराधों में स्थानीय पुलिस की एक्टिव पेट्रोलिंग, बीट सिस्टम और त्वरित FIR की भूमिका ज्यादा होती है, जो हर जिले में एक जैसा मजबूत नहीं। वहीं, यूपी के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह का कहना है कि अपराध कम नहीं हुए, बल्कि थानों में अपराध दर्ज नहीं हो रहे। इसलिए कुछ आकलन भी नहीं हो सकता है। क्या इस मॉडल से लॉ एंड ऑर्डर लंबे समय तक सुधर सकता है?
पूर्व DGP एके जैन के अनुसार, यूपी में लॉ एंड ऑर्डर में लगातार सुधार देखा जा रहा। योगी आदित्यनाथ के दूसरे कार्यकाल में भी अपराध के खिलाफ लगातार सख्त कार्रवाई हो रही। इस मॉडल को नकारा नहीं जा सकता। क्योंकि यह दिखाता है कि लगातार, संस्थागत और टारगेटेड एक्शन से लंबे समय तक कानून-व्यवस्था में सुधार संभव है। उनका दावा है कि योगी मॉडल की वजह से पुलिस को फ्री-हैंड, अपराधियों पर स्ट्रॉन्ग पॉलिसी, और संगठित अपराध पर सिस्टमेटिक क्रैक-डाउन मिला है। यह लंबे समय तक असर दिखा सकता है। पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह के अनुसार, योगी सरकार का कानून-व्यवस्था मॉडल अधिकारियों के मुताबिक बेहद प्रभावी साबित हुआ है। इसकी सबसे बड़ी ताकत यह बताई जाती है कि कार्रवाई सिर्फ दिखावे तक सीमित नहीं, बल्कि कानूनी और आर्थिक दोनों स्तरों पर दबाव बनाया गया। योगी सरकार के कानून-व्यवस्था मॉडल में यूपी गैंगस्टर एक्ट की धारा 14 को सबसे प्रभावी हथियार माना जा रहा। इस धारा के तहत अपराधियों की चल-अचल संपत्तियां कुर्क की गईं। माफिया का ‘अंत’ सिर्फ गिरफ्तारी से नहीं, बल्कि उनके आर्थिक साम्राज्य को तोड़कर किया गया। एटीएस और एसटीएफ को उच्च गुणवत्ता के हथियार, आधुनिक तकनीक और स्पेशल ट्रेनिंग दी गई। पुलिस बल में बड़ी संख्या में भर्तियां कर फोर्स की क्षमता बढ़ाई गई। तेज और प्रो-एक्टिव पुलिसिंग
मजबूत केस तैयार कर अदालत से अपराधियों को सजा दिलाना मॉडल की बड़ी उपलब्धि माना जाता है। इसी प्रो-एक्टिव पुलिसिंग से कई गैंगस्टरों की पकड़ कमजोर हुई। हालांकि पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह का कहना है कि इस मॉडल का दूरगामी असर पॉजिटिव नहीं दिखता है। बल्कि इसका खराब प्रभाव पड़ सकता है। कहा जा रहा है कि पुलिस व्यवस्था के भीतर जिस तरह की आपराधिक मानसिकता और अनियमितताएं बढ़ी हैं, उन्हें ठीक करने में लंबा समय लगेगा। लॉ एंड ऑर्डर केवल एनकाउंटर या कड़े एक्शन से नहीं सुधरता। इसके लिए पुलिस सुधार, पारदर्शिता और जवाबदेही की जरूरत होती है। यह अभी कमजोर दिखाई देती है। यूपी मॉडल या योगी मॉडल की खूबियां क्या मानी जाती हैं?
रिटायर्ड आईपीएस राजेश कुमार पांडेय बताते हैं- योगी मॉडल से ही राज्य में माफिया के आतंक पर रोक लगी है। अपराध कम हुए हैं। इसकी कई सारी खूबी हैं। इसके वजह से ही अपराधियों और माफिया के खिलाफ कार्रवाई में देरी नहीं होती है। तुरंत गिरफ्तारी, चार्जशीट और कोर्ट में तेजी से पेशी को इसकी बड़ी ताकत माना जाता है। हालांकि, पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह इस मॉडल में किसी खूबी को नहीं देखते। उनके अनुसार, जिसे यूपी मॉडल कहा जा रहा है, वह मूलरूप से दिखावटी एक्शन पर आधारित है, न कि वास्तविक सुधारों पर। सुलखान सिंह का कहना है कि इस मॉडल में कानून व्यवस्था सुधारने की ठोस रणनीति नहीं है। एनकाउंटर या सख्त कार्रवाई की छवि तो बनती है, लेकिन सिस्टम के अंदरूनी सुधार नहीं किए जाते। पुलिस की जवाबदेही, प्रशिक्षण, पारदर्शिता और संवेदनशीलता जैसे असली मुद्दे पीछे छूट जाते हैं। यह मॉडल लंबी अवधि के परिणाम नहीं देता, क्योंकि इसमें संस्थागत सुधारों की कमी है। पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह का कहना है कि किसी भी प्रदेश का लॉ एंड ऑर्डर तभी बेहतर होता है, जब पुलिस व्यवस्था पेशेवर, निष्पक्ष और पारदर्शी हो। यूपी मॉडल इन मूलभूत सिद्धांतों को मजबूत करने में नाकाम रहा है। ————————– ये खबर भी पढ़ें… यूपी में BLO रोती रही, बेटा चुप कराता रहा, बोलीं- SIR के लिए रात 3 बजे लोग फोन करते हैं ‘रात में 3 बजे लोगों की कॉल आती है। विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) फॉर्म को लेकर सवाल पूछा जाता है। रोज 200-300 फॉर्म करवाओ, फील्ड में जाओ। कई बार घर जाओ, तो लोग दरवाजा नहीं खोलते। जो खोलते हैं, वो कहते हैं तुम ही भरो, ये तुम्हारा काम है।’ यह दर्द शिक्षामित्र शिप्रा मौर्या का है। उन्हें बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) बनाया गया है। पढ़िए पूरी खबर…
यूपी में 2017 के बाद अपराध नियंत्रण को लेकर जिस मॉडल को भाजपा अपनी बड़ी उपलब्धि बताती है, उसे आमतौर पर ‘यूपी पैटर्न’ कहा जाता है। यह मॉडल तेज कार्रवाई, कठोर कानून और अपराधियों के नेटवर्क पर सीधी चोट जैसी रणनीतियों पर आधारित है। हालांकि, यूपी के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह बताते हैं- भाजपा माफिया और उनके विरोधियों पर की गई कार्रवाई को अपना ‘यूपी पैटर्न’ बताती है। पुलिस अपराधियों का इतिहास खंगाल कर कार्रवाई करती है। लेकिन जब भाजपा से जुड़े लोग पुलिस अधिकारियों या एसडीएम तक से मारपीट करते हैं, तो उन पर कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं होती। वहीं, रिटायर्ड IPS राजेश पांडेय का कहना है कि इसे भाजपा पैटर्न नहीं, ‘योगी मॉडल’ कहना अधिक उचित होगा। इस मॉडल की सबसे खास बात है- जीरो टॉलरेंस की नीति। राज्य सरकार की साफ चेतावनी है कि यूपी में किसी भी अपराधी को ढिलाई नहीं मिलेगी। इसके लिए कुख्यात अपराधियों की एक लिस्ट तैयार की गई है। गैंगस्टर एक्ट और एनएसए जैसे सख्त कानूनों का इस्तेमाल बढ़ा है। 1- महिलाओं से जुड़े अपराधों में प्राथमिकता
योगी सरकार अपने लॉ एंड ऑर्डर मॉडल में महिलाओं से जुड़े अपराधों को ‘टॉप प्रायोरिटी’ मानती है। महिलाओं की सुरक्षा को लेकर यूपी में पिछले सालों में कई अहम कदम उठाए गए। 2- एनकाउंटर-आधारित पुलिसिंग
यूपी मॉडल की सबसे पहचान वाली छवि मुठभेड़ों की संख्या में बढ़ोतरी रही। हाई-प्रोफाइल मामलों में पुलिस ने तेजी से कार्रवाई की। कई कुख्यात अपराधी एनकाउंटर में मारे गए। 3- माफिया की संपत्ति पर सीधा हमला
राज्य ने अपराधियों की अवैध संपत्तियों पर बड़ी कार्रवाई की। अतीक अहमद, मुख्तार अंसारी जैसे माफिया नेटवर्क पर अवैध निर्माण गिराने और संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई को सरकार मॉडल की सबसे बड़ी सफलता मानती है। 4- तेज पुलिस और प्रशासनिक एक्शन
हर जिले में स्पेशल टीमों की तैनाती, फरार अपराधियों की सार्वजनिक सूची और बड़े मामलों में त्वरित गिरफ्तारी, इस मॉडल की मुख्य विशेषताएं हैं। मुख्यमंत्री स्तर पर केसों की नियमित मॉनिटरिंग भी इसका हिस्सा है। यूपी पैटर्न का क्या असर हुआ? संगठित अपराध पर कड़ा हमला: माफिया गैंग, बाहुबली नेताओं और बड़े अपराधियों पर दर्जनों कार्रवाई, एनकाउंटर और संपत्ति जब्त की। तेज पुलिस रिस्पॉन्स: गंभीर अपराधों में पुलिस की प्रतिक्रिया समय पहले से तेज हुआ। महिलाओं संबंधी अपराधों में सख्ती: एंटी-रोमियो स्क्वॉड, फास्ट-ट्रैक जांच और त्वरित गिरफ्तारी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, माफिया नेटवर्क कमजोर हुए और कई बड़े गिरोह टूटे। पुलिसिंग में फियर ऑफ लॉ बढ़ा। हालांकि छोटे अपराधों- चोरी, महिला अपराध और साइबर फ्रॉड में गिरावट उतनी तेज नहीं दिखी। मॉडल पर मानवाधिकार और एनकाउंटर की वैधता को लेकर लगातार सवाल भी उठते रहे। क्या इससे छोटे अपराध कम हुए?
रिटायर्ड IPS राजेश कुमार पांडेय बताते हैं- योगी मॉडल ने बड़े अपराधों (गैंगस्टर, माफिया, संगठित अपराध) पर बहुत तेज असर डाला। लेकिन, छोटे अपराधों में गिरावट सीमित और आंशिक रही है। हाउस ब्रेकिंग, मोबाइल स्नैचिंग, छेड़छाड़, चोरी जैसे अपराध पूरी तरह कम नहीं हुए। इन अपराधों में स्थानीय पुलिस की एक्टिव पेट्रोलिंग, बीट सिस्टम और त्वरित FIR की भूमिका ज्यादा होती है, जो हर जिले में एक जैसा मजबूत नहीं। वहीं, यूपी के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह का कहना है कि अपराध कम नहीं हुए, बल्कि थानों में अपराध दर्ज नहीं हो रहे। इसलिए कुछ आकलन भी नहीं हो सकता है। क्या इस मॉडल से लॉ एंड ऑर्डर लंबे समय तक सुधर सकता है?
पूर्व DGP एके जैन के अनुसार, यूपी में लॉ एंड ऑर्डर में लगातार सुधार देखा जा रहा। योगी आदित्यनाथ के दूसरे कार्यकाल में भी अपराध के खिलाफ लगातार सख्त कार्रवाई हो रही। इस मॉडल को नकारा नहीं जा सकता। क्योंकि यह दिखाता है कि लगातार, संस्थागत और टारगेटेड एक्शन से लंबे समय तक कानून-व्यवस्था में सुधार संभव है। उनका दावा है कि योगी मॉडल की वजह से पुलिस को फ्री-हैंड, अपराधियों पर स्ट्रॉन्ग पॉलिसी, और संगठित अपराध पर सिस्टमेटिक क्रैक-डाउन मिला है। यह लंबे समय तक असर दिखा सकता है। पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह के अनुसार, योगी सरकार का कानून-व्यवस्था मॉडल अधिकारियों के मुताबिक बेहद प्रभावी साबित हुआ है। इसकी सबसे बड़ी ताकत यह बताई जाती है कि कार्रवाई सिर्फ दिखावे तक सीमित नहीं, बल्कि कानूनी और आर्थिक दोनों स्तरों पर दबाव बनाया गया। योगी सरकार के कानून-व्यवस्था मॉडल में यूपी गैंगस्टर एक्ट की धारा 14 को सबसे प्रभावी हथियार माना जा रहा। इस धारा के तहत अपराधियों की चल-अचल संपत्तियां कुर्क की गईं। माफिया का ‘अंत’ सिर्फ गिरफ्तारी से नहीं, बल्कि उनके आर्थिक साम्राज्य को तोड़कर किया गया। एटीएस और एसटीएफ को उच्च गुणवत्ता के हथियार, आधुनिक तकनीक और स्पेशल ट्रेनिंग दी गई। पुलिस बल में बड़ी संख्या में भर्तियां कर फोर्स की क्षमता बढ़ाई गई। तेज और प्रो-एक्टिव पुलिसिंग
मजबूत केस तैयार कर अदालत से अपराधियों को सजा दिलाना मॉडल की बड़ी उपलब्धि माना जाता है। इसी प्रो-एक्टिव पुलिसिंग से कई गैंगस्टरों की पकड़ कमजोर हुई। हालांकि पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह का कहना है कि इस मॉडल का दूरगामी असर पॉजिटिव नहीं दिखता है। बल्कि इसका खराब प्रभाव पड़ सकता है। कहा जा रहा है कि पुलिस व्यवस्था के भीतर जिस तरह की आपराधिक मानसिकता और अनियमितताएं बढ़ी हैं, उन्हें ठीक करने में लंबा समय लगेगा। लॉ एंड ऑर्डर केवल एनकाउंटर या कड़े एक्शन से नहीं सुधरता। इसके लिए पुलिस सुधार, पारदर्शिता और जवाबदेही की जरूरत होती है। यह अभी कमजोर दिखाई देती है। यूपी मॉडल या योगी मॉडल की खूबियां क्या मानी जाती हैं?
रिटायर्ड आईपीएस राजेश कुमार पांडेय बताते हैं- योगी मॉडल से ही राज्य में माफिया के आतंक पर रोक लगी है। अपराध कम हुए हैं। इसकी कई सारी खूबी हैं। इसके वजह से ही अपराधियों और माफिया के खिलाफ कार्रवाई में देरी नहीं होती है। तुरंत गिरफ्तारी, चार्जशीट और कोर्ट में तेजी से पेशी को इसकी बड़ी ताकत माना जाता है। हालांकि, पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह इस मॉडल में किसी खूबी को नहीं देखते। उनके अनुसार, जिसे यूपी मॉडल कहा जा रहा है, वह मूलरूप से दिखावटी एक्शन पर आधारित है, न कि वास्तविक सुधारों पर। सुलखान सिंह का कहना है कि इस मॉडल में कानून व्यवस्था सुधारने की ठोस रणनीति नहीं है। एनकाउंटर या सख्त कार्रवाई की छवि तो बनती है, लेकिन सिस्टम के अंदरूनी सुधार नहीं किए जाते। पुलिस की जवाबदेही, प्रशिक्षण, पारदर्शिता और संवेदनशीलता जैसे असली मुद्दे पीछे छूट जाते हैं। यह मॉडल लंबी अवधि के परिणाम नहीं देता, क्योंकि इसमें संस्थागत सुधारों की कमी है। पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह का कहना है कि किसी भी प्रदेश का लॉ एंड ऑर्डर तभी बेहतर होता है, जब पुलिस व्यवस्था पेशेवर, निष्पक्ष और पारदर्शी हो। यूपी मॉडल इन मूलभूत सिद्धांतों को मजबूत करने में नाकाम रहा है। ————————– ये खबर भी पढ़ें… यूपी में BLO रोती रही, बेटा चुप कराता रहा, बोलीं- SIR के लिए रात 3 बजे लोग फोन करते हैं ‘रात में 3 बजे लोगों की कॉल आती है। विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) फॉर्म को लेकर सवाल पूछा जाता है। रोज 200-300 फॉर्म करवाओ, फील्ड में जाओ। कई बार घर जाओ, तो लोग दरवाजा नहीं खोलते। जो खोलते हैं, वो कहते हैं तुम ही भरो, ये तुम्हारा काम है।’ यह दर्द शिक्षामित्र शिप्रा मौर्या का है। उन्हें बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) बनाया गया है। पढ़िए पूरी खबर…