यूपी में कोहरे से बढ़े सड़क हादसे:6 जिलों में शून्य,10 जिलों में 50 मीटर से कम विजिबिलिटी; जानिए क्यों बढ़ी धुंध?

यूपी में शीतलहर और पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी का असर मैदानी इलाकों में साफ दिखने लगा है। ठंडी हवाओं की वजह से तापमान तेजी से गिरा है। 16 दिसंबर की सुबह न्यूनतम तापमान (6.6 डिग्री सेल्सियस) इटावा में दर्ज किया गया। वहीं, आगरा, प्रयागराज, बरेली और मुरादाबाद में विजिबिलिटी लगभग शून्य दर्ज की गई। इसके चलते सड़कों पर 10 मीटर तक देख पाना भी मुश्किल हो गया। मौसम विभाग के मुताबिक, 6 जिलों में जीरो विजिबिलिटी और 10 जिलों में 50 से कम विजिबिलिटी दर्ज की गई। घने कोहरे के चलते सड़क हादसों में भी इजाफा हुआ है। 16 दिसंबर को ही मथुरा में यमुना एक्सप्रेस-वे पर कोहरे के कारण भीषण सड़क दुर्घटना हुई। इसमें 7 बसें और 3 कारें आपस में टकरा गईं। इस हादसे में 13 लोगों की मौत हो गई। इसके अलावा प्रदेश के अलग-अलग जिलों में कोहरे की वजह से 6 और सड़क हादसे सामने आए। यूपी में अचानक कोहरा (धुंध) बढ़ने का कारण क्या है? कोहरा बनता कैसे है? एक्सप्रेस-वे पर कोहरे की स्थिति क्या है? विजिबिलिटी मापने का तरीका क्या है? क्या हादसों की मुख्य वजह कोहरा ही है? इन सारे सवालों के जवाब पढ़िए… सबसे पहले जानिए कोहरा-धुंध क्या है? हवा में मौजूद पानी की भाप जब जमीन के पास ही बहुत छोटी बूंदों में बदल जाती है और बादल की तरह फैल जाती है, तो उसे कोहरा कहते हैं। यह जमीन की सतह के ठीक ऊपर रहता है। जब कोहरा बहुत घना होता है, तो सामने की चीजें साफ दिखाई नहीं देतीं। ऐसी स्थिति में दृश्यता एक किलोमीटर से भी कम हो जाती है। दूर की वस्तुएं धुंधली नजर आने लगती हैं। कोहरा-कुहासा में अंतर, विजिबिलिटी होती क्या है? मौसम वैज्ञानिक मोहम्मद दानिश के अनुसार, कोहरा और कुहासा दोनों ही हवा में नमी से बनते हैं। लेकिन इनकी घनता और असर अलग-अलग होता है। कोहरा बहुत घना होता है। सामने की चीजें साफ दिखाई नहीं देतीं। कुहासा हल्का होता है। इसमें धुंधली-धुंधली चीजें दिखाई देती हैं। जहां तक विजिबिलिटी की बात है, तो आसान शब्दों में कहें तो ये बस उतना ही है कि आप कितनी दूर तक देख पा रहे हैं। लेकिन, इसकी वैज्ञानिक भाषा भी है, जो मौसम विभाग ने तय कर रखी है। मौसम विभाग के मुताबिक, विजिबिलिटी का मतलब है, दिन के समय कोई व्यक्ति खुली आंखों से कितनी दूर तक डार्क ऑब्जेक्ट को देख पा रहा। इसी तरह रात के समय कोई व्यक्ति खुली आंखों से कितनी दूर तक कितने लाइट ऑब्जेक्ट को देख पा रहा। विजिबिलिटी मापने का तरीका​​​​​​ क्या है? एक्सपर्ट्स बताते हैं- विजिबिलिटी कितनी है, इसको मापने के लिए एक खास तरह का इंस्ट्रूमेंट होता है। मौसम विभाग दृष्टि नाम की डिवाइस का इस्तेमाल करता है। इसे एयरपोर्ट पर लगाया जाता है। इसके जरिए होरिजेंटल विजिबिलिटी मापी जाती है, यानी सामने की तरफ। इससे पता लगाया जाता है कि सामने की तरफ कितनी दूर तक देख पा रहे। यूपी में कोहरे की मौजूदा स्थिति क्या है? स्काईमेट वेदर के वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक डॉ. महेश पलावत के मुताबिक, 13 और 14 दिसंबर को पूर्वी हवाएं चल रही थीं। भले ही इनकी रफ्तार कम थी, लेकिन इनके प्रभाव से वातावरण में नमी काफी बढ़ गई। उस दौरान तापमान भी कम था और हवाएं कमजोर थीं। कम तापमान, ज्यादा नमी और कमजोर हवाएं- ये तीनों कोहरा बनने के लिए अनुकूल परिस्थितियां होती हैं। इसी वजह से 15 दिसंबर को कोहरा काफी घना देखने को मिला। 16 दिसंबर को हवाओं की दिशा बदल गई। अब वे पश्चिम दिशा से चल रही हैं। हवाओं की रफ्तार भी बढ़कर करीब 14 से 15 किलोमीटर प्रति घंटा हो गई है। इसके चलते राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली की ओर बना कोहरा अब खिसककर उत्तर प्रदेश, खासकर पूर्वी उत्तर प्रदेश की तरफ शिफ्ट हो गया है। मौसम वैज्ञानिक मोहम्मद दानिश बताते हैं- यूपी में इस समय कोहरे का असर तेजी से बढ़ा है। सुबह और देर रात के घंटों में कई जिलों में घना से बहुत घना कोहरा देखने को मिल रहा है। हालांकि, सुबह के समय ज्यादातर इलाकों में हल्के से मध्यम कोहरे की स्थिति है। पश्चिमी और मध्य यूपी के कई जिलों में घना कोहरा, कहीं-कहीं विजिबिलिटी बेहद कम है। कुछ शहरों में विजिबिलिटी 10-50 मीटर तक सिमट रही है वहीं सड़क, रेल और हवाई यातायात पर असर पड़ रहा है। साथ ही मौसम शुष्क बना हुआ है, बारिश की कोई संभावना नहीं है। एनवायरमेंट एक्सपर्ट प्रो. अजय आर्य बताते हैं- अभी जो दिख रहा है, वो फॉग और प्रदूषण का मिश्रण है। इसे कुहासा नहीं कहा जा सकता। फिलहाल तापमान इतना कम नहीं हुआ कि इसे प्राकृतिक कुहासा माना जाए। अभी ओस भी ज्यादा नहीं गिर रही। अनुमान है, 25 दिसंबर के बाद ओस गिरनी शुरू होगी। वहीं थोड़ी हवा चलने पर यह धुंध कम हो जाएगी और मौसम धीरे-धीरे साफ होने लगेगा। मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक, 16 से 20 दिसंबर के बीच यूपी में मौसम शुष्क रहने की संभावना है। इस दौरान सुबह के वक्त हल्के से मध्यम, जबकि कुछ जगहों पर घना कोहरा देखने को मिल सकता है। बारिश की फिलहाल कोई संभावना नहीं जताई गई है। यूपी में क्यों होता है इतना है कोहरा? मौसम वैज्ञानिक मोहम्मद दानिश बताते हैं- राज्य के मैदानी इलाकों में नमी अधिक, तापमान कम और हवाएं धीमी होने की वजह से कोहरा लगातार बढ़ रहा। गंगा-यमुना के मैदान, नदियों की नमी और हिमालय से आने वाली ठंडी हवाओं के कारण प्रदेश के कई जिलों में सुबह के समय विजिबिलिटी बेहद कम हो रही है। कई इलाकों में विजिबिलिटी 10-50 मीटर तक सीमित है। वहीं, भारी वाहनों और ट्रैफिक के चलते सड़क हादसों की संख्या में भी इजाफा देखा जा रहा। पश्चिमी विक्षोभ और प्रदूषण भी कोहरे को और घना बना रहे। प्रदेश के कई जिलों में यलो और ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। यलो अलर्ट तब जारी किया जाता है, जब दृश्यता 200 से 500 मीटर के बीच होती है। वहीं, ऑरेंज अलर्ट तब जारी होता है, जब कोहरा खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है। विजिबिलिटी 50 से 200 मीटर या उससे कम होती है। एक्सप्रेस-वे पर कोहरा ज्यादा नजर क्यों आता है? स्काईमेट वेदर के वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक डॉ. महेश पलावत बताते हैं- यूपी में एक्सप्रेस-वे और खुले मैदानों में कोहरे का असर आम इलाकों की तुलना में ज्यादा देखा जा रहा। खुले क्षेत्रों में जमीन जल्दी ठंडी हो जाती है और उसके ऊपर की हवा भी ठंडी हो जाती है। हवा में मौजूद नमी ठंडी सतह के संपर्क में आते ही संघनित होकर घना कोहरा बनाती है। वहीं, हवा की गति भी कोहरे की घनता पर असर डालती है। जहां हवा तेज चलती है, वहां नमी फैल जाती है और कोहरा हल्का रहता है। जबकि धीमी या शांत हवा वाले क्षेत्रों में नमी जमीन के पास जमा होकर कोहरा ज्यादा घना बनाती है।इस वजह से प्रदेश के पूर्वी और पश्चिमी जिलों में कोहरे की स्थिति अलग-अलग देखी जा रही है। गाड़ी चलाने के लिए कितनी विजिबिलिटी होनी चाहिए? डॉ. महेश पलावत बताते हैं- कि सुरक्षित गाड़ी चलाने के लिए कम से कम 100-200 मीटर विजिबिलिटी होनी चाहिए। हाईवे और एक्सप्रेस-वे पर यह दूरी 200-300 मीटर तक होनी जरूरी है। अगर विजिबिलिटी 50-100 मीटर से कम हो, तो वाहन चालकों को धीरे चलाने या सुरक्षित स्थान पर गाड़ी रोकने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा, कोहरे में लो बीम हेडलाइट और फॉग लाइट का इस्तेमाल करना भी जरूरी है। हाई बीम लाइट से बचना चाहिए। अभी घना कोहरा क्यों पड़ रहा? एक्सपर्ट बताते हैं, हाल के दिनों में चली पूर्वी हवाओं के चलते वातावरण में नमी काफी बढ़ गई है। वहीं, रात और सुबह के समय तापमान में गिरावट दर्ज की जा रही है। इसके साथ ही हवाओं की रफ्तार कमजोर रहने से नमी एक जगह जमा हो गई, जिससे कोहरा और घना हो गया। खुले इलाकों और एक्सप्रेस-वे पर जमीन तेजी से ठंडी हो रही है। इससे जमीन के पास की हवा भी ठंडी होकर नमी को सूक्ष्म बूंदों में बदल रही है, जो घने कोहरे का कारण बन रही है। इसके अलावा हवा में मौजूद धूल और प्रदूषण के कण भी कोहरे को और गाढ़ा बना रहे हैं। मौसम विभाग का कहना है कि जब तक नमी बनी रहेगी और हवाओं की गति कम रहेगी, तब तक सुबह के समय घना कोहरा छाए रहने की संभावना है। नागरिकों को सतर्क रहने और सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। कोहरे में सड़क हादसे क्यों बढ़ जाते हैं? घने कोहरे के दौरान सड़क हादसों में बढ़ोतरी की सबसे बड़ी वजह विजिबिलिटी का अचानक कम हो जाना है। जब सामने का रास्ता साफ नजर नहीं आता, तो वाहन चालकों को समय पर ब्रेक लगाने या दिशा बदलने का मौका नहीं मिल पाता। कोहरे में कई बार 10-20 मीटर से आगे कुछ दिखाई नहीं देता। इसके बावजूद कुछ चालक सामान्य रफ्तार से वाहन चलाते हैं, जिससे खतरा बढ़ जाता है। वहीं, हेडलाइट का गलत इस्तेमाल- खासकर हाई बीम लाइट- रोशनी को कोहरे से टकराकर आंखों में वापस भेज देती है, जिससे देखने की क्षमता और घट जाती है। इसके अलावा, सड़क के डिवाइडर, लेन मार्किंग और साइन बोर्ड धुंधले हो जाते हैं। सुबह के समय नींद या थकान की स्थिति में ड्राइविंग करना भी हादसों की आशंका बढ़ा देता है। हाईवे और एक्सप्रेस-वे पर अचानक ब्रेक लगने से एक के बाद एक कई वाहन टकरा जाते हैं, जिससे बड़े हादसे हो जाते हैं। मोहम्मद दानिश बताते हैं कि कोहरे में धीमी गति, सुरक्षित दूरी और सही लाइट का इस्तेमाल ही सड़क हादसों से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है। यूपी में एक्सप्रेसवे पर कोहरे की स्थिति क्या है? मौसम वैज्ञानिक मोहम्मद दानिश बताते हैं- यूपी में घने कोहरे का असर लगभग सभी प्रमुख एक्सप्रेस-वे पर देखने को मिल रहा। सुबह और देर रात के समय दृश्यता बेहद कम होने से यातायात प्रभावित है। अधिकतर एक्सप्रेस-वे पर सुबह के समय घना से बहुत घना कोहरा मिल रहा। वहीं कई हिस्सों में विजिबिलिटी 10 से 50 मीटर तक सिमटी है। खुले और समतल इलाके होने के कारण एक्सप्रेस-वे पर कोहरा ज्यादा देर तक टिक रहा। —————————– ये खबर भी पढ़ें… मथुरा में 8 बसें-3 कारें टकराईं, 13 जिंदा जले, शरीर के टुकड़े 17 पॉलिथीन में ले गए; एक्सप्रेस-वे पर हादसा मथुरा में यमुना एक्सप्रेस-वे पर कोहरे के चलते 8 बसें और 3 कारें भिड़ गईं। टक्कर होते ही गाड़ियों में आग लग गई। भाजपा नेता समेत 13 लोगों की जलकर मौत हो गई। 70 लोग घायल हैं। मरने वालों का आंकड़ा और भी बढ़ सकता है, क्योंकि बसों में कटे हुए अंग मिले हैं। पुलिस ने इन्हें 17 पॉलिथीन बैग में भरकर ले गई है। अब डीएनए टेस्ट से इनकी पहचान की जाएगी। पढ़िए पूरी खबर…