रेप पीड़ित परिवार ने कुलदीप सेंगर को बनाया था प्रधान:बाद में घर छोड़ना पड़ा, दोस्ती से दुश्मनी तक उन्नाव केस की पूरी कहानी

उन्नाव का बहुचर्चित रेप केस…। बीजेपी के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को आजीवन कारावास की सजा हुई। वह करीब 7 साल जेल में रहा। अब दिल्ली हाईकोर्ट ने सजा सस्पेंड कर दी है। इस फैसले के बाद पीड़ित दिल्ली में इंडिया गेट के सामने अपनी मां के साथ धरने पर बैठ गई। पीड़ित का कहना है कि कुलदीप अगर बाहर आएगा तो मुझे और मेरे परिवार के बचे हुए लोगों को मार देगा। कभी ये दोनों परिवार साथ थे। कुलदीप को गांव का प्रधान बनाया। साथ उठते-बैठते थे। फिर अचानक दूरियां आ गईं। पहले झगड़ा हुआ। फिर रेप। कुलदीप और उसके भाइयों ने पीड़िता के पिता को पुलिस कस्टडी में ही मरवा दिया। पीड़िता की चाची और मौसी की एक एक्सीडेंट में मौत हो गई। जिस ट्रक ने टक्कर मारी, उसकी नंबर प्लेट पर कालिख पुता था। जैसे-तैसे वो वक्त आया, जब पीड़ित को न्याय मिला। कुलदीप को ताउम्र जेल में रहने की सजा मिली। लेकिन यह जितना आसान मामला दिखता है, उतना है नहीं। आइए आज इस मामले को एक तरफ से समझते हैं… 2000 के पंचायत चुनाव में कुलदीप प्रधान बना
उन्नाव जिला मुख्यालय से करीब 18 किलोमीटर दूर माखी गांव है। लखनऊ से इस गांव की दूरी 63 किलोमीटर है। गांव बड़ा है, आबादी 10 हजार से ज्यादा है। इसी गांव में कुलदीप सिंह सेंगर का घर है। कुलदीप के घर से करीब 100 मीटर की दूरी पर पीड़ित लड़की का भी घर है। आज से 25 साल पहले दोनों ही परिवारों में कोई विवाद नहीं था। पीड़िता के पिता और चाचा अक्सर कुलदीप के घर आते थे। कुलदीप के भाई मनोज उर्फ लंकेश और अतुल का भी पीड़िता के घर आना जाना था। साल 2000 से पहले गांव में तय हुआ कि इस बार कुलदीप सिंह को गांव का प्रधान बनाया जाएगा। सभी एकमत हुए। पीड़ित के पिता और चाचा ने भी कुलदीप के लिए वोट मांगा। लेकिन चुनाव के दौरान ही आपस में विवाद हो गया। पीड़ित के चाचा ने कुलदीप के भाई अतुल पर हमला बोल दिया। अतुल की पिटाई हुई। इस मामले पर कुलदीप ने पीड़ित के चाचा पर अतुल को जान से मारने का मुकदमा दर्ज करवाया। इसी मामले के बाद से दोनों परिवारों में खटास बढ़ने लगी। कुलदीप पॉवरफुल हुआ, फिर अत्याचार शुरू किया
कुलदीप प्रधानी का चुनाव जीत गया। कुलदीप ने इसके बाद सियासी लोगों से मुलाकातें शुरू की। इसका असर यह हुआ कि 2002 में उसे बसपा ने टिकट दे दिया। कुलदीप उन्नाव की सदर सीट से चुनाव जीतकर विधायक बन गया। यहां से उसका रसूख बढ़ने लगा। 2005 में उसने अपने रसूख का इस्तेमाल करके छोटे भाई मनोज सिंह उर्फ लंकेश को मियागंज का ब्लॉक प्रमुख बनवा दिया। 2007 में उसने सपा जॉइन कर ली। बांगरमऊ से विधायक बना। 2012 में भगवंतनगर की सीट से विधायक बन गया। पिछले 15 सालों में स्थिति एकदम पलट चुकी थी। अब कुलदीप प्रदेश के बड़े नेताओं में गिना जाने लगा। दूसरी तरफ पीड़ित का परिवार आर्थिक रूप से कमजोर होता चला गया। पीड़ित के चाचा दिल्ली में रहते हैं, वहीं उनका अपना बिजनेस था। गांव आते तो अब कुलदीप का अलग लेवल नजर आता था। दोनों परिवारों के बीच पहले से भी विवाद था, बीच में फिर से हुआ। इस बार कुलदीप के भाइयों ने पीड़ित के पिता को पीट दिया। पिता को पेड़ में बांधकर पीटा और मुकदमा भी दर्ज करवाया
4 जून 2017 की बात है। पीड़ित लड़की, कुलदीप के घर गई थी। साथ में परिवार की एक और लड़की थी। दोनों कुलदीप के घर पहुंचे तो वह लड़की कहीं चली गई। पीड़ित कहती है, सेंगर ने मेरा हाथ खींचा, मैंने विरोध किया तो धमकी दी कि चुप रहो नहीं तो पूरे परिवार को मरवा दूंगा। इसके बाद मैं डर गई, उसने मेरे साथ रेप किया। मैं घर आई लेकिन किसी को कुछ नहीं बताया। 11 जून को मुझे घर के बाहर से 5 लोग किडनैप करके उठा ले गए। रास्ते में चलती कार में मेरे साथ रेप किया। पीड़ित के मुताबिक 10 दिन बाद मुझे औरैया लेकर गए। दूसरी तरफ मेरे चाचा मुझे खोज रहे थे। मेरी गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाई गई। इसके 10 दिन बाद मुझे बरामद किया गया। औरैया से आने के बाद मुझे महिला थाने में ही 8 दिन रखा गया। पूछा गया कि घर जाओगी कि चाचा के पास जाओगी? मैं इतनी डरी हुई थी कि मैंने कह दिया कि मुझे चाचा के पास दिल्ली जाना है। पूरा परिवार कुलदीप के खिलाफ केस दर्ज करवाने के लिए दौड़ता रहा। लेकिन केस दर्ज नहीं हो पाया। माखी गांव में ही पुलिस थाना था। पुलिस के लोग अक्सर कुलदीप के सामने नतमस्तक नजर आते थे। यहां केस दर्ज नहीं हुआ तो पीड़ित अपनी मां के साथ मजिस्ट्रेट कोर्ट चली गई। इस बात की जानकारी जैसे ही कुलदीप को हुई, उसके भाई पीड़ित के परिवार को दबाने में लग गए। एक दिन तो पीड़ित के पिता को पेड़ में बांधकर बंदूक के बट से पीटे जाने की खबर सामने आई। पुलिस कस्टडी में पिता की हत्या हो गई
कुलदीप अपने खिलाफ होने वाली संभावित कार्रवाई को लेकर डर गया था। उसने 3 अप्रैल, 2018 को पीड़ित के पिता को पकड़ा, पीटा और फिर पुलिस को सौंप दिया। 5 अप्रैल को उसके पिता का एक वीडियो सामने आया, जिसमें वह कहते हुए नजर आए कि मुझे फंसाया गया है, इन लोगों ने बहुत पीटा है। लेकिन पुलिस उन्हें धक्का देते हुए ले गई और फिर जेल भेज दिया गया। पीड़ित लखनऊ पहुंची और सीएम योगी के आवास के बाहर खुद के ऊपर पेट्रोल डालकर आत्मदाह की कोशिश की। यह पहला मौका था, जब मामला स्टेट लेवल पर उठ गया। सीएम योगी ने हस्तक्षेप किया और कार्रवाई की बात कही। लेकिन अगले दिन खबर आती है कि पुलिस कस्टडी में पीड़ित के पिता की मौत हो गई। पुलिस ने इसे नेचुरल मौत बताया। लेकिन पोस्टमॉर्टम में सारी पोल खुल गई। शरीर पर 14 चोटों के निशान थे। मारपीट के मामले में कुलदीप सेंगर, उसके भाई अतुल सिंह और मौजूदा एसएचओ समेत 7 लोगों के खिलाफ मुकदमा लिखा गया। 13 अप्रैल को यह पूरा मामला सीबीआई को सौंप दिया गया। अगले दिन सुबह 4 बजे सेंगर को हिरासत में लिया गया और फिर गिरफ्तार करके रिमांड पर ले लिया गया। मुख्य गवाह की संदिग्ध मौत, बिना पोस्टमॉर्टम अंतिम संस्कार
पीड़ित के पिता को पीटने के मामले में गांव का मोहम्मद युनुस मुख्य गवाह था। उसने देखा था कि कुलदीप के भाई अतुल और उसके 4 साथियों ने पीड़िता के पिता की बेरहमी से पिटाई की थी। 18 अगस्त को उसकी मौत हो गई। बिना पोस्टमॉर्टम के ही यूनुस का अंतिम संस्कार कर दिया गया। शुरुआत में कहा गया कि युनूस को जहर देकर मारा गया, परिवार ने भी आशंका जताई, लेकिन कुछ दिन बाद कहने लगे कि लिवर सिरोसिस से पीड़ित था, इसलिए मौत हो गई। युनूस सीबीआई के भी गवाह थे। पीड़ित के चाचा ने उन्नाव एसपी को चिट्ठी लिखी और सवाल उठाते हुए कब्र खोदकर पोस्टमॉर्टम करवाने की मांग की। कहा कि इससे पता चलेगा कि मौत किस वजह से हुई। लेकिन एसपी ने इस पर कोई एक्शन नहीं लिया था। तर्क दिया था कि परिवार इसे नेचुरल मौत मान रहा है। पीड़िता को न्याय से पहले उसके चाचा को 10 साल की सजा
ऊपर आपने पढ़ा कि साल 2000 में पंचायत चुनाव के दौरान कुलदीप के परिवार की तरफ से पीड़िता के चाचा के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। कुलदीप जब फंसा तो उसने उस मामले की पैरवी तेज की और 4 जुलाई 2019 को 19 साल पुराने इस मामले में कोर्ट ने पीड़िता के चाचा को 10 साल की सजा सुना दी। इसके तुरंत बाद ही उन्हें जेल भेज दिया गया। वह आज भी दिल्ली के तिहाड़ जेल में सजा काट रहे हैं। यहां एक बड़ी घटना होती है। 28 जुलाई को पीड़ित अपनी चाची, मौसी और वकील के साथ जा रही थी। रायबरेली में गलत दिशा से आए एक ट्रक ने जोरदार टक्कर मारी। टक्कर ऐसी कि मौके पर ही मौसी और चाची की मौत हो गई। पीड़िता और वकील गंभीर रूप से घायल हुए। दोनों को लखनऊ के केजीएमयू में भर्ती करवाया गया। जिस ट्रक ने टक्कर मारी थी, उसके नंबर प्लेट पर कालिख लगी थी। ड्राइवर ट्रक छोड़कर भाग गया। इसलिए मामला और संवेदनशील हो गया। आरोप लगा कि कुलदीप सेंगर ने इन सबको खत्म करवाने के लिए यह किया। मामला सीबीआई के पास था, इसलिए तुरंत ही सीबीआई सक्रिय हो गई। जांच शुरू हुई तो पता चला कि जिस ट्रक से यह एक्सीडेंट हुआ है, वह फतेहपुर के देवेंद्र पाल की है। इसे ड्राइवर आशीष पाल चला रहा था। साथ में क्लीनर मोहन भी था। ये लोग बांदा से मौरंग लादकर रायबरेली में उतारकर वापस आ रहे थे। दो दिन के अंदर तीनों को ही पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ शुरू हुई। कुलदीप का घर भी फतेहपुर में ही था, इसलिए कनेक्शन जोड़ा जाने लगा। देवेंद्र के परिजन बोले, हमारी कभी भी उनसे कोई मुलाकात नहीं हुई है। इस एक्सीडेंट के मामले में भी कुलदीप सेंगर और उसके भाई मनोज सेंगर को आरोपी बनाया गया। सीबीआई ने इस एक्सीडेंट के मामले की जांच की। कोर्ट में उन्होंने जो रिपोर्ट लगाई, उसमें भी इसमें एक्सीडेंट ही बताया। ये ट्रक एक साल पहले लिया गया था, दो किस्त इसकी बाउंस हो गई थी। रिकवरी एजेंट ट्रक रोककर उठा न ले जाए इसलिए ट्रक के नंबर को ढका गया था। हालांकि पीड़ित परिवार इसे साजिश करार देता रहा। सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप, केस दिल्ली ट्रांसफर
इस ट्रक हादसे ने इस केस को देशव्यापी बना दिया। सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने इस पूरे मामले को उन्नाव से सीधे दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में शिफ्ट कर दिया। तुरंत ही आदेश दिया कि पीड़ित को दिल्ली में रहने की व्यवस्था की जाए और सीआरपीएफ की सुरक्षा दी जाए। कोर्ट के आदेश का पालन हुआ। उस वक्त तमाम संगठन भी मदद के लिए आगे आए और पीड़ित के परिवार को आर्थिक मदद की। चीफ जस्टिस के आदेश के बाद इस मामले की कार्रवाई तेजी से आगे बढ़ी। 14 अगस्त, 2019 कुलदीप सेंगर समेत 9 लोगों के खिलाफ पीड़ित के पिता की मौत मामले में आरोप तय हो गया। 11 अक्तूबर, 2019 को पीड़ित की कार पर हुए हमले के मामले में भी चार्जशीट लगा दी। 16 दिसंबर को कोर्ट ने कुलदीप सेंगर को पीड़ित के साथ दुष्कर्म करने का दोषी पाया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई। साथ ही 25 लाख रुपए का जुर्माना लगाया। पीड़ित लड़की ने शादी की, मां से विवाद भी हुआ
इन फैसलों के बाद पीड़ित लड़की का जीवन स्थिर हुआ। उसे दिल्ली में दो कमरों का फ्लैट मिला। सीआरपीएफ की सुरक्षा मिली थी, वह आज भी बरकरार है। 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने पीड़ित की मां को विधानसभा का टिकट दिया, हालांकि वह अपनी जमानत नहीं बचा सकीं। दूसरी तरफ पीड़ित ने उन्नाव के ही एक लड़के से शादी कर ली। वह लड़का भी उसी फ्लैट में रहता है। आज से दो साल पहले पीड़ित का अपनी मां से पैसों को लेकर विवाद हो गया। पीड़ित के मुताबिक इस मामले में 1 करोड़ रुपए से ज्यादा मिले थे, लेकिन मुझे कुछ भी नहीं दिया गया। सारा पैसा मां ने रख लिया। हालांकि बाद में दोनों के बीच ये मनमुटाव खत्म हुआ। 23 दिसंबर को जब कुलदीप सेंगर की सजा को दिल्ली हाईकोर्ट ने सस्पेंड की, तब पीड़ित के साथ उसकी मां भी इंडिया गेट के सामने धरने पर बैठी थीं। पीड़ित चाहती है कि जिसने मेरा जीवन बर्बाद किया उसे क्यों जमानत दी जा रही, वह बाहर आएगा तो मुझे और मेरे परिवार को मार देगा। ………… ये खबर भी पढ़ें… पूर्व भाजपा MLA को जमानत, पीड़िता बोली-ये मुझे मार देंगे:यूपी में रेपिस्ट कुलदीप सेंगर बाहर आ रहा, मेरे चाचा आज तक जेल में ही बंद ‘दिल्ली में निर्भया को मार दिया गया। हाथरस में पीड़िता को मार दिया गया। मैं बच गई, इसलिए मुझे जिंदा रहते हुए सजा दी जा रही। ये लोग मेरे परिवार और गवाहों को मार देंगे।’ ये शब्द उन्नाव रेप पीड़िता के हैं। इस मामले में दोषी भाजपा के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को जमानत दे दी है। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और हरीश वैद्यनाथन शंकर की बेंच ने सेंगर की सजा को अपील पर सुनवाई पूरी होने तक सस्पेंड कर दिया। पढ़िए पूरी खबर…