तारीख 23 दिसंबर किरदार- कुलदीप सिंह सेंगर ‘वह 7 साल 5 महीने से जेल में है। तय सजा से ज्यादा वक्त जेल में काट चुका है। यह संविधान के अनुच्छेद 21 यानी जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन हो सकता है।’ इतना कहने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट के जज ने उन्नाव रेप केस में दोषी और 4 बार के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की सजा सस्पेंड करने का फैसला सुना दिया। इस फैसले पर पीड़ित ने आपत्ति जताई। कहा- जब बहस 3 महीने पहले पूरी हुई तो फैसला इतना लेट क्यों आया? जरूर इसमें सब सेटिंग हुई है। जज साहब भी आए, खड़े-खड़े फैसला सुनाकर चले गए। हम लोगों को कुछ बोलने ही नहीं दिया। अब सवाल है कि आखिर कुलदीप की सजा सस्पेंड करने के पीछे क्या-क्या वजह है? घटना के दो साल बाद कुलदीप को उम्रकैद
उन्नाव का माखी गांव। यहीं पीड़ित और कुलदीप सिंह सेंगर का घर है। दोनों के घरों में 100 मीटर का ही फासला है। 2017 में कुलदीप सेंगर चौथी बार विधायक बना था। 4 जून, 2017 को पीड़िता कुलदीप के घर नौकरी मांगने गई थी। उस वक्त उसके साथ रेप हुआ। जान से मारने की धमकी मिली, पीड़िता ने किसी को कुछ नहीं बताया। कुछ वक्त के बाद उसने जब घरवालों को बताया तो वे पुलिस के पास मुकदमा लिखवाने के लिए गए। लेकिन नहीं लिखा गया। कुलदीप और उसके भाइयों ने प्रेशर बनाया और रोकने की कोशिश की। कुलदीप और उसके भाइयों ने पीड़िता के पिता को पुलिस से गिरफ्तार करवा दिया। थाने में जमकर मारा पीटा। पीड़िता लखनऊ में सीएम योगी के आवास के बाहर आत्मदाह करने पहुंच गई। शासन का आदेश मिला कि कार्रवाई की जाए, तभी अगले दिन पीड़िता के पिता की पुलिस कस्टडी में ही मौत हो गई। केस सीबीआई को ट्रांसफर हो गया। उसी महीने एक एक्सीडेंट हुआ, जिसमें पीड़िता की चाची-मौसी की मौत हो गई। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने पूरा केस दिल्ली ट्रांसफर करवा दिया। हर दिन सुनवाई हुई। 21 दिसंबर को कोर्ट ने इस मामले में कुलदीप सेंगर को उम्रकैद की सजा सुना दी। कोर्ट ने कहा- पहली शिकायत में कुलदीप का नाम क्यों नहीं?
कोर्ट ने अपने 53 पेज के फैसले में इस घटना से जुड़े कई सवाल खड़े किए। जैसे रेप की घटना 4 जून 2017 की बताई गई, लेकिन पुलिस के पास पहली शिकायत अगस्त महीने में पहुंची। उस शिकायत में पीड़िता की तरफ से कुलदीप सिंह सेंगर का नाम नहीं लिखा गया। आरोप में शुभम सिंह, नीरज तिवारी समेत कुछ अन्य लोग थे। ये कुलदीप सेंगर के खास थे, उन्हीं के साथ रहते थे। मोबाइल का गिरना और बयान में बदलाव
पीड़िता ने पुलिस के पास जो शिकायत दी थी, उसमें बताया कि उसका फोन उस रात कुलदीप के घर पर छीन लिया गया था। हालांकि इस मामले का जो सीडीआर कोर्ट में जमा किया गया, उसके मुताबिक जिस सिम को छीना हुआ बताया गया, वह घटना के बाद भी चल रहा था, उससे अन्य नंबरों पर फोन किया जा रहा था। पीड़िता ने शुरुआत में कहा था कि उसे अगवा करके बेच दिया गया था, रेप की बात उसने साफ नहीं कही थी। बाद के बयानों में पीड़िता ने रेप शब्द जोड़ा। पहले मेडिकल हुआ तो भी पीड़िता ने सेंगर के बारे में कुछ नहीं बताया था। पीड़िता के नाबालिग होने पर भी सवाल
पीड़िता के नाबालिग होने को लेकर कोर्ट में जो दस्तावेज पेश किए गए थे, वह भी सवालों के घेरे में हैं। पीड़िता की तरफ से तीन दस्तावेज दिए गए, इसमें स्कूल का ट्रांसफर सर्टिफिकेट, स्कूल का एडमिशन रजिस्टर, तीसरा मेडिकल ऑसिफिकेशन टेस्ट, इसमें हड्डी की जांच होती है। इन तीनों में ही अलग-अलग जन्मतिथि सामने आई। स्कूल रिकॉर्ड में 2001 जन्मतिथि को मिटाकर दोबारा लिखा गया था। हाईकोर्ट ने रेप की टाइमिंग और सेंगर की मोबाइल लोकेशन पर सवाल उठाए। पीड़िता ने अपने बयान में कहा था कि उसके साथ 8 से साढ़े 8 बजे रात के बीच रेप हुआ था। जांच टीम ने उस वक्त कुलदीप सेंगर के मोबाइल की लोकेशन निकाली। उस वक्त कुलदीप की लोकेशन 15 किलोमीटर दूर मिली। पॉक्सो की सबसे अधिकतम सजा दी गई
दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि कुलदीप को यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण पॉक्सो अधिनियम के तहत पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट हमले का अपराधी नहीं बनाया गया था, लेकिन तीस हजारी कोर्ट के जज धर्मेश शर्मा ने पॉक्सो की सबसे बड़ी सजा दी। पॉक्सो एक्ट की धारा 5 में बच्चों के साथ किया गया पेनेट्रेटिव सेक्शुअल असॉल्ट एक गंभीर अपराध माना जाता है, यही अपराध अगर कोई पुलिस अधिकारी, आर्म्ड फोर्सेज या फिर हॉस्पिटल स्टाफ का व्यक्ति करता है तो उसे 20 साल जेल की सजा मिलती है। सेंगर को भी कोर्ट ने इसी आधार पर सजा सुनाई थी। सेंगर की सजा का आधार सरकारी कर्मचारी की परिभाषा में आता है, जबकि सेंगर कोई सरकारी कर्मचारी नहीं था। पीड़िता बोली- खड़े-खड़े फैसला सुनाकर चले गए
कुलदीप सेंगर को मिली जमानत को लेकर पीड़िता ने कहा- इस मामले में सबकी सुनवाई 3 महीने पहले ही पूरी हो गई। लेकिन फैसला अब सुनाया गया। वह भी जज कोर्ट में आए और खड़े-खड़े ही सजा सुनाकर चले गए। बीजेपी की सरकार है, सब सेटिंग के बाद फैसला आया है। मुझे डर है कि ये लोग अब मुझे और मेरे परिवार को खत्म कर देंगे। मेरे चाचा को आज तक जेल से बाहर नहीं निकाला गया, लेकिन इनकी सजा समाप्त हो रही। पीड़िता ने इस फैसले के विरोध में 23 दिसंबर को ही रात में अपनी मां के साथ इंडिया गेट के सामने धरना प्रदर्शन किया। वहां पहुंची पुलिस उन्हें अपने साथ ले गई। अगले दिन पीड़िता ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मुलाकात की। मुलाकात के बाद उसने बताया कि राहुल जी और सोनिया जी ने उन्हें न्याय दिलाने की बात कही है। सजा सस्पेंड, लेकिन जेल में ही रहेगा कुलदीप सेंगर
कुलदीप सेंगर को इस मामले में जरूर राहत मिली है, लेकिन पीड़िता के पिता की मौत के मामले में उसे अभी भी जेल में रहना पड़ेगा। 14 अगस्त 2019 को कोर्ट ने पीड़िता के पिता की मौत मामले में कुलदीप सेंगर, उसके भाई अमित सिंह समेत 9 लोगों पर आरोप तय किए। मार्च 2020 में कोर्ट ने कुलदीप सेंगर को 10 साल की सजा सुनाई थी। साथ ही 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था। इस मामले की सजा अभी 3 साल बाकी है। ऐसे में कुलदीप सेंगर के अभी निकलने की संभावना नहीं है। वहीं, दूसरी तरफ सीबीआई ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है। सीबीआई की तरफ कहा गया है कि जल्द ही इस मामले पर हम सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेंगे। ————————- ये खबर भी पढ़ें… रेप पीड़ित परिवार ने कुलदीप को बनाया था प्रधान:बाद में घर छोड़ना पड़ा, दोस्ती से दुश्मनी तक उन्नाव केस की कहानी उन्नाव का बहुचर्चित रेप केस…। बीजेपी के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को आजीवन कारावास की सजा हुई। वह करीब 7 साल जेल में रहा। अब दिल्ली हाईकोर्ट ने सजा सस्पेंड कर दी है। इस फैसले के बाद पीड़ित दिल्ली में इंडिया गेट के सामने अपनी मां के साथ धरने पर बैठ गई। पीड़ित का कहना है कि कुलदीप अगर बाहर आएगा तो मुझे और मेरे परिवार के बचे हुए लोगों को मार देगा। पढ़ें पूरी खबर
उन्नाव का माखी गांव। यहीं पीड़ित और कुलदीप सिंह सेंगर का घर है। दोनों के घरों में 100 मीटर का ही फासला है। 2017 में कुलदीप सेंगर चौथी बार विधायक बना था। 4 जून, 2017 को पीड़िता कुलदीप के घर नौकरी मांगने गई थी। उस वक्त उसके साथ रेप हुआ। जान से मारने की धमकी मिली, पीड़िता ने किसी को कुछ नहीं बताया। कुछ वक्त के बाद उसने जब घरवालों को बताया तो वे पुलिस के पास मुकदमा लिखवाने के लिए गए। लेकिन नहीं लिखा गया। कुलदीप और उसके भाइयों ने प्रेशर बनाया और रोकने की कोशिश की। कुलदीप और उसके भाइयों ने पीड़िता के पिता को पुलिस से गिरफ्तार करवा दिया। थाने में जमकर मारा पीटा। पीड़िता लखनऊ में सीएम योगी के आवास के बाहर आत्मदाह करने पहुंच गई। शासन का आदेश मिला कि कार्रवाई की जाए, तभी अगले दिन पीड़िता के पिता की पुलिस कस्टडी में ही मौत हो गई। केस सीबीआई को ट्रांसफर हो गया। उसी महीने एक एक्सीडेंट हुआ, जिसमें पीड़िता की चाची-मौसी की मौत हो गई। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने पूरा केस दिल्ली ट्रांसफर करवा दिया। हर दिन सुनवाई हुई। 21 दिसंबर को कोर्ट ने इस मामले में कुलदीप सेंगर को उम्रकैद की सजा सुना दी। कोर्ट ने कहा- पहली शिकायत में कुलदीप का नाम क्यों नहीं?
कोर्ट ने अपने 53 पेज के फैसले में इस घटना से जुड़े कई सवाल खड़े किए। जैसे रेप की घटना 4 जून 2017 की बताई गई, लेकिन पुलिस के पास पहली शिकायत अगस्त महीने में पहुंची। उस शिकायत में पीड़िता की तरफ से कुलदीप सिंह सेंगर का नाम नहीं लिखा गया। आरोप में शुभम सिंह, नीरज तिवारी समेत कुछ अन्य लोग थे। ये कुलदीप सेंगर के खास थे, उन्हीं के साथ रहते थे। मोबाइल का गिरना और बयान में बदलाव
पीड़िता ने पुलिस के पास जो शिकायत दी थी, उसमें बताया कि उसका फोन उस रात कुलदीप के घर पर छीन लिया गया था। हालांकि इस मामले का जो सीडीआर कोर्ट में जमा किया गया, उसके मुताबिक जिस सिम को छीना हुआ बताया गया, वह घटना के बाद भी चल रहा था, उससे अन्य नंबरों पर फोन किया जा रहा था। पीड़िता ने शुरुआत में कहा था कि उसे अगवा करके बेच दिया गया था, रेप की बात उसने साफ नहीं कही थी। बाद के बयानों में पीड़िता ने रेप शब्द जोड़ा। पहले मेडिकल हुआ तो भी पीड़िता ने सेंगर के बारे में कुछ नहीं बताया था। पीड़िता के नाबालिग होने पर भी सवाल
पीड़िता के नाबालिग होने को लेकर कोर्ट में जो दस्तावेज पेश किए गए थे, वह भी सवालों के घेरे में हैं। पीड़िता की तरफ से तीन दस्तावेज दिए गए, इसमें स्कूल का ट्रांसफर सर्टिफिकेट, स्कूल का एडमिशन रजिस्टर, तीसरा मेडिकल ऑसिफिकेशन टेस्ट, इसमें हड्डी की जांच होती है। इन तीनों में ही अलग-अलग जन्मतिथि सामने आई। स्कूल रिकॉर्ड में 2001 जन्मतिथि को मिटाकर दोबारा लिखा गया था। हाईकोर्ट ने रेप की टाइमिंग और सेंगर की मोबाइल लोकेशन पर सवाल उठाए। पीड़िता ने अपने बयान में कहा था कि उसके साथ 8 से साढ़े 8 बजे रात के बीच रेप हुआ था। जांच टीम ने उस वक्त कुलदीप सेंगर के मोबाइल की लोकेशन निकाली। उस वक्त कुलदीप की लोकेशन 15 किलोमीटर दूर मिली। पॉक्सो की सबसे अधिकतम सजा दी गई
दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि कुलदीप को यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण पॉक्सो अधिनियम के तहत पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट हमले का अपराधी नहीं बनाया गया था, लेकिन तीस हजारी कोर्ट के जज धर्मेश शर्मा ने पॉक्सो की सबसे बड़ी सजा दी। पॉक्सो एक्ट की धारा 5 में बच्चों के साथ किया गया पेनेट्रेटिव सेक्शुअल असॉल्ट एक गंभीर अपराध माना जाता है, यही अपराध अगर कोई पुलिस अधिकारी, आर्म्ड फोर्सेज या फिर हॉस्पिटल स्टाफ का व्यक्ति करता है तो उसे 20 साल जेल की सजा मिलती है। सेंगर को भी कोर्ट ने इसी आधार पर सजा सुनाई थी। सेंगर की सजा का आधार सरकारी कर्मचारी की परिभाषा में आता है, जबकि सेंगर कोई सरकारी कर्मचारी नहीं था। पीड़िता बोली- खड़े-खड़े फैसला सुनाकर चले गए
कुलदीप सेंगर को मिली जमानत को लेकर पीड़िता ने कहा- इस मामले में सबकी सुनवाई 3 महीने पहले ही पूरी हो गई। लेकिन फैसला अब सुनाया गया। वह भी जज कोर्ट में आए और खड़े-खड़े ही सजा सुनाकर चले गए। बीजेपी की सरकार है, सब सेटिंग के बाद फैसला आया है। मुझे डर है कि ये लोग अब मुझे और मेरे परिवार को खत्म कर देंगे। मेरे चाचा को आज तक जेल से बाहर नहीं निकाला गया, लेकिन इनकी सजा समाप्त हो रही। पीड़िता ने इस फैसले के विरोध में 23 दिसंबर को ही रात में अपनी मां के साथ इंडिया गेट के सामने धरना प्रदर्शन किया। वहां पहुंची पुलिस उन्हें अपने साथ ले गई। अगले दिन पीड़िता ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मुलाकात की। मुलाकात के बाद उसने बताया कि राहुल जी और सोनिया जी ने उन्हें न्याय दिलाने की बात कही है। सजा सस्पेंड, लेकिन जेल में ही रहेगा कुलदीप सेंगर
कुलदीप सेंगर को इस मामले में जरूर राहत मिली है, लेकिन पीड़िता के पिता की मौत के मामले में उसे अभी भी जेल में रहना पड़ेगा। 14 अगस्त 2019 को कोर्ट ने पीड़िता के पिता की मौत मामले में कुलदीप सेंगर, उसके भाई अमित सिंह समेत 9 लोगों पर आरोप तय किए। मार्च 2020 में कोर्ट ने कुलदीप सेंगर को 10 साल की सजा सुनाई थी। साथ ही 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था। इस मामले की सजा अभी 3 साल बाकी है। ऐसे में कुलदीप सेंगर के अभी निकलने की संभावना नहीं है। वहीं, दूसरी तरफ सीबीआई ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है। सीबीआई की तरफ कहा गया है कि जल्द ही इस मामले पर हम सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेंगे। ————————- ये खबर भी पढ़ें… रेप पीड़ित परिवार ने कुलदीप को बनाया था प्रधान:बाद में घर छोड़ना पड़ा, दोस्ती से दुश्मनी तक उन्नाव केस की कहानी उन्नाव का बहुचर्चित रेप केस…। बीजेपी के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को आजीवन कारावास की सजा हुई। वह करीब 7 साल जेल में रहा। अब दिल्ली हाईकोर्ट ने सजा सस्पेंड कर दी है। इस फैसले के बाद पीड़ित दिल्ली में इंडिया गेट के सामने अपनी मां के साथ धरने पर बैठ गई। पीड़ित का कहना है कि कुलदीप अगर बाहर आएगा तो मुझे और मेरे परिवार के बचे हुए लोगों को मार देगा। पढ़ें पूरी खबर