यूपी में बेटा IAS बना तो खुशी में रोए पिता:गुमटी में स्टेशनरी बेच पढ़ाया, 75 हजार की नौकरी छोड़ तैयारी करने को कहा था

5 बाई 5 की गुमटी। अंदर स्टेशनरी का सामान रखा है। रामनरेश सिंह दुकान पर आने वाले हर व्यक्ति को पहले लड्डू खिला रहे हैं। फिर वह जो सामान मांग रहा, उसे दे रहे। रामनरेश ने 30 साल पुरानी अपनी इसी दुकान की कमाई से अपने बेटे शिवम को IAS बना दिया। शिवम ने 73वीं रैंक हासिल की। जिस वक्त बेटे ने उन्हें अपने सफल होने की जानकारी दी, रामनरेश एक मिनट तक दुकान में ही खड़े होकर रोते रहे। खुद को संभाला और फिर बताना शुरू किया- बेटा आईएएस बन गया। उसके साथ अपना सपना भी पूरा हो गया। दैनिक भास्कर की टीम UPSC का रिजल्ट आने के बाद रामनरेश की इसी दुकान पर पहुंची। उनसे बात की। IAS बने बेटे से भी बात की। आइए रियल मोटिवेशन की इस कहानी को शुरुआत से जानते हैं… 30 साल से विकास भवन के पास दुकान चला रहे
रायबरेली जिले में विकास भवन के पास रामनरेश सिंह की स्टेशनरी की दुकान है। लोग रामनरेश को पप्पू के नाम से ज्यादा जानते हैं। यहीं पास में कलेक्ट्रेट, डीएम और एसपी ऑफिस है। इसलिए पप्पू की दुकान पर सरकारी काम से जुड़ी स्टेशनरी की बिक्री ठीक-ठाक होती है। रामनरेश ने यह दुकान अगस्त, 1994 में खोली थी। उनका पुराना घर दुकान से करीब 15 किलोमीटर दूर डलमऊ रोड पर पकरा गांव में है। दुकान शुरू करने के बाद उन्होंने यहीं प्रगति पुरम में अपना घर बना लिया। यहां वह पत्नी बबिता सिंह के साथ रहने लगे। पहले बेटे शुभम का जन्म हुआ और फिर 1996 में शिवम का जन्म हुआ। हमने रामनरेश से बातचीत शुरू की। दोनों बेटों की पढ़ाई-लिखाई के बारे में पूछा। रामनरेश कहते हैं- शुरुआत में ये लोग अलग-अलग स्कूलों में पढ़े। फिर यहीं सेंट जेम्स स्कूल में एडमिशन करवा दिया। इसके बाद दोनों बच्चों का एडमिशन सेंट पीटर्स में करवाया। वहीं से दोनों ने इंटर तक की पढ़ाई की। शिवम ने इसके बाद इंजीनियरिंग लाइन चुन ली। उसने मोहनलालगंज में अंबालिका इंजीनियरिंग कॉलेज में बीटेक में एडमिशन ले लिया। बीटेक करने के बाद शिवम को आईआईटी धनबाद में एमटेक में एडमिशन मिल गया। रामनरेश कहते हैं- वह जब भी घर आता, हम लोगों के बीच चर्चा होती कि आगे क्या करना है? मैं शिवम से कहता था कि आप सिविल सेवा की तरफ रुख करें। धनबाद में एमटेक करते वक्त उसने लाइब्रेरी में तैयारी शुरू कर दी थी। मैंने 75 हजार की नौकरी करने से रोका
शिवम ने जब एमटेक कंप्लीट किया, तो सिलेक्शन बेंगलुरु की एक कंपनी में हो गया। रामनरेश कहते हैं- उस वक्त उन्हें 75-78 हजार सैलरी मिलनी थी। शिवम ने हमसे कहा कि एक साल नौकरी कर लेते हैं, फिर तैयारी करेंगे। हमने मना कर दिया। कहा कि एक बार अगर डायवर्ट हो गए, तो नुकसान हो जाएगा। इसलिए आप उधर न जाकर, तैयारी करिए। इसके बाद शिवम तैयारी में जुट गए। शिवम ने करीब 6 महीने दिल्ली में रहकर तैयारी की। उसी दौरान कोरोना महामारी आ गई। शिवम वापस घर चले आए। यहीं रहकर तैयारी की। 2021 में यूपीपीएससी की परीक्षा पास की। 38वीं रैंक हासिल करके एसडीएम बन गए। गोरखपुर की चौरी-चौरा तहसील में एसडीएम के रूप में नौकरी की शुरुआत की। इसके बाद उनका ट्रांसफर खजनी तहसील में हो गया। इस दौरान उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। पिछले साल यूपीएससी निकाला, लेकिन रैंक से संतुष्ट नहीं
शिवम ने यूपीएससी 2023 की परीक्षा भी पास कर ली। उनकी 877वीं रैंक आई और वह आईआरएस के जरिए कस्टम विभाग में चुने गए। इसी की ट्रेनिंग वह इस वक्त आंध्र प्रदेश में कर रहे हैं। शिवम और पिता रामनरेश का सपना था कि IAS बना जाए, इसलिए शिवम ने तैयारी नहीं छोड़ी। फिर से यूपीएससी की परीक्षा में बैठे और इस साल उनका सपना साकार हुआ। उन्होंने 73वीं रैंक हासिल की और IAS बने। बेटे ने दुकान बंद करने को बोला, तो ये दिया जवाब…
हमने रामनरेश सिंह से पूछा- 2021 में बेटा एसडीएम बन गया था। कभी ये नहीं कहा कि दुकान को बड़ा करें या अब आप दुकान पर न बैठा करें? जवाब में रामनरेश कहते हैं- बेटे ने कई बार कहा कि पिताजी अब दुकान बंद करिए, आराम करिए। हमने कहा इसी दुकान से लोग मुझे जानते हैं। इसी की वजह से आप लोग यहां तक पहुंचे हो। अभी मैं काम कर सकता हूं। घर में बैठ जाऊंगा, तो बेकार हो जाऊंगा। पिता ने हमें कभी अपनी दुकान पर नहीं बैठाया
शिवम सिंह इस वक्त आंध्र प्रदेश में ट्रेनिंग ले रहे हैं। हमने उनसे वीडियो कॉल के जरिए बात की। वह कहते हैं- मेरी सफलता के पीछे माता-पिता और भाई हैं। हम लोग मिडिल क्लास परिवार से हैं। पिता ने एक छोटी-सी दुकान से कमाई करके, बहुत कम पैसों में मैनेज करके हम सबको पढ़ाया। उन्होंने कभी भी हमें अपनी दुकान पर बैठने नहीं दिया। वह चाहते थे कि हम पढ़ें। इसलिए हम पढ़ाई को लेकर हमेशा फोकस रहे। हमने पूछा कि इंजीनियरिंग के दौरान सिविल की तरफ रुझान कैसे हुआ? शिवम कहते हैं- जब धनबाद में एमटेक कर रहा था, तभी मेरा रुझान इधर बढ़ा। मैंने रोज न्यूज पेपर पढ़ना शुरू किया। एनसीआरटी की किताबें पढ़ीं। इसके बाद पैशन को फॉलो किया और कामयाबी मिल गई। इंटरव्यू में महाकुंभ से जुड़ा सवाल पूछा गया
हमने शिवम से पूछा कि आपसे इंटरव्यू में क्या सवाल पूछे गए? वह कहते हैं- मेरा इंटरव्यू 3 मार्च को हुआ था। मैं गोरखपुर में डिप्टी कलेक्टर था। इसलिए शुरुआत में उसी से जुड़े सवाल पूछे गए। हमने चुनाव करवाया था, इसलिए ईवीएम से जुड़ा सवाल पूछा गया। इसके बाद मुझसे महाकुंभ को आधार बनाते हुए पूछा गया कि आप यूपी की टूरिज्म पॉलिसी को कैसे बनाएंगे? फिर ऑनलाइन गेम्स को लेकर सवाल पूछा गया। इंटरव्यू सवाल फॉर्मेट में नहीं होते, यहां डिस्कशन होता है। मैंने कई इंटरव्यू दिए हैं। इसलिए इंटरव्यू को लेकर कभी कोई परेशानी नहीं हुई। ————————- ये खबर भी पढ़ें… यूपी में करीब 1500 पाकिस्तानी, एक्शन शुरू, योगी की DGP के साथ बैठक; सहारनपुर से 12 लोग भेजे गए; बुलंदशहर में महिला खूब रोई यूपी में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों पर एक्शन शुरू हो गया है। यहां अलग-अलग जिलों में करीब 1500 पाक नागरिक रह रहे हैं। इनमें अधिकांश पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हैं। सूत्रों के अनुसार अब तक 118 पाक नागरिकों को चिह्नित किया गया है। इनमें मां-बेटी समेत 32 को अटारी बार्डर के जरिए पाकिस्तान भेज दिया गया। पढ़ें पूरी खबर