आजम को पत्नी ने जेल में दशहरी आम खिलाए:बेटे ने दर्द भरी शायरी सुनाई; सीतापुर में तंजीन बोलीं- सपा से अब कोई उम्मीद नहीं

सीतापुर जेल में बंद पूर्व मंत्री आजम खां से गुरुवार को उनकी पत्नी तंजीन फातिमा, बेटे अदीब आजम और सपा नेता शावेज खान मिलने पहुंचे। यह मुलाकात करीब 1 घंटे 42 मिनट तक चली। पत्नी ने आजम को दशहरी आम खिलाए। पूर्व सांसद तंजीन फातिमा बाहर आईं तो उन्होंने मीडिया से बात की। समाजवादी पार्टी आजम खान की मदद कर रही है या नहीं? इस सवाल पर तंजीन फातिमा ने कहा, ‘मुझे अब किसी पर कोई विश्वास नहीं रहा। अब केवल अल्लाह से उम्मीद है। उनकी (आजम) तबीयत ठीक नहीं है। वह बहुत कमजोर हो गए हैं।’ तंजीन फातिमा अपने साथ करीब 10 किलो दशहरी आम और कुछ जरूरी दवाइयां लेकर पहुंची थीं। उन्होंने जेल प्रशासन से आजम खां की सेहत की भी जानकारी ली। शनिवार को आजम खां के छोटे बेटे अब्दुल्ला आजम ने जेल में पिता से मुलाकात की थी। मीडिया को बताया था, आजम खां की तबीयत ठीक नहीं है और उन्हें अच्छे इलाज की आवश्यकता है। हालांकि, जेल प्रशासन की ओर से अभी तक आजम खां की तबीयत को लेकर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। 3 तस्वीरें देखिए… अदीब खान बोले- पिता को खजूर काफी पसंद
अदीब खान ने बताया, उनके पिता की तबीयत ठीक नहीं है और वह काफी कमजोर हो गए हैं। उन्होंने कहा, जेल तो जेल है, लेकिन अब्बू पहले से बहुत कमजोर हो चुके हैं।​​​​​ दशहरी आम और कुछ जरूरी दवाइयां भी जेल प्रशासन की अनुमति से पिता को दी है। पिता को उनकी पसंद के खजूर भी दिए हैं। अदीब ने जेल के अंदर पिता के दर्द को शायराने अंदाज में बयां किया- ‘लम्बी है ग़म की शाम, मगर शाम ही तो है”। इसका मतलब है कि जेल तो जेल है, जेल में कौन ठीक रह सकता है। शनिवार को अब्दुल्ला आजम मिलने पहुंचा थे
शनिवार को भी वरिष्ठ सपा नेता आजम खान से उनके बेटे अब्दुल्ला आजम सीतापुर जेल में मिलने पहुंचे थे। अब्दुल्ला अपने पिता के लिए 5 किलो की दशहरी आम की पेटी, दवाएं और खाने-पीने का सामान लेकर पहुंचे थे। पिता-बेटे के बीच करीब डेढ़ घंटे तक बातचीत हुई। बोले- जेल के अंदर क्या ठीक हो सकता है?
जेल से बाहर निकलने के बाद अब्दुल्ला ने कहा था- उनकी तबीयत खराब रहती है। सबको पता है, अब उनकी उम्र भी हो गई है। उम्र के हिसाब से उनको परेशानी और बीमारियां है। वहीं, जमानत वाले सवाल पर अब्दुल्ला ने चुप्पी साध ली। जेल के अंदर सब ठीक होने के सवाल पर अब्दुल्ला ने कहा- जेल के अंदर क्या ठीक हो सकता है? आप लोग बताइए। बीमारी के बारे में बता ही दिया, इसे ज्यादा क्या बताऊं? साथ नहीं था कोई सपा नेता
जब आजम खान से मिलने अब्दुल्ला पहुंचे, तो कोई सपा नेता उनके साथ नहीं था। दरअसल, ऐसा पहली बार नहीं है। काफी दिनों से लगातार आजम खान से परिजनों की मिलाई के दौरान समाजवादी पार्टी का कोई भी नेता दूर-दूर तक नजर नहीं आता। अक्टूबर 2023 से सीतापुर जिला कारागार में बंद आजम फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में रामपुर एमपी-एमएलए कोर्ट ने 18 अक्टूबर, 2023 को आदेश सुनाया था। कोर्ट ने आजम खान, उनकी पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को सात-सात साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद तीनों को पुलिस अभिरक्षा में कोर्ट से सीधे जेल भेज दिया गया। सुरक्षा कारणों से 26 अक्टूबर, 2023 को आजम को रामपुर से सीतापुर जेल शिफ्ट कर दिया गया। इसके बाद से वे जेल में ही बंद हैं। अब्दुल्ला आजम के दो बर्थ सर्टिफिकेट बनवाए जाने और उनका दुरुपयोग किए जाने के मामले में मिली सजा पर हाई कोर्ट ने रोक लगाई है। सजा पर रोक का फैसला केवल आजम खान पर लागू है। अब्दुल्ला आजम और उनकी मां तंजीन की सजा पर रोक नहीं लगाई गई है। हालांकि, इस केस में जमानत के बाद तंजीन फात्मा जेल से बाहर हैं। 89 से अधिक केस हैं दर्ज
आजम खान के खिलाफ 89 से अधिक केस दर्ज हैं। 2017 से 2019 के बीच उनके खिलाफ अधिकांश केस दर्ज हुए। इसमें से सभी मामलों में जमानत के बाद 20 मई, 2022 को आजम खान सीतापुर जेल से बाहर आए थे। हालांकि, करीब एक साल से कुछ अधिक समय बाहर रहने के बाद एक बार फिर जेल जाना पड़ा। आजम खान करीब 76 साल के हैं। वे कई बीमारियों से ग्रसित रहे हैं। पिछली बार रिहाई के बाद भी उन्हें हॉस्पिटल में रहना पड़ा था। आजम खान करीब 4 दशक से रामपुर की राजनीति में सक्रिय रहे हैं। वे मुलायम सिंह यादव के काफी करीबी रहे थे। समाजवादी पार्टी की स्थापना के साथ से ही जुड़े आजम खान को अखिलेश यादव ने उनके जेल में रहने के बाद भी राष्ट्रीय महासचिव बनाया। 3 मामलों में हो चुकी है सजा आजम से कब-कब और कौन-कौन जेल में मिलने पहुंचा ————————- यह खबर भी पढ़ें- अखिलेश को अक्ल नहीं, नकल भी नहीं कर पाए, सुलतानपुर में मंत्री राजभर बोले- 86 में से 46 यादवों को SDM बना दिया था ‘नेता जी (मुलायम सिंह यादव) ने कहा था- नकल करो, तब अक्ल आएगी। लेकिन अखिलेश यादव तो नकल भी नहीं कर पाए, इसलिए उन्हें अक्ल भी नहीं आई। सपा सरकार में 800 दंगे हुए थे। सपा पिछड़ों का हक लूटने वाली पार्टी है। 86 में से 46 यादवों को SDM बना दिया गया।’ यहां पढ़ें पूरी खबर