अपना दल (एस) और बागी आमने-सामने:पार्टी के 13 विधायकों को बुलाकर अनुप्रिया-आशीष ने दिखाया दम; मोदी की तारीफ, निशाने पर योगी

अपना दल (एस) और उसके बागियों का अपना मोर्चा अब खुलकर आमने-सामने आ चुके हैं। संस्थापक डॉ. सोनेलाल पटेल की जन्म जयंती समारोह पर लखनऊ में दोनों ओर से ताकत की जोर-आजमाइश हुई। अपना दल (एस) ने इस मौके पर जहां 13 विधायकों को बुलाकर ताकत दिखाई। वहीं पीएम मोदी की तारीफ कर यूपी भाजपा के एक नेता को निशाने पर लिया। साथ ही ये भी आरोप लगाए कि अपना दल (एस) को खत्म करने के लिए गठबंधन दल की ओर से षड्यंत्र रचा जा रहा है। पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आशीष पटेल ने बागियों को उकसाने के लिए बिना नाम लिए भाजपा पर हमला बोला। इसने एक बार फिर साफ कर दिया कि अपना दल (एस) और भाजपा की यूपी सरकार में बैठे लोगों के बीच मतभेद बढ़ चुके हैं। सवाल है कि अपना दल के कमजोर होने से किसको सियासी फायदा होगा? बागियों को किस दल से संरक्षण मिल रहा है? अनुप्रिया-आशीष पटेल के निशाने पर भाजपा का कौन नेता है? पढ़िए पूरी रिपोर्ट… पहले जानते हैं आशीष पटेल के 9 आरोप आशीष पटेल अपने पूरे भाषण में बार-बार पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की तारीफ करते रहे। साथ ही बिना भाजपा का नाम लिए ये भी आरोप लगाते रहे कि अपना दल (एस) को समाप्त करने के लिए षड्यंत्र रचा जा रहा। ये भी इशारे में कार्यकर्ताओं से कहा कि आप समझ रहे हो ना कौन षड्यंत्र रच रहा है। फिर ये भी कहा कि अपना दल को कमजोर करने के लिए 1700 करोड़ रुपए की ताकत लगाई गई है। अखबारों में बड़ी-बड़ी खबरें प्लांट कराई जा रही है। दिसंबर में भी सरकार के खिलाफ खोल चुके हैं मोर्चा
इससे पहले दिसंबर, 2024 में भी आशीष पटेल इसी तरह का मोर्चा खोल चुके हैं। तब उन पर सपा विधायक और उनके ही परिवार की करीबी पल्लवी पटेल ने आरोप लगाए थे कि लेक्चरर्स (प्रवक्ता) को नियम के खिलाफ प्रमोट कर विभागाध्यक्ष बनाया गया है। उन्होंने आरोप लगाए थे कि एक-एक प्रवक्ता से 25-25 लाख रुपए की रिश्वत ली गई है। पल्लवी ने इस संबंध में राज्यपाल से भी शिकायत की थी। उस समय भी आशीष पटेल ने पल्लवी के बहाने योगी सरकार पर हमला बोला था। यहां तक कि एसटीएफ चीफ अमिताभ यश पर अपनी हत्या की साजिश रचने का भी गंभीर आरोप लगाए थे। आशीष पटेल को तब भी शक था कि उनके खिलाफ सरकार ही षड्यंत्र रच रही है। तब भी वो इशारे में ही सरकार पर हमलावर थे। उस समय सिर्फ अफसरों को टारगेट किया था। इस बार उनके निशाने पर बागी हैं। आशीष पटेल के निशाने पर कौन है?
इसका जवाब वरिष्ठ पत्रकार सुरेश बहादुर सिंह ने देते हैं। कहते हैं- अपना दल के साथ गठबंधन करने का निर्णय मौजूदा गृहमंत्री अमित शाह का था। जाहिर-सी बात है कि इस पार्टी की उनसे नजदीकियां ज्यादा है। अपना दल की जहां तक बात है, तो भाजपा से गठबंधन के बाद ही वह बढ़ी है। वर्ना अकेले लड़ते हुए कभी उसके संस्थापक डॉ. सोनेलाल पटेल भी कोई चुनाव नहीं जीत सके। 2014 के बाद भाजपा से गठबंधन के चलते ही अपना दल के 2 सांसद और 2017 में 9 विधायक जीतकर सदन में पहुंचे। इस बार ये आंकड़ा 13 तक पहुंचा, तो इसके पीछे भी भाजपा से गठबंधन ही था। अपना दल हमेशा से सत्ता के साथ रहने वाली पार्टी रही है। आज भाजपा सत्ता में है, तो उसके साथ है। कल को सपा की सरकार बनती है, तो ये उसके साथ भी पीडीए का नारा मजबूत करते हुए जा सकती है। ये भी सच है कि भाजपा से गठबंधन का फायदा सहयोगी दलों जैसे निषाद पार्टी, अपना दल (एस) को मिला है। लेकिन, इसके उलट भाजपा को उतना लाभ इन दलों से गठबंधन का नहीं मिला। अगर कुर्मी वोटरों का सपोर्ट अपना दल (एस) की वजह से भाजपा को मिला होता, तो क्या कारण है कि कुर्मी बहुल बस्ती जिले में भाजपा विधानसभा में 4 सीटें हार जाती। 2 जुलाई को आशीष पटेल ने जो भी इशारे में गठबंधन दल के बहाने भाजपा पर हमला किया, वो सच में योगी पर था। एक तरफ पीएम की तारीफ करना और दूसरी ओर योगी पर इशारे से हमला करना ये साफ बताता है कि षड्यंत्र कहां हो रहा? योगी की लोकप्रियता बढ़ने के साथ ही उनकी ही पार्टी में कई लोगों को खतरा महसूस होने लगा है। यही कारण है कि जब भी उन्हें योगी पर हमला करवाना होता है, तो सहयोगी दलों को औजार की तरह इस्तेमाल किया जाता है। अब जानिए बागियों को कहां से संरक्षण मिल रहा
1 जुलाई को लखनऊ प्रेस क्लब में अपना दल बलिहारी, राष्ट्रीय जनसरदार पार्टी, छत्रपति शिवाजी फाउंडेशन, अपना दल (यू), किसान नौजवान संघ और अपना दल (एस) को बीते 10 सालों में छोड़ चुके अन्य नेताओं ने मिलकर अपना मोर्चा नाम से नया संगठन का ऐलान किया। उन्होंने ये दावा करते हुए सनसनी फैला दी कि अपना दल (एस) के 9 विधायक उनके संपर्क में हैं। दिल्ली से इशारा मिलते ही वे उनके साथ आ जाएंगे। ये भी दावा किया कि अपना मोर्चा ही सही मायने में अपना दल (एस) है। अपना मोर्चा के हेमंत चौधरी कहते हैं कि अनुप्रिया और आशीष पटेल की तानाशाही के चलते नेता और कार्यकर्ता दूर जा रहे हैं। साथ में ये भी दावा किया कि अपना मोर्चा भी एनडीए का घटक दल है, हम ही असली अपना दल (एस) हैं। वरिष्ठ पत्रकार सुरेश बहादुर सिंह के मुताबिक, बागियों के इस दावे से एक बात तो साफ है कि उन्हें संरक्षण सत्ता दल के ही किसी नेता का मिल रहा है। अब वो नेता दिल्ली में बैठा है या प्रदेश सरकार में, ये तो आशीष पटेल ही बता सकते हैं। आशीष पटेल ने बागियों का कार्यक्रम नहीं होने दिया
2 जुलाई को अपना मोर्चा नाम का संगठन बना चुके बागियों की ओर से डॉ. सोनेलाल पटेल की जयंती के उपलक्ष्य में पिकनिक स्पाट रोड स्थित कुर्मी-क्षत्रिय भवन में कार्यक्रम रखा गया था। लेकिन, आखिरी समय में इस कार्यक्रम को नहीं होने दिया गया। अपना मोर्चा के संयोजक ब्रजेंद्र प्रताप सिंह ने इसके लिए सीधा आरोप प्रदेश सरकार के मंत्री डॉ. आशीष पटेल पर लगाया। कहा कि हमने ये भवन एक सप्ताह पहले बुक कराया था। यहां तक कि 1 जुलाई की शाम को हम कार्यक्रम स्थल भी देखने गए थे। लेकिन, अचानक रात में हमें सूचित किया गया कि भवन नहीं दे पाएंगे। कुर्मी क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डीएम कटियार, जो सरकारी बाबू हैं, वे बोले कि हमें क्यों दोबारा सस्पेंड कराना चाहते हैं? उन्होंने रात 11 बजे एक पत्र भी जारी किया कि भ्रामक जानकारी देकर भवन की बुकिंग कराई गई थी। मेरा सवाल है कि उन्हें झूठ नहीं बोलना चाहिए था। लेकिन, हम उनकी मजबूरी समझ सकते हैं। बागियों का दावा, हम एनडीए के साथ, इसी को आशीष ने बनाया मुद्दा
हैरानी की बात ये है कि अपना दल (एस) की तरह बागियों की ओर से भी दावा किया जा रहा है कि वे एनडीए के साथ हैं। पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और संगठन के लोगों से मिलकर वे अपनी बात रखेंगे। सोनेलाल पटेल की जयंती के अवसर पर इसी बात को आशीष पटेल ने मुद्दा बनाया। बागियों को शासकीय पद से हटाने के लिए सीएम को लिखा पत्र
अपना दल (एस) के प्रदेश अध्यक्ष जाटव आरपी गौतम की ओर से 2 जुलाई को सीएम योगी को पत्र लिखा गया। इसके जरिए बागियों में शामिल ब्रजेंद्र प्रताप सिंह की पत्नी मोनिका आर्या को अपर शासकीय वकील (राज्य सरकार) नामित और पूर्वांचल विकास बोर्ड के सदस्य मनोनीत किए गए अरविंद बौद्ध को हटाने के लिए लिखा है। इस पत्र में आरपी गौतम ने लिखा है कि दोनों पदाधिकारियों की गतिविधियां एवं आचरण संगठन के मूल सिद्धांतों, नीति-अनुशासन और गठबंधन धर्म के अनुरूप नहीं रहा। इस कारण इनको 3 साल पहले ही निष्कासित कर दिया गया था। लेकिन, ये संज्ञान में आया है कि बिना अपना दल (एस) को विश्वास में लिए दोनों को फिर से नए कार्यकाल के लिए नामित/मनोनीत कर दिया गया है। ये भी लिखा गया है कि इनके स्थान पर दो नए नामों की सूची जल्द ही पार्टी की ओर से प्रेषित किया जाएगा। कौन-किसकी पीठ में छुरा घोंप रहा
अपना दल (एस) के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आशीष पटेल ने 2 जुलाई को सोनेलाल पटेल की जयंती पर लखनऊ में कहा कि हम ईमानदारी से 2014 से गठबंधन धर्म का पालन कर रहे हैं। आगे भी गठबंधन धर्म निभाएंगे। लेकिन, अब जवाबदारी सामने की है। हम अच्छा व्यवहार करेंगे, तो हमारे साथ अच्छा व्यवहार कराने की जिम्मेदारी आपकी है, हमारी नहीं है। पर आप षड्यंत्र करेंगे। पीठ पीछे छुरा घोंपने की कोशिश करेंगे, तो हम उसका जवाब देंगे। और जवाब अपनी मर्यादा में रहकर देंगे। हम मर्यादा अपनी तरफ से नहीं तोड़ेंगे। लेकिन, आप मर्यादा तोड़ेंगे तो मर्यादा तोड़ने की जिम्मेदारी भी आपकी होगी, हमारी नहीं। वरिष्ठ पत्रकार सैय्यद कासिम के मुताबिक, अपना दल अगर कमजोर होता है, तो अनुप्रिया और आशीष पटेल की कार्यशैली के चलते होगा। इसमें किसी पार्टी का कोई योगदान नहीं है। किसी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से गंभीर आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दें, तो हैरानी होती ही है। अपना दल (एस) को चला रहे अनुप्रिया और आशीष पटेल को समझना होगा कि आखिर क्यों नेता साथ छोड़ कर जा रहे हैं? अपना दल के कमजोर होने से किसका फायदा
वरिष्ठ पत्रकार सैय्यद कासिम कहते हैं- यूपी में एनडीए के घटक दलों में अपना दल सबसे मजबूत साथी है। अपना दल के कमजोर होने का सीधा नुकसान भाजपा को ही होगा। हालांकि, कोई भी राष्ट्रीय पार्टी ये नहीं चाहती है कि वह किसी क्षेत्रीय दल पर सिर्फ निर्भर रहे। भाजपा पर इस तरह के आरोप बिहार और महाराष्ट्र में लग चुके हैं। जिस तरीके से अपना दल (एस) के बागियों की ओर से ये दावा किया जा रहा है कि दिल्ली के इशारा मिलते ही उनके संपर्क वाले 9 विधायक पार्टी छोड़ देंगे। इससे भी साफ है कि बागियों को कहीं से तो संरक्षण मिल रहा है। अब समझने की बात ये है कि बागियों को संरक्षण दिल्ली से मिल रहा है या यूपी से। जहां तक आशीष पटेल की बात है, तो उनका हर बार वॉर भाजपा की बजाय सीएम योगी की ओर रहता है। इस बार भी इससे अलग नहीं है। प्रदेश की तीसरी ताकत है अपना दल
प्रदेश की मौजूदा विधानसभा में सदस्यों की संख्या के आधार पर बात करें तो अपना दल (एस) तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपना दल (एस) को 2 सीटें दी थीं। पार्टी ने दोनों सीटें जीतीं। इसके बाद 2017 में बीजेपी के साथ ही मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा। पार्टी ने तब 11 सीटें में 9 सीटों पर जीत हासिल की। 2022 में पार्टी के खाते में 17 सीटें आईं और 13 सीटों पर जीत हासिल हुई। हालांकि, लोकसभा 2024 में उसकी सीटों की संख्या एक कम हो गई। अपना दल (एस) आज की तारीख में पूर्वांचल के साथ बुंदेलखंड और पश्चिमी यूपी में भी अपनी ताकत दिखा चुकी है। अब पार्टी पंचायत चुनाव में भाजपा से अलग लड़कर अपनी ताकत दिखाने में जुटी है। लेकिन, मार्च में जिस तरीके से गंभीर आरोप लगाते हुए अपना दल (एस) के प्रदेश अध्यक्ष रहे राजकुमार पाल ने इस्तीफा दिया, उसने पार्टी के आंतरिक कलह को उजागर कर दिया। अनुप्रिया-आशीष पटेल का अगला कदम क्या होगा
राजनीति के दोनों जानकारों के मुताबिक, फिलहाल अनुप्रिया और उनके पति आशीष पटेल ने अपनी-अपनी भूमिकाएं तय कर रखी हैं। एक तरफ आशीष पटेल हमलावर रुख अपनाए रखेंगे, तो अनुप्रिया संतुलन साधे रखेंगी। ये दंपती तब तक खुद से कोई निर्णय नहीं लेगा, जब तक भाजपा की ओर से कोई ठोस निर्णय नहीं ले लिया जाता। ये भी सच है कि भाजपा के साथ गठबंधन के बाद ही अपना दल का भी कद बढ़ा है। ऐसे में अनुप्रिया या आशीष पटेल बीजेपी की बजाय यूपी सीएम पर ही अपना टारगेट साधते रहेंगे। ————————– ये खबरें भी पढ़िए- अनुप्रिया के मंत्री पति आशीष पटेल ने दिखाए बगावती तेवर, बोले- अपना दल को 1700 करोड़ में खत्म करने की साजिश यूपी सरकार में मंत्री आशीष पटेल ने बुधवार को लखनऊ में BJP का नाम लिए बगैर बगावती तेवर दिखाए। कहा, अपना दल को खत्म करने के लिए 1700 करोड़ रुपए की ताकत लगाई गई है। आगे चलकर हमें झूठे मुकदमे में फंसाया जा सकता है। कुछ भी हो सकता है। आशीष पटेल, केंद्र में मंत्री अनुप्रिया पटेल के पति और अपना दल (एस) के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। यूपी में उनका दल NDA का सहयोगी है। आशीष पटेल ने कहा, हमने ईमानदारी से 2014 से गठबंधन धर्म निभाया है। आगे भी गठबंधन धर्म निभाएंगे। लेकिन, आप षड्यंत्र करेंगे। पीठ पीछे छुरा घोंपने की कोशिश करेंगे, तो हम उसका जवाब देंगे। पढ़िए पूरी खबर…