प्रयागराज में 1 मंजिल तक घर डूबे, लाशें उतरा रहीं:मोबाइल चार्ज करने 2 घंटे नाव से सफर कर रहे; 250 गांव बाढ़ से कटे

प्रयागराज में रोजमर्रा की जिंदगी अब लहरों पर डोलती नावों पर चल रही है। गंगा और यमुना का वाटर लेवल डेंजर पॉइंट (खतरे के निशान) से ऊपर है। इस वजह से गंगापार और यमुनापार के 250 गांव शहर से कट गए हैं। रास्ते बाढ़ के पानी में डूबे हैं। यहां रहने वाली 10 लाख लोगों को अब नाव का ही सहारा बचा है। कहीं पानी में लाश उतराती दिख रही है, तो कहीं जानवरों को बांधने की भी जगह नहीं बची। 10 हजार घरों में बाढ़ का पानी घुस चुका है, ग्राउंड फ्लोर डूबे हुए हैं। लोग अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित जगह शिफ्ट हो रहे हैं। इन गांवों को बिजली सप्लाई करने वाले 33 केवीए बिजली सबस्टेशन डूब चुके हैं। 200 गांवों की बिजली गुल है। इन इलाकों में रहने वाले लोग सिर्फ मोबाइल चार्ज करने के लिए 2 घंटे नाव से सफर कर शहर जाते हैं। अनुमान है, गंगा-यमुना से सटे इलाकों में रहने वाले 5 लाख शहर के लोग भी प्रभावित हैं। स्कूल जाने वाले स्टूडेंट हों या नौकरीपेशा, सब नाव पर ही जाते दिखते हैं। दैनिक भास्कर की टीम इन इलाकों में बाढ़ के हालात को समझने के लिए शहर से सिर्फ 15Km दूर झूंसी पहुंची। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… रास्ते डूबे, सिर्फ नाव चल रही
झूंसी की तरफ जाने वाले बदरा सोनौटी गारापुर की सड़क पूरी तरह से डूबी मिली। हमने अपनी गाड़ी सड़क के किनारे छोड़ दी। यहां रोड से सटी 3 नाव नजर आई। लोग इन्हीं नाव पर बैठकर आ-जा रहे थे। ये नावें प्रशासन चलवा रहा है। जो लोग सड़क पर नाव पर बैठने का इंतजार कर रहे थे, उनसे बातचीत कर समझ आया कि बाढ़ से जिंदगी मुश्किल हो गई है। लोगों ने बताया कि 10 गांवों में 20 हजार की आबादी है, मगर 5 दिन से बिजली नहीं है। हर कोई अपने घरों की ऊपर की मंजिलों पर समय बिता रहा है। पता नहीं, कब पानी कम होगा। लोग बोले- 3 दिन से हालात बिगड़े, दवाएं-सब्जी सब नाव से आ रहा
नाव पर बैठे हुए लोगों से हमने बातचीत शुरू की। राम आधार कहते हैं- 3 दिन से हालात ज्यादा गंभीर हो गए हैं। प्रशासन ने सिर्फ नाव चलवा दी है। आज बड़ी नाव आई हैं, पहले छोटी वाली नाव थी। उसमें भरोसा नहीं रहता, कब पलट जाए। यहां किसी की तबीयत खराब हो जाए, तो उसको भी नाव से अस्पताल लेकर जाना पड़ रहा है। दवाएं, दूध-सब्जी सब नाव पर ही आ रहा। नाव पर बैठे हरिकिशन कहते हैं- हमारी नौकरी है। बाइक चल नहीं सकती, इसलिए झूंसी के संपर्क मार्ग तक करीब 10 किमी की दूरी नाव से तय कर रहे हैं। फिर वहां से कोई गाड़ी पकड़कर आगे जाएंगे। बिजली के ट्रांसफर डूबे, साइन बोर्ड देखकर समझ आ रहा, हम कहां चल रहे
नाव चला रहे रामबाबू कहते हैं- हम लोग संगम में भी नाव चलाते हैं। अभी झूंसी में बाढ़ का पानी घुसने के बाद बड़ी नाव लेकर आए हैं। ये प्रशासन की व्यवस्था है, किसी से पैसा नहीं चार्ज करते। चूंकि पानी ज्यादा बड़े एरिया में भरा है, इसलिए ज्यादा राउंड नहीं लग पाते। क्योंकि, आने-जाने में वक्त लगता है। नाव पर चलते हुए हमने देखा कि सिर्फ बिजली के खंभे और आधे डूबे हुए घर दिख रहे थे। कहीं-कहीं रोड के साइन बोर्ड दिखते थे। तब पता चलता था कि हम जहां नाव से जा रहे हैं, वहां नीचे सड़क है। ट्रांसफर भी पूरे डूबे हुए थे। इनकी सप्लाई भी बंद रखी गई है। वर्ना पानी में करंट उतर जाएगा। नाव में निकला किंग कोबरा
अभी नाव पर बातचीत का सिलसिला चल ही रहा था कि अचानक हल्ला मचने गया। बाढ़ के पानी के साथ बहकर आया एक सांप हमारी नाव के अंदर छिपा था। नाविक ने बमुश्किल नाव को संभाला। उसके साथी ने सांप को बांस की मदद से दोबारा पानी में फेंक दिया। उसने बताया कि ये किंग कोबरा सांप था। नाव चला रहे रामबाबू कहते हैं- जो जीव-जंतु पानी में मर रहे, वो जमीन पर जाना चाहते हैं। हर तरफ पानी है, इसलिए नाव में घुस जा रहे है। 3 दिनों में यह दूसरा सांप है। इसी तरह शनिवार को दो भैंसें पानी में किनारे की तरफ थीं, अचानक आगे बढ़ गईं। गहराई थी, इसलिए डूबकर मर गईं। नाविक बोले- लोग सिर्फ मोबाइल चार्ज करने कस्बे तक जा रहे
नाव चला रहे रामबाबू ने बताया- करीब 100-150 लोग रोज हमारी नाव से सिर्फ इसलिए सफर करते हैं, ताकि अपना मोबाइल चार्ज कर सकें। मुसीबत आने पर कॉल कर सकें। 5 दिन से बिजली नहीं होने से दिक्कत बढ़ गई है। नाव पर कई लोगों ने बताया कि मोबाइल चार्ज करने को वह नाव से झूंसी बाजार जाते हैं। फुल चार्जिंग के बाद नाव से लौटते हैं, ताकि रात में मोबाइल चालू रहे। लोगों ने कहा- कई गांवों में दूसरी मंजिल तक पानी चढ़ा
लोगों से बातचीत करने पर पता चला कि बदरा सोनौटी, गारापुर, पूर्वा, पूरा सूरदास, कजरिया, ढोल बजवा, कोहना, मुंशी का पूरा जैसे गांवों में घरों की दूसरी मंजिलों तक पानी पहुंचने लगा है। करीब 7 हजार लोग आस-पड़ोस के गांव चले गए हैं, जहां बाढ़ का असर कम है। एक स्टूडेंट राघवेंद्र सिंह ने बताया- स्कूल में पढ़ने के लिए अब रिश्तेदार के घर में रहना पड़ रहा है। छुट्टी होने की वजह से अब गांव जा रहा हूं। बाढ़ से स्कूल की पढ़ाई छूट जाती, इसलिए रिश्तेदार के घर रहना पड़ रहा है। पावर हाउस डूबा, 40 गांव 20 दिन अंधेरे में रहेंगे
पानी के बीच व्यवस्थाओं को समझते हुए हमारी टीम प्रयागराज से 20 किमी दूर बहरिया विकास खंड के थरवई गोड़वा गांव में पहुंची। यहां बिजली का सबस्टेशन पूरी तरह से डूबा हुआ मिला। लोगों ने बताया कि 2018 में करीब डेढ़ करोड़ की लागत से 10 MBA क्षमता का ट्रांसफॉर्मर लगाया गया था। ग्रामीणों का कहना है कि अफसरों ने जल्दबाजी में पावर हाउस तैयार कराया। इसके चलते निचले इलाके में पावर हाउस बन गया। अब हालत यह है कि पूरा पावर हाउस पानी में समा गया। बाढ़ का पानी कम होने के बाद भी पावर हाउस से बिजली सप्लाई चालू होने पर 15-20 दिन का समय लगेगा। क्योंकि, पावर हाउस के सारे उपकरण नए लगेंगे। अब इन एरिया में रहने वालों की समस्या को समझिए… संजय बोले- बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे, उन्हें रिश्तेदारों के घर भेजा
गांव में पानी के बीच मिले संजय कुमार कहते हैं- बदरा सुनौटी और ढोल बजवा पुरवा समेत 4 गांवों के 10 से 20 हजार लोगों की आबादी प्रभावित है। रोजमर्रा के काम और समान को लेने के लिए आधे घंटे नाव में सफर कर आना-जाना पड़ता है। बहुत दिक्कत होती है। बच्चों को हमने रिश्तेदारों के घर भेज दिया है। हमारे इलाके के स्कूल वगैरह भी बंद हैं। यहीं रहने वाले अमित यादव कहते हैं- बाढ़ से बहुत दिक्कत है। घर, खेत, चारागाह सब डूब गए हैं। शहर जाने में आधा घंटा लगता है। बाढ़ की वजह से अब नाव ही सहारा है। अगर सरकार सड़क 10 फीट ऊंचा कर दें, तो हर साल बाढ़ से होने वाली परेशानी दूर हो जाए। ढोल बजवा पुरवा में रहने वाले प्रेम चंद्र कहते हैं- गांव में बना बिजलीघर हर साल डूब जाता है। इससे 40 गांव की बिजली बंद हो जाती है। गांव में बिजली न आने से पीने के पानी तक के लिए तरसना पड़ता है। अब सहसों से सप्लाई देने के लिए बिजली विभाग के अधिकारी कह रहे हैं। लेकिन, वो भी पानी उतरने के बाद ही दी जा सकती है। गोंडवा गांव की 70 साल की राजकुमारी ने बताया- अबकी साल की बाढ़ में मेरे घर में भी पानी भर गया है। अब समझ नहीं आ रहा कि बच्चों को सुलाएं कहां और परिवार का पेट भरने के लिए खाना कहां बनाएं? घर के हर कमरे में पानी भर गया है। घर की बहुएं-बच्चे सब परेशान हैं। सांप-बिच्छू पानी के साथ आ जाते हैं, उनका कुछ कर नहीं सकते। 24 घंटे में 2200 लाेग रेस्क्यू, 3 लाख प्रतियोगी छात्रों ने घर छोड़ा
बाढ़ के हालात इतने भयावह हैं कि रेस्क्यू लगातार चल रहा है। सिर्फ शनिवार को ही एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, बाढ़ चौकी फोर्स और क्यूआरटी ने 2200 लोगों को उनके घरों से सही-सलामत निकाला। ये ऐसे परिवार हैं, जिनकी दूसरी मंजिल तक पानी भर गया था। ये छतों पर फंसे थे। रेस्क्यू ऑपरेशन शहर के छोटा बघाड़ा, बड़ा बघाड़ा, सलोरी, शुक्ल मार्केट, गोविंदपुर, कैलाशपुरी, राजापुर, नेवादा जैसे निचले क्षेत्रों में चल रहा है। ये ऐसे इलाके हैं, जहां सबसे ज्यादा लॉज, हास्टल, किराए के घर हैं। करीब 3 लाख प्रतियोगी छात्र इन इलाकों से पलायन कर गए हैं। 3 दिन में 4 शव बहते नजर आए
बाढ़ से घिरे गांवों के लोगों का कहना है कि जानवरों के शव तो पानी में उतराते नजर आ रहे हैं। पिछले 3 दिनों में 4 शव भी उतराते दिखे। गंगा नदी के बहाव के साथ ये शव उतराते हुए गांव के अंदर तक आ गए हैं। कई लोगों ने शवों के वीडियो भी बनाए हैं। कुछ लोगों ने इस बात की नाराजगी जताई कि प्रशासन के लोग शव तक निकालने नहीं आ रहे हैं। अब उनके सड़ने से बीमारियां फैलेंगी। प्रयागराज में नदियां डेंजर लेवल से ऊपर बह रहीं गंगा नदी यमुना नदी ……………… ये भी पढ़ें : प्रयागराज के 200 गांव में घुसा बाढ़ का पानी, 15 लाख आबादी प्रभावित, महाकुंभ टेंट सिटी जलमग्न; यहां 46% ज्यादा बारिश प्रयागराज में गंगा-यमुना नदी उफान पर हैं। नदियों से सटे 200 से ज्यादा गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है। फसलें डूब गईं हैं। प्रशासन लोगों की मदद के लिए नाव चलवा रहा। मगर बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे। लोगों के कामकाज भी ठप हो चुके हैं। वहीं, शहर के 15 मोहल्लों की सड़कें भी पानी में डूब गई हैं। गंगा-यमुना में बाढ़ जैसे हालात होने से 15 लाख की आबादी पर असर पड़ा है। कई परिवार घर की ऊपर की मंजिलों पर शिफ्ट हुए हैं। बहुत से परिवार रिश्तेदार या दोस्तों के घर चले गए हैं। पढ़िए पूरी खबर…