‘यूपी में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर बिहार जैसी स्थिति नहीं होगी। बिहार में विधानसभा चुनाव से ऐन पहले SIR लागू किया गया था, जबकि यूपी में विधानसभा चुनाव 2027 में होगा। यानी हमारे पास एक साल का ‘बफर टाइम’ है। SIR की मतदाता सूची में नाम जुड़वाने से वंचित रहे मतदाताओं और राजनीतिक दलों के पास विधानसभा चुनाव की मतदाता सूची में नाम शामिल कराने के लिए एक और मौका रहेगा।’ यह कहना है, राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा का। उन्होंने दैनिक भास्कर से SIR की प्रक्रिया और राजनीतिक दलों की भूमिका को लेकर विस्तार से बात की। पढ़िए पूरी खबर… सीईओ नवदीप रिणवा का कहना है- यूपी में बिहार जैसी स्थिति नहीं है। यूपी में SIR की मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन 8 फरवरी, 2026 को हो जाएगा। उसके बाद विधानसभा चुनाव के लिए मतदाता सूची के पुनरीक्षण का एक दौर और चलेगा। फिर भी जो मतदाता नाम जुड़वाने से वंचित रह जाएंगे, वो विधानसभा चुनाव में नामांकन प्रक्रिया तक अपना नाम सूची में शामिल करा सकेंगे। मतदाताओं और राजनीतिक दलों के पास मतदाताओं के नाम जुड़वाने या हटवाने के लिए पर्याप्त समय रहेगा। लिहाजा SIR को लेकर यूपी में बिहार जैसे हालात नहीं होंगे। जानिए चुनाव आयोग की तैयारी क्या? 1- राजनीतिक दलों की ट्रेनिंग आज
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि SIR को लेकर बुधवार को सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के साथ बैठक की जाएगी। राजनीतिक दलों को SIR की प्रक्रिया की जानकारी दी जाएगी। यह एक तरह का प्रशिक्षण ही है। इसके जरिए राजनीतिक दलों से इसमें सहयोग की अपील की जाएगी। 2- ईआरओ ही जिम्मेदार होंगे
सीईओ ने बताया- SIR में विधानसभा क्षेत्र के निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (ERO) की ही जिम्मेदारी होगी। ईआरओ ही बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) की रिपोर्ट के आधार पर मतदाता सूची में नाम जोड़ने और काटने का काम करेंगे। 3- 35 साल से ज्यादा आयु वालों का रिकॉर्ड तैयार
सीईओ ने बताया कि 35 साल से अधिक आयु वाले मतदाताओं का अलग रिकॉर्ड तैयार किया है। वह रिकॉर्ड का लिंक सभी बीएलओ के पास उपलब्ध है। 2003 की मतदाता सूची से मिलान करने में यह मददगार होगा। ‘राजनीतिक दल बीएलए नियुक्त करें’
नवदीप रिणवा का कहना है- सभी राजनीतिक दलों से (SIR) के लिए हर बूथ पर अपने बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) नियुक्त करने का आग्रह किया जाएगा। अभी भी कई मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के सभी बूथों पर बीएलए नियुक्त नहीं हैं। बीएलए SIR में निर्वाचन आयोग के बीएलओ के साथ मिलकर काम करेंगे। वो नजर रखेंगे कि किसी मतदाता का नाम गलत काटा या जोड़ा तो नहीं गया। अगर उन्हें कोई आपत्ति होगी, तो संबंधित विधानसभा क्षेत्र के निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (ईआरओ) को इसकी शिकायत कर सकेंगे। ईआरओ तथ्य के आधार पर उनकी शिकायत और आपत्ति का समाधान करेंगे। बाद में दलों को शिकायत न रहे
सीईओ ने बताया- विधानसभा चुनाव 2022 और लोकसभा चुनाव 2024 में मतदाता सूची को लेकर राजनीतिक दलों ने कई तरह की शिकायतें की थीं। इसलिए आयोग का प्रयास है कि SIR में सभी राजनीतिक दलों के बीएलए की मौजूदगी में ही काम हो। जिससे बाद में किसी भी राजनीतिक दल को कोई शिकायत न रहे। जानिए बिहार SIR के बाद क्या हुआ था?
बिहार में SIR के बाद कुल 68.66 लाख मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए गए थे। बीएलओ के सर्वे के बाद चुनाव आयोग ड्राफ्ट सूची 1 अगस्त, 2025 को जारी किया था। इसमें 65 लाख नाम हट गए थे। इनमें 22 लाख मृत वोटर, दूसरी जगह शिफ्ट हो चुके 36 लाख वोटर और 7 लाख डुप्लीकेशन वाले वोटर थे। दावा-आपत्ति के बाद 3.66 लाख वोटर और हटाए गए। इसमें 2 लाख दूसरी जगह शिफ्ट हो चुके थे। 60 हजार मृत वोटर निकले, 80 हजार डुप्लीकेशन वाले चिह्नित हुए। नए मतदाता के तौर पर अलग से 21.53 लाख वोटर जोड़े गए थे। आखिर में जानिए यूपी में SIR से राजनीतिक फायदा किसे? बूथ पर सपा और भाजपा मजबूत
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं, SIR के लिए बूथ पर भाजपा और सपा ही सबसे मजबूत हैं। सैकड़ों की संख्या में ऐसे पोलिंग बूथ हैं, जहां कांग्रेस और बसपा के बीएलए तैनात नहीं हैं। इतना ही नहीं, सीपीआई, सीपीएम, आम आदमी पार्टी, अपना दल (एस), राष्ट्रीय लोक दल, सुभासपा, निषाद पार्टी और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के बीएलए कुछ विधानसभा क्षेत्रों तक ही सीमित हैं। लिहाजा SIR में पूरा दारोमदार सपा और भाजपा के बीच ही रहेगा। ———————— ये खबर भी पढ़ें… यूपी में SIR, बीएलओ घर-घर 3 जानकारी मांगेंगे, 2003 की मतदाता सूची में आपका नाम नहीं तो क्या करना होगा? चुनाव आयोग ने यूपी समेत देश के 12 राज्यों में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) लागू कर दिया है। 4 नवंबर से बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) घर-घर सर्वे करेंगे। बीएलओ 2003 की मतदाता सूची से आपके परिवार के वोटर्स का मिलान करेंगे। अगर इस सूची में आपका नाम है, तो बीएलओ चुनाव आयोग की ओर से जारी एप के प्रोफार्मा में इसकी जानकारी अपडेट कर देंगे। पढ़ें पूरी खबर
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि SIR को लेकर बुधवार को सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के साथ बैठक की जाएगी। राजनीतिक दलों को SIR की प्रक्रिया की जानकारी दी जाएगी। यह एक तरह का प्रशिक्षण ही है। इसके जरिए राजनीतिक दलों से इसमें सहयोग की अपील की जाएगी। 2- ईआरओ ही जिम्मेदार होंगे
सीईओ ने बताया- SIR में विधानसभा क्षेत्र के निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (ERO) की ही जिम्मेदारी होगी। ईआरओ ही बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) की रिपोर्ट के आधार पर मतदाता सूची में नाम जोड़ने और काटने का काम करेंगे। 3- 35 साल से ज्यादा आयु वालों का रिकॉर्ड तैयार
सीईओ ने बताया कि 35 साल से अधिक आयु वाले मतदाताओं का अलग रिकॉर्ड तैयार किया है। वह रिकॉर्ड का लिंक सभी बीएलओ के पास उपलब्ध है। 2003 की मतदाता सूची से मिलान करने में यह मददगार होगा। ‘राजनीतिक दल बीएलए नियुक्त करें’
नवदीप रिणवा का कहना है- सभी राजनीतिक दलों से (SIR) के लिए हर बूथ पर अपने बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) नियुक्त करने का आग्रह किया जाएगा। अभी भी कई मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के सभी बूथों पर बीएलए नियुक्त नहीं हैं। बीएलए SIR में निर्वाचन आयोग के बीएलओ के साथ मिलकर काम करेंगे। वो नजर रखेंगे कि किसी मतदाता का नाम गलत काटा या जोड़ा तो नहीं गया। अगर उन्हें कोई आपत्ति होगी, तो संबंधित विधानसभा क्षेत्र के निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (ईआरओ) को इसकी शिकायत कर सकेंगे। ईआरओ तथ्य के आधार पर उनकी शिकायत और आपत्ति का समाधान करेंगे। बाद में दलों को शिकायत न रहे
सीईओ ने बताया- विधानसभा चुनाव 2022 और लोकसभा चुनाव 2024 में मतदाता सूची को लेकर राजनीतिक दलों ने कई तरह की शिकायतें की थीं। इसलिए आयोग का प्रयास है कि SIR में सभी राजनीतिक दलों के बीएलए की मौजूदगी में ही काम हो। जिससे बाद में किसी भी राजनीतिक दल को कोई शिकायत न रहे। जानिए बिहार SIR के बाद क्या हुआ था?
बिहार में SIR के बाद कुल 68.66 लाख मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए गए थे। बीएलओ के सर्वे के बाद चुनाव आयोग ड्राफ्ट सूची 1 अगस्त, 2025 को जारी किया था। इसमें 65 लाख नाम हट गए थे। इनमें 22 लाख मृत वोटर, दूसरी जगह शिफ्ट हो चुके 36 लाख वोटर और 7 लाख डुप्लीकेशन वाले वोटर थे। दावा-आपत्ति के बाद 3.66 लाख वोटर और हटाए गए। इसमें 2 लाख दूसरी जगह शिफ्ट हो चुके थे। 60 हजार मृत वोटर निकले, 80 हजार डुप्लीकेशन वाले चिह्नित हुए। नए मतदाता के तौर पर अलग से 21.53 लाख वोटर जोड़े गए थे। आखिर में जानिए यूपी में SIR से राजनीतिक फायदा किसे? बूथ पर सपा और भाजपा मजबूत
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं, SIR के लिए बूथ पर भाजपा और सपा ही सबसे मजबूत हैं। सैकड़ों की संख्या में ऐसे पोलिंग बूथ हैं, जहां कांग्रेस और बसपा के बीएलए तैनात नहीं हैं। इतना ही नहीं, सीपीआई, सीपीएम, आम आदमी पार्टी, अपना दल (एस), राष्ट्रीय लोक दल, सुभासपा, निषाद पार्टी और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के बीएलए कुछ विधानसभा क्षेत्रों तक ही सीमित हैं। लिहाजा SIR में पूरा दारोमदार सपा और भाजपा के बीच ही रहेगा। ———————— ये खबर भी पढ़ें… यूपी में SIR, बीएलओ घर-घर 3 जानकारी मांगेंगे, 2003 की मतदाता सूची में आपका नाम नहीं तो क्या करना होगा? चुनाव आयोग ने यूपी समेत देश के 12 राज्यों में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) लागू कर दिया है। 4 नवंबर से बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) घर-घर सर्वे करेंगे। बीएलओ 2003 की मतदाता सूची से आपके परिवार के वोटर्स का मिलान करेंगे। अगर इस सूची में आपका नाम है, तो बीएलओ चुनाव आयोग की ओर से जारी एप के प्रोफार्मा में इसकी जानकारी अपडेट कर देंगे। पढ़ें पूरी खबर