उन्नाव रेप केस में उम्रकैद की सजा काट रहे भाजपा के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली हाईकोर्ट ने बेल दे दी है। अदालत ने चार शर्तों के साथ कुलदीप सेंगर को रिहा करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ रेप पीड़िता, उसकी मां और एक्टिविस्ट योगिता भयाना मंगलवार की शाम इंडिया गेट के सामने धरने पर बैठ गईं। आधी रात पुलिस इंडिया गेट पहुंच गई। पुलिस ने उन्हें वहां से हटने के लिए कहा। इस पर नोकझोंक और बहस हुई। आखिरकार तीनों को जबरन इंडिया गेट से हटा दिया गया। महिला सिपाही पीड़िता और उसकी मां को उठाकर अपने साथ ले गई। पुलिस तीनों को लेकर कहां गई है, इसका पता नहीं चल सका है। एक्टिविस्ट योगिता भयाना ने पुलिस पर सवाल उठाए हैं। X पर उन्होंने कहा- एक गैंगरेप पीड़िता के साथ ऐसा व्यवहार उच्चित है? उसकी यही गलती है कि न्याय की मांग कर रही है? ये कैसा न्याय है? 2 फोटो देखिए… पीड़िता बोली- उसके आदमी मार देंगे
रेप पीड़िता ने कहा- देश की बेटियां कैसे सुरक्षित रहेंगी, अगर रेप के आरोपियों को बरी कर दिया जाएगा। आज मैं हाईकोर्ट गई थी। आज जजमेंट था। मुझे उस जजमेंट को सुनकर बहुत दुख हुआ। लगा कि मैं सुसाइड कर लूं। मेरे दो मासूम बच्चे हैं, पति हैं, मेरा परिवार है, मेरा भाई है। इन सबके बारे में सोचकर लगा कि अगर मैं नहीं रहूंगी तो मेरा परिवार असुरक्षित हो जाएगा। मेरे परिवार के पास सुरक्षा भी नहीं है। पहले मेरे चाचा की बेल खारिज हो गई। इसके बाद मेरे परिवार की, मेरे पैरोकरों की, मेरे जमानतियों की सुरक्षा हटवाई गई। इसके बाद सारी बहस हो गई। अब 3 महीने बाद जजमेंट आ रहा है। बहस होने के 2-3 दिन बाद जजमेंट होता तो सब कोई सुनता। उसको जमानत मिल गई है। एक बेटी के साथ रेप होता है, उसके पिता को मार दिया जाता है। उसके परिवार को एक्सीडेंट कराया जाता है, मेरा एक्सीडेंट कराया जाता है। सबको खत्म कर दिया जाता है। मैं मौत से लड़कर बाहर आई हूं। सारा सेटलमेंट करके कुलदीप सेंगर को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई। मेरा परिवार ये सब कैसे सहेगा। वो मेरे परिवार के 5 किलोमीटर दूर रहेगा। उनके आदमी तो दूर नहीं हैं, वो तो मार देंगे आकर। उनके आदमी तो सारे बाहर हैं। आरोप- चुनाव जीतने के लिए रेपिस्ट को छोड़ा गया
एक्टिविस्ट योगिता भयाना ने कहा- बच्ची के साथ गलत हुआ है। अन्याय हुआ है। बच्ची के साथ ही नहीं, जो भी बेटियां न्याय की उम्मीद करती हैं, उनके साथ गलत हुआ है। इस केस में इससे वीभत्स कुछ नहीं होगा कि आप एक छोटी बच्ची के साथ रेप करते हो, फिर उसका गैंग रेप करते हो। इसके बाद उसके फादर को कस्टडी में मरवा दो। इसके बाद उसकी बुआ को मरवा दो, मौसी को मरवा दो और वकील को मरवा दो। पूरे खानदान को मरवा दिया गया और उसके बाद इस लड़की का भी एक्सीडेंट कराया गया। उसकी कंडीशन क्रिटिकल थी। उसे 120 से ज्यादा टांके लगे थे। वह 6 महीने अस्पताल में थी। 7 हड्डियां टूट गई थी। ऐसे में वह जिंदा है और न्याय की उम्मीद करती है, वह अपने आप में मिसाल है। लेकिन हमें न्याय नहीं मिलता है। इसी को लेकर हम यहां इंडिया गेट पर बैठे थे। इसके बाद पुलिस हम लोगों को खींचकर यहां से हटा देती है। पहली बात तो न्याय मिलता नहीं और अगर न्याय मांगो तो डंडे मिलते हैं। हमारे वकील से मीटिंग हुई है। हम आगे की प्रक्रिया को देख रहे हैं, लेकिन हमें न्याय व्यवस्था पर भरोसा नहीं है। क्योंकि यूपी में चुनाव भी आ रहा है तो यह हमें सोची समझी साजिश लग रही है। चुनाव जीतने के बाहर उसे बाहर निकाला जा रहा है। पीड़िता की जान को खतरा है। यह देश की शान और इज्जत पर कितना बड़ा धब्बा है कि एक बलात्कारी को छोड़ दिया, क्योंकि आपको चुनाव की पड़ी है। अब हाईकोर्ट के फैसले को जानिए… जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और हरीश वैद्यनाथन शंकर की बेंच ने सेंगर की सजा को अपील पर सुनवाई पूरी होने तक सस्पेंड कर दिया। सेंगर ने सजा के खिलाफ अपील की थी। अदालत ने कुलदीप सिंह सेंगर को 15 लाख रुपए के निजी मुचलके पर सशर्त रिहा करने का आदेश दिया है। साथ ही 4 शर्तें भी लगाईं- 17 साल की लड़की को अगवा कर किया था रेप
उन्नाव में कुलदीप सेंगर और उसके साथियों ने 2017 में नाबालिग को अगवाकर रेप किया था। इस मामले की जांच सीबीआई ने की थी। दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने दोषी कुलदीप सिंह सेंगर को 20 दिसंबर, 2019 को उम्रकैद की सजा सुनाते हुए उसे मृत्यु तक जेल में रखने के आदेश दिए थे। सेंगर पर 25 लाख रुपए जुर्माना भी लगाया गया था। कुलदीप सेंगर की विधानसभा सदस्यता भी रद्द कर दी गई थी। उसे भाजपा ने पार्टी से निकाल दिया था। ‘दैनिक भास्कर’ ने 29 अक्टूबर को ही बता दिया था कि कुलदीप सिंह बिहार चुनाव के बाद जेल से बाहर आएगा। क्लिक करिए… भास्कर पोल में हिस्सा लेकर अपनी राय दे सकते हैं… यूपी का केस सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली ट्रांसफर किया था
2017 में उन्नाव रेप का केस देशभर में काफी चर्चित रहा था। अगस्त 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव रेप केस से जुड़े चार मामलों का ट्रायल दिल्ली ट्रांसफर कर दिया था। आदेश दिया था कि इसे रोजाना सुना जाए और 45 दिनों के भीतर पूरा किया जाए। दिसंबर 2019 में ट्रायल कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। सेंगर ने इस फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। ट्रायल कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया था कि CBI पर्याप्त कदम उठाए, ताकि पीड़ित और उसके परिवार की जान और स्वतंत्रता की रक्षा की जा सके। इसमें परिवार की सहमति से पीड़ित के लिए मकान और पहचान बदलने की व्यवस्थाएं शामिल थीं। कोर्ट ने सेंगर को अधिकतम सजा सुनाते हुए कहा था- सेंगर के लिए कोई सहानुभूति नहीं है। एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में एक लोक सेवक होने के नाते, सेंगर को लोगों का विश्वास प्राप्त था, जिसे उसने तोड़ा और दुराचार का एक ही कृत्य ऐसा करने के लिए काफी था। अदालत के फैसले पर कुलदीप सेंगर जज के सामने गिड़गिड़ाने लगा था। उसने कहा था- कृपया मुझे न्याय दें, मैं निर्दोष हूं। मुझे इस घटना की जानकारी तक नहीं थी। अगर मैंने कुछ गलत किया है तो मेरी आंखों में तेजाब डाल दें या फांसी पर लटका दें। कुलदीप की मौसी ने कहा- मेरा भतीजा निर्दोष था और रहेगा
दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर कुलदीप सेंगर की मौसी ने कहा- मेरा भतीजा निर्दोष है। उसे झूठे मामले में फंसाया गया था। दिल्ली से खबर मिली है कि उसकी सजा निलंबित कर दी गई है। गांव में खुशी की लहर है, लोग मिलने आ रहे हैं, फोन आ रहे हैं। हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि हमारा बेटा जल्दी हमारे सामने आए। वो निर्दोष था, निर्दोष है और निर्दोष रहेगा। मौसी ने कहा, राजनीतिक साजिश में मेरा भतीजा फंसा था। आज भी गांव का कोई भी व्यक्ति यह मानने को तैयार नहीं कि कुलदीप सिंह सेंगर ऐसा अपराध कर सकते हैं। पीड़िता की बड़ी बहन बोली- हम फिर डर के साए में जिएंगे
हाईकोर्ट के फैसले से पीड़िता का परिवार टूट-सा गया है। परिवार के लोगों का कहना है कि उन्हें न तो राहत मिली है और न ही न्याय का एहसास है। पीड़िता की बड़ी बहन ने नाराजगी जाहिर की। कहा, इस फैसले से उनके परिवार की सुरक्षा पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। बहन ने कहा, कोर्ट को हमारे परिवार का दर्द नहीं दिखा। हमारे परिवार में एक-एक करके लोग खत्म होते गए। अगर उनको बाहर निकाल दिया गया तो हमारी जान को खतरा है। अब हम फिर लगातार डर के साए में जीने को मजबूर होंगे। यह मामला केवल कानूनी नहीं बल्कि मानवीय भी है। उन्होंने अदालत से इंसानियत के आधार पर सोचने और परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है। प्रशासन भी स्थिति पर नजर बनाए हुए है, ताकि कानून-व्यवस्था बनी रहे और किसी तरह की अप्रिय स्थिति उत्पन्न न हो। दिल्ली गैंगरेप पीड़िता की मां बोलीं- बिल्कुल जमानत नहीं मिलनी चाहिए दिल्ली गैंगरेप पीड़िता निर्भया की मां आशा देवी ने कहा- यह एक नया नियम बनाया जा रहा, ऐसा नहीं होना चाहिए। आप 500 किमी दूर हों या घर पर, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। फर्क इससे पड़ता है कि आपने अपराध किया है और आपको सजा मिली है। कोर्ट को पीड़ित और उसके साथ जो हुआ, उसे ध्यान में रखते हुए इस पर निष्पक्ष सुनवाई करनी चाहिए। बिल्कुल भी बेल नहीं मिलनी चाहिए। उस परिवार को अभी भी खतरा है। कई बार ऐसा हुआ है कि निचली अदालत और हाईकोर्ट ने पीड़ित को सजा दी है, लेकिन फिर उन्हें सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई। कोर्ट खुद ही मजाक बना रहा है कि ऐसा फैसला कैसे लिया जा सकता है। कांग्रेस से बसपा-सपा में होते हुए भाजपा में आया था कुलदीप
कुलदीप सेंगर की गिनती उत्तर प्रदेश के दलबदलू नेताओं में होती है। 4 बार से लगातार विधायक रहा कुलदीप कभी चुनाव नहीं हारा। उसने उन्नाव जिले की अलग-अलग सीटों से 3 बार चुनाव जीता। वह 2002 में पहली बार बसपा से उन्नाव सदर, 2007 में सपा से बांगरमऊ और 2012 में भगवंतनगर से चुनाव जीता था। 2017 में उसने भाजपा से बांगरमऊ सीट से चुनाव जीता था। उन्नाव रेप केस की टाइमलाइन 42 महीने में 4 मौतें हुई थीं पीड़ित ने पीएम-सीएम को पत्र लिखकर बताया- विधायक ने रेप किया पीड़ित के पिता पर जानलेवा हमला किया गया सुबह 4 बजे कुलदीप सेंगर को हिरासत में लिया था एक्सीडेंट में मारी गईं पीड़ित की मौसी और चाची ————–
ये खबर भी पढ़ें… यूपी BJP अध्यक्ष बोले- आजम खान का हक छीना गया:सपा में अध्यक्ष बनने के लिए दूसरा जन्म लेना पड़ेगा, लखनऊ में पहली बार कॉन्फ्रेंस की यूपी के भाजपा अध्यक्ष पंकज चौधरी ने मंगलवार को लखनऊ में पहली बार प्रेस कॉन्फ्रेंस की। कहा- जल्द ही भाजपा की नई टीम का गठन करेंगे। भाजपा की यही खूबसूरती है कि इसमें एक छोटे से कार्यकर्ता को पीएम, राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है, लेकिन सपा में अगर किसी को अध्यक्ष बनना है तो उसे दूसरा जन्म लेना पड़ेगा। वहां अध्यक्ष परिवार के ही लोग बनेंगे। पढ़ें पूरी खबर…
रेप पीड़िता ने कहा- देश की बेटियां कैसे सुरक्षित रहेंगी, अगर रेप के आरोपियों को बरी कर दिया जाएगा। आज मैं हाईकोर्ट गई थी। आज जजमेंट था। मुझे उस जजमेंट को सुनकर बहुत दुख हुआ। लगा कि मैं सुसाइड कर लूं। मेरे दो मासूम बच्चे हैं, पति हैं, मेरा परिवार है, मेरा भाई है। इन सबके बारे में सोचकर लगा कि अगर मैं नहीं रहूंगी तो मेरा परिवार असुरक्षित हो जाएगा। मेरे परिवार के पास सुरक्षा भी नहीं है। पहले मेरे चाचा की बेल खारिज हो गई। इसके बाद मेरे परिवार की, मेरे पैरोकरों की, मेरे जमानतियों की सुरक्षा हटवाई गई। इसके बाद सारी बहस हो गई। अब 3 महीने बाद जजमेंट आ रहा है। बहस होने के 2-3 दिन बाद जजमेंट होता तो सब कोई सुनता। उसको जमानत मिल गई है। एक बेटी के साथ रेप होता है, उसके पिता को मार दिया जाता है। उसके परिवार को एक्सीडेंट कराया जाता है, मेरा एक्सीडेंट कराया जाता है। सबको खत्म कर दिया जाता है। मैं मौत से लड़कर बाहर आई हूं। सारा सेटलमेंट करके कुलदीप सेंगर को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई। मेरा परिवार ये सब कैसे सहेगा। वो मेरे परिवार के 5 किलोमीटर दूर रहेगा। उनके आदमी तो दूर नहीं हैं, वो तो मार देंगे आकर। उनके आदमी तो सारे बाहर हैं। आरोप- चुनाव जीतने के लिए रेपिस्ट को छोड़ा गया
एक्टिविस्ट योगिता भयाना ने कहा- बच्ची के साथ गलत हुआ है। अन्याय हुआ है। बच्ची के साथ ही नहीं, जो भी बेटियां न्याय की उम्मीद करती हैं, उनके साथ गलत हुआ है। इस केस में इससे वीभत्स कुछ नहीं होगा कि आप एक छोटी बच्ची के साथ रेप करते हो, फिर उसका गैंग रेप करते हो। इसके बाद उसके फादर को कस्टडी में मरवा दो। इसके बाद उसकी बुआ को मरवा दो, मौसी को मरवा दो और वकील को मरवा दो। पूरे खानदान को मरवा दिया गया और उसके बाद इस लड़की का भी एक्सीडेंट कराया गया। उसकी कंडीशन क्रिटिकल थी। उसे 120 से ज्यादा टांके लगे थे। वह 6 महीने अस्पताल में थी। 7 हड्डियां टूट गई थी। ऐसे में वह जिंदा है और न्याय की उम्मीद करती है, वह अपने आप में मिसाल है। लेकिन हमें न्याय नहीं मिलता है। इसी को लेकर हम यहां इंडिया गेट पर बैठे थे। इसके बाद पुलिस हम लोगों को खींचकर यहां से हटा देती है। पहली बात तो न्याय मिलता नहीं और अगर न्याय मांगो तो डंडे मिलते हैं। हमारे वकील से मीटिंग हुई है। हम आगे की प्रक्रिया को देख रहे हैं, लेकिन हमें न्याय व्यवस्था पर भरोसा नहीं है। क्योंकि यूपी में चुनाव भी आ रहा है तो यह हमें सोची समझी साजिश लग रही है। चुनाव जीतने के बाहर उसे बाहर निकाला जा रहा है। पीड़िता की जान को खतरा है। यह देश की शान और इज्जत पर कितना बड़ा धब्बा है कि एक बलात्कारी को छोड़ दिया, क्योंकि आपको चुनाव की पड़ी है। अब हाईकोर्ट के फैसले को जानिए… जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और हरीश वैद्यनाथन शंकर की बेंच ने सेंगर की सजा को अपील पर सुनवाई पूरी होने तक सस्पेंड कर दिया। सेंगर ने सजा के खिलाफ अपील की थी। अदालत ने कुलदीप सिंह सेंगर को 15 लाख रुपए के निजी मुचलके पर सशर्त रिहा करने का आदेश दिया है। साथ ही 4 शर्तें भी लगाईं- 17 साल की लड़की को अगवा कर किया था रेप
उन्नाव में कुलदीप सेंगर और उसके साथियों ने 2017 में नाबालिग को अगवाकर रेप किया था। इस मामले की जांच सीबीआई ने की थी। दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने दोषी कुलदीप सिंह सेंगर को 20 दिसंबर, 2019 को उम्रकैद की सजा सुनाते हुए उसे मृत्यु तक जेल में रखने के आदेश दिए थे। सेंगर पर 25 लाख रुपए जुर्माना भी लगाया गया था। कुलदीप सेंगर की विधानसभा सदस्यता भी रद्द कर दी गई थी। उसे भाजपा ने पार्टी से निकाल दिया था। ‘दैनिक भास्कर’ ने 29 अक्टूबर को ही बता दिया था कि कुलदीप सिंह बिहार चुनाव के बाद जेल से बाहर आएगा। क्लिक करिए… भास्कर पोल में हिस्सा लेकर अपनी राय दे सकते हैं… यूपी का केस सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली ट्रांसफर किया था
2017 में उन्नाव रेप का केस देशभर में काफी चर्चित रहा था। अगस्त 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव रेप केस से जुड़े चार मामलों का ट्रायल दिल्ली ट्रांसफर कर दिया था। आदेश दिया था कि इसे रोजाना सुना जाए और 45 दिनों के भीतर पूरा किया जाए। दिसंबर 2019 में ट्रायल कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। सेंगर ने इस फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। ट्रायल कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया था कि CBI पर्याप्त कदम उठाए, ताकि पीड़ित और उसके परिवार की जान और स्वतंत्रता की रक्षा की जा सके। इसमें परिवार की सहमति से पीड़ित के लिए मकान और पहचान बदलने की व्यवस्थाएं शामिल थीं। कोर्ट ने सेंगर को अधिकतम सजा सुनाते हुए कहा था- सेंगर के लिए कोई सहानुभूति नहीं है। एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में एक लोक सेवक होने के नाते, सेंगर को लोगों का विश्वास प्राप्त था, जिसे उसने तोड़ा और दुराचार का एक ही कृत्य ऐसा करने के लिए काफी था। अदालत के फैसले पर कुलदीप सेंगर जज के सामने गिड़गिड़ाने लगा था। उसने कहा था- कृपया मुझे न्याय दें, मैं निर्दोष हूं। मुझे इस घटना की जानकारी तक नहीं थी। अगर मैंने कुछ गलत किया है तो मेरी आंखों में तेजाब डाल दें या फांसी पर लटका दें। कुलदीप की मौसी ने कहा- मेरा भतीजा निर्दोष था और रहेगा
दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर कुलदीप सेंगर की मौसी ने कहा- मेरा भतीजा निर्दोष है। उसे झूठे मामले में फंसाया गया था। दिल्ली से खबर मिली है कि उसकी सजा निलंबित कर दी गई है। गांव में खुशी की लहर है, लोग मिलने आ रहे हैं, फोन आ रहे हैं। हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि हमारा बेटा जल्दी हमारे सामने आए। वो निर्दोष था, निर्दोष है और निर्दोष रहेगा। मौसी ने कहा, राजनीतिक साजिश में मेरा भतीजा फंसा था। आज भी गांव का कोई भी व्यक्ति यह मानने को तैयार नहीं कि कुलदीप सिंह सेंगर ऐसा अपराध कर सकते हैं। पीड़िता की बड़ी बहन बोली- हम फिर डर के साए में जिएंगे
हाईकोर्ट के फैसले से पीड़िता का परिवार टूट-सा गया है। परिवार के लोगों का कहना है कि उन्हें न तो राहत मिली है और न ही न्याय का एहसास है। पीड़िता की बड़ी बहन ने नाराजगी जाहिर की। कहा, इस फैसले से उनके परिवार की सुरक्षा पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। बहन ने कहा, कोर्ट को हमारे परिवार का दर्द नहीं दिखा। हमारे परिवार में एक-एक करके लोग खत्म होते गए। अगर उनको बाहर निकाल दिया गया तो हमारी जान को खतरा है। अब हम फिर लगातार डर के साए में जीने को मजबूर होंगे। यह मामला केवल कानूनी नहीं बल्कि मानवीय भी है। उन्होंने अदालत से इंसानियत के आधार पर सोचने और परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है। प्रशासन भी स्थिति पर नजर बनाए हुए है, ताकि कानून-व्यवस्था बनी रहे और किसी तरह की अप्रिय स्थिति उत्पन्न न हो। दिल्ली गैंगरेप पीड़िता की मां बोलीं- बिल्कुल जमानत नहीं मिलनी चाहिए दिल्ली गैंगरेप पीड़िता निर्भया की मां आशा देवी ने कहा- यह एक नया नियम बनाया जा रहा, ऐसा नहीं होना चाहिए। आप 500 किमी दूर हों या घर पर, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। फर्क इससे पड़ता है कि आपने अपराध किया है और आपको सजा मिली है। कोर्ट को पीड़ित और उसके साथ जो हुआ, उसे ध्यान में रखते हुए इस पर निष्पक्ष सुनवाई करनी चाहिए। बिल्कुल भी बेल नहीं मिलनी चाहिए। उस परिवार को अभी भी खतरा है। कई बार ऐसा हुआ है कि निचली अदालत और हाईकोर्ट ने पीड़ित को सजा दी है, लेकिन फिर उन्हें सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई। कोर्ट खुद ही मजाक बना रहा है कि ऐसा फैसला कैसे लिया जा सकता है। कांग्रेस से बसपा-सपा में होते हुए भाजपा में आया था कुलदीप
कुलदीप सेंगर की गिनती उत्तर प्रदेश के दलबदलू नेताओं में होती है। 4 बार से लगातार विधायक रहा कुलदीप कभी चुनाव नहीं हारा। उसने उन्नाव जिले की अलग-अलग सीटों से 3 बार चुनाव जीता। वह 2002 में पहली बार बसपा से उन्नाव सदर, 2007 में सपा से बांगरमऊ और 2012 में भगवंतनगर से चुनाव जीता था। 2017 में उसने भाजपा से बांगरमऊ सीट से चुनाव जीता था। उन्नाव रेप केस की टाइमलाइन 42 महीने में 4 मौतें हुई थीं पीड़ित ने पीएम-सीएम को पत्र लिखकर बताया- विधायक ने रेप किया पीड़ित के पिता पर जानलेवा हमला किया गया सुबह 4 बजे कुलदीप सेंगर को हिरासत में लिया था एक्सीडेंट में मारी गईं पीड़ित की मौसी और चाची ————–
ये खबर भी पढ़ें… यूपी BJP अध्यक्ष बोले- आजम खान का हक छीना गया:सपा में अध्यक्ष बनने के लिए दूसरा जन्म लेना पड़ेगा, लखनऊ में पहली बार कॉन्फ्रेंस की यूपी के भाजपा अध्यक्ष पंकज चौधरी ने मंगलवार को लखनऊ में पहली बार प्रेस कॉन्फ्रेंस की। कहा- जल्द ही भाजपा की नई टीम का गठन करेंगे। भाजपा की यही खूबसूरती है कि इसमें एक छोटे से कार्यकर्ता को पीएम, राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है, लेकिन सपा में अगर किसी को अध्यक्ष बनना है तो उसे दूसरा जन्म लेना पड़ेगा। वहां अध्यक्ष परिवार के ही लोग बनेंगे। पढ़ें पूरी खबर…