यूपी में शादी का मौसम लौट आया है। हर कपल की एक ही ख्वाहिश होती है- शादी यादगार बने, लेकिन बैंक बैलेंस न बिगड़े। डेस्टिनेशन वेडिंग्स का ग्लैमर लुभाता जरूर है, पर भारी-भरकम खर्च कई बार धड़कनें बढ़ा देता है। अब यूपी में एक नया ट्रेंड तेजी से उभर रहा है ‘स्मार्ट वेडिंग’। दैनिक भास्कर ऐप लाया है कि नई सीरीज ‘बैंड, बाजा, बजट’। 5 एपिसोड की इस सीरीज में आप जानेंगे बजटिंग, डेकोरेशन, फूड, फोटोग्राफी, शॉपिंग से लेकर डिजिटल इन्विटेशन के स्मार्ट तरीके। हर एपिसोड में होगी एक्सपर्ट्स की सलाह, लोकल कहानी और स्मार्ट ट्रिक। पहले एपिसोड में जानिए कैसे स्मार्ट बजट बनाएं और 5 लाख से 10 लाख रुपए के भीतर शादी को शानदार बनाएं… गोरखपुर के गौरव पांडेय बैंक में नौकरी करते हैं। नौकरी के दौरान उन्होंने देखा कि कई लोग शादी के लिए पर्सनल लोन लेते हैं। फिर शादी के बाद भारी-भरकम ब्याज के तले दबे रहते हैं। जो पैसा उन्हें अपनी नई-नवेली गृहस्थी पर खर्च करना चाहिए, वो EMI में चला जाता है। गौरव ने तभी ठान लिया था कि वे अपनी शादी में एक रुपया भी उधार नहीं लेंगे। एक दिन उनके पापा के दोस्त ने एक फोटो दिखाई, वो विभा की थी। घरवालों को विभा पसंद आ गईं। उधर विभा के परिवारवालों को भी गौरव भा गए। कुछ मुलाकातों के बाद दोनों एक-दूसरे को समझने लगे। दोनों ने फैसला किया कि बिना फिजूल खर्च के स्मार्ट वेडिंग प्लान करेंगे। विभा हंसते हुए कहती हैं, “हमने सादगी के साथ शादी की। आज हमारी शादी को एक साल होने जा रहा। कभी बहस होती है, कभी प्यार, पर रिश्ता बहुत मीठा और सच्चा है।” गौरव आगे जोड़ते हैं, “शादी को बड़ा बनाने के लिए लाखों रुपए नहीं, बस स्मार्ट प्लानिंग चाहिए।” एक्सपर्ट्स से समझिए स्मार्ट वेडिंग प्लानिंग… 4-पिलर बजट, ऑफ सीजन खरीदारी से पैसा बचाएं
लखनऊ के वेडिंग प्लानर शुभ कहते हैं कि बजट छोटा-बड़ा नहीं होता, प्लानिंग स्मार्ट होनी चाहिए। पहले शादी का मतलब था बड़ा हॉल, ढेर सारे मेहमान और धूम-धड़ाका। अब लोग स्मार्ट प्लानिंग पर फोकस कर रहे। कई बार तो ऐसा होता है कि कपल हमारे पास सजेशन लेने आते हैं। प्लान बनवाते हैं और शादी खुद अरेंज करते हैं। वेडिंग प्लानर शिवांगी कहती हैं कि यूपी के टियर-2 और टियर-3 यानी कानपुर, वाराणसी, शाहजहांपुर, इटावा, रामपुर जैसे शहरों में भी शादी का तरीका बदल रहा है। लोग चमक-दमक की जगह क्लास पर फोकस कर रहे। कपल्स दिखावे में खर्च होने वाला पैसा फ्यूचर के लिए सेव कर रहे, यही ‘स्मार्ट वेडिंग’ है। प्लानर्स बताते हैं कि ज्यादातर खर्च वेन्यू, सजावट, खाना, कपड़े, मेकअप वगैरह पर ही आता है। स्मार्ट शादी के लिए हम इन सबका बजट पहले ही तय कर लेना चाहिए। ऐसा इसलिए, ताकि एक हिस्से पर बहुत ज्यादा खर्च न हो और पूरी शादी में एक जैसा क्लास दिखे। सबसे जरूरी बात, ऑफ सीजन में शादी की खरीदारी करने से काफी पैसा बच सकता है। खर्च करने से पहले उसकी जरूरत और अन्य ऑप्शन भी देखें। दिखावे की जगह इमोशनल वैल्यू की चीजों पर खर्च करें। इसके लिए आपको शादी से 6-8 महीने पहले प्लानिंग शुरू करनी चाहिए। वेन्यू और डेकोरेशन में दिखेगा टैरेस और लॉन का जादू हल्दी, मेहंदी, संगीत: वेडिंग प्लानर शिवांगी सजेस्ट करती हैं कि बजट फ्रेंडली शादी के लिए हल्दी, मेहंदी और संगीत जैसे फंक्शन किसी छोटे रेस्टोरेंट या कम्युनिटी हॉल में कर सकते हैं। चाहें तो घर के लॉन या छत पर भी फंक्शन हो सकते हैं। इससे पैसे तो बचते ही हैं, परिवार का अपनापन भी मिलता है। फंक्शन सनसेट के टाइम रखें। वो टाइम फोटो-वीडियोग्राफी के लिए सबसे अच्छा होता है और डिम लाइट से ऐस्थेटिक लुक भी मिलता है। इन दिनों दिन में शादी करने का भी ट्रेंड है। इससे लाइटिंग का खर्च बचता है, साथ ही रात की थकावट न होने से फोटो अच्छे आते हैं। शादी का वेन्यू: वेडिंग प्लानर शुभ कहते हैं कि आजकल हर शहर में शादी के ढेरों वेन्यू ऑप्शन मौजूद हैं। आप बजट के हिसाब से बैंक्वेट हॉल, गेस्ट हाउस या लॉन चुन सकते हैं। कुछ के पास ‘कॉम्बो ऑफर’ भी रहता है। इसमें डेकोरेशन और फूड भी शामिल रहता है। वेन्यू + डेकोरेशन का ऑप्शन बजट फ्रेंडली रहता है। इसके अलावा वेन्यू के लिए स्कूल या क्लब ग्राउंड्स बहुत किफायती साबित होते हैं। छोटे शहरों में आसानी से मिल भी जाते हैं। लोकल वेंडर कम बजट में बढ़िया सजावट करते हैं, लेकिन शादी से तीन-चार महीने पहले इनकी बुकिंग कर लें। इससे 30% तक की बचत हो सकती है। खाने में कल्चरल टच, स्मार्ट मेन्यू से वेस्ट कंट्रोल लखनऊ के समीर वारसी करीब 6 साल से कैटरिंग बिजनेस में हैं। वे कहते हैं कि खाना ही शादी का दिल होता है। सबसे ज्यादा खर्च भी इसी पर होता है और रिश्तेदार ढूंढ-ढूंढकर कमियां भी निकालते हैं। कोरोना से पहले शादियों में चार-छह सौ मेहमान तक आते थे। कहीं-कहीं ये और भी ज्यादा होते थे। अब 150 से 200 मेहमान ही होते हैं। इसके अलावा यूपी में लोकल फ्लेवर्स की वापसी हो रही है। क्लाइंट अब कढ़ी, दम आलू, मटर चाट, आलू टिक्की, अलग-अलग तरह की पकौड़ियां, मीठे में जलेबी, इमरती, रबड़ी की डिमांड करते हैं। छोटे शहरों में लोग लोकल हलवाई ही हायर कर रहे हैं। इससे खाने की क्वालिटी और खर्च दोनों कंट्रोल में रहता है। स्मार्ट प्लानिंग ये है कि बुफे में बहुत ज्यादा आइटम न रखें। वही डिश रखें जो सबको पसंद आए। पांच आइटम रखिए, लेकिन लाजवाब टेस्ट हो। फूड वेस्ट न हो, इसके लिए किसी NGO से कॉन्टैक्ट जरूर रखें। मां की साड़ी से बनेगा ‘यादगार’ लहंगा फैशन डिजाइनर कृतिका बताती हैं कि आजकल मां और दादी-नानी की साड़ियों से लहंगा बनवाने का चलन है। टाइमलेस बनारसी हो या कांजीवरम उसे रि-डिजाइन करके ड्रेस बनवा सकते हैं। लोकल बुटीक बेहद कम बजट में मनमाफिक आउटफिट बना देते हैं। इसकी इमोशनल वैल्यू भी होती है। हमारी एक कस्टमर के पिता की डेथ हो चुकी थी। उनकी डिमांड थी कि पिता की कोई याद लहंगे में हो। हमने लहंगे की डिजाइन में कस्टमर के पिता का नाम लिखवाया। डिजाइन उन्हें इमोशनली टच कर गई। फैशन डिजाइनर सुधी मिश्रा कहती हैं कि ब्रांडेड या बड़े बाजारों से खरीदारी की जरूरत नहीं। लोकल मार्केट में भी आपको यूनीक और डिफरेंट डिजाइंस मिल सकते हैं। बस थोड़ी-सी मेहनत करनी होगी। लखनऊ या आसपास के जिले में हैं, तो चौक-अमीनाबाद जैसी मार्केट्स जरूर एक्सप्लोर करें। बनारस में पीली कोठी और आगरा, कानपुर की लोकल मार्केट्स में कल्चरल डिजाइन तैयार करने वाले कारीगर मिल जाएंगे। यही डिजाइन को यूनीक बनाता है। दूल्हा ज्यादातर शेरवानी या सूट पहनता है, लेकिन वो भी इमोशनल जुड़ाव वाले कपड़े डिजाइन करवा सकते हैं। साड़ी के पल्लू से बहुत सुंदर नेहरू जैकेट बन सकती है। बची हुई साड़ी का लहंगे में इस्तेमाल हो सकता है। इनके अलावा रेंटल आउटफिट भी अच्छा ऑप्शन है। इसकी वजह है कि शादी का लहंगा या शेरवानी शायद ही दोबारा बेहद कम पहना जाता है। ऐसे में रेंटल सर्विस किफायती हो सकती है। मेकअप-मेहंदी के फैमिली ऑफर से 30% की बचत मेकअप आर्टिस्ट नेहा रस्तोगी बताती हैं- मेरठ, आगरा, बरेली जैसे शहरों में मेकअप का कम से कम खर्च 5 से 20 हजार रुपए होता ही है। बजट के हिसाब से ऊपर-नीचे होता है। एयरब्रश मेकअप चाहिए तो रेट और बढ़ जाएंगे। शादी से तीन-चार महीने पहले ही मेकअप और मेहंदी आर्टिस्ट भी उसी समय तय कर लेना चाहिए, ताकि रेट लॉक हो जाए। ये भी क्लियर करें कि हाफ हैंड मेहंदी चाहिए या फुल। फैमिली ऑफर भी जरूर पूछें। ये 20 से 30% की बचत करवा सकता है। डिजाइन, टाइमिंग और फैमिली पैकेज सब पहले लिखवा लें, वरना शादी वाले दिन सब उलझ जाता है। शादी से 10-15 दिन पहले मेकअप का ट्रायल लेना भी ठीक रहता है। इससे एलर्जी या रिएक्शन पता चल जाता है और समय रहते दूसरी तरह का मेकअप फाइनल कर सकते हैं। भारी ज्वेलरी की जगह आर्टिफिशियल या पर्ल ज्वेलरी लें। यह बजट फ्रेंडली के साथ सुंदर भी होती है। कुछ पीस शादी के दूसरे फंक्शंस में पहनने के लिए भी चुनें। प्री-वेडिंग शूट की जगह इमोशनल पल कैप्चर करें पुराने समय में घरवाले और रिश्तेदार ही मिलकर शादी का सारा काम करते थे। आजकल इसे DIY यानी डू इट योर सेल्फ कहते हैं। दूल्हा-दुल्हन के दोस्त, रिश्तेदार वगैरह मिलकर घर और हल्दी-मेहंदी जैसे फंक्शन में सजावट कर सकते हैं। हल्दी में यलो और मेहंदी में ग्रीन फैब्रिक थीम का इस्तेमाल आम है। आप अपने हिसाब से एक्सपेरिमेंट कर सकते हैं। इमोशनल टच के लिए बिजली की लड़ियों के बीच पुरानी फोटोज की हैंगिंग्स इस्तेमाल कर सकते हैं। फोटोग्राफी किसी भी शादी का सबसे खास हिस्सा होता है। प्रोफेशनल फोटोग्राफर तुषार बताते हैं कि शादी करने वाले लोग महंगे स्टूडियो के बजाय शौकिया फोटोग्राफर्स को हायर कर रहे हैं, क्योंकि ये लोग भी बेहतरीन रिजल्ट दे रहे हैं। कानपुर-लखनऊ जैसे शहरों में कॉलेज स्टूडेंट्स कम बजट में डॉक्यूमेंट्री-स्टाइल फोटो शूट कर रहे हैं। फ्रीलांसर भी अच्छा काम कर रहे। इंस्टाग्राम पर आपको आसानी से ऐसे लोग मिल जाएंगे। प्री-वेडिंग शूट पर खर्च करने के बजाय दोस्तों से शादी के इमोशनल पल रिकॉर्ड करके रील्स बनवाएं। ये सबसे ज्यादा शेयरेबल और रियल होता है। ‘स्मार्ट वेडिंग’ के लिए 5 जादुई टिप्स टिप 1: अपने बजट को 4 हिस्सों में बांटें (4-पिलर बजट) वेन्यू+डेकोरेशन: 30-35% तक
कैटरिंग: 35-40% तक
कपड़े+ज्वैलरी+मेकअप: 15-20% तक
मिसलेनियस: 10-15% तक टिप 2: लोकल वेंडर्स की ताकत पहचानें छोटे लॉन/सरकारी गेस्ट हाउस: महंगे बैंक्वेट हॉल की जगह, अपनी कॉलोनी के कम्युनिटी सेंटर, किसी स्कूल के लॉन, या सरकारी गेस्ट हाउस को किराए पर लें।
डेकोरेशन: लोकल मार्केट में उपलब्ध फूल इस्तेमाल करें। DIY पर फोकस करें। ये कम कीमत में ‘देसी और रियल’ ऐस्थेटिक देते हैं।
लोकल हलवाई: कैटरिंग के लिए लोकल हलवाई को हायर करें। मेन्यू में लिमिटेड आइटम रखें। क्वालिटी और UP का लोकल स्वाद कम बजट में मिल जाएंगे। टिप 3: DIY और डिजिटल बनिए ई-इन्विटेशन: महंगे प्रिंटेड कार्ड की जगह डिजिटल इन्विटेशन यानी वीडियो या ग्राफिक भेजें। इससे पैसे बचेंगे और ये इको-फ्रेंडली भी है।
DIY डेकोर: हल्दी/मेहंदी के लिए अपनी पुरानी साड़ी और दुपट्टों का इस्तेमाल करें। जूट की रस्सियां, कांच की बोतलें और गेंदे के फूल सबसे किफायती और एथनिक डेकोरेशन देते हैं।
फोटोग्राफी: बड़े स्टूडियो के बजाय फ्रीलांसर या शौकिया फोटोग्राफर्स चुनें। टिपिकल वेडिंग पोज की जगह क्रिएटिव फोटोशूट दे सकते हैं। टिप 4: ‘इमोशनल वैल्यू’ को ब्रांडेड से ऊपर रखें कपड़े: अच्छे रेंटल सर्विस से लहंगा किराए पर लें। मां-दादी की पुरानी बनारसी साड़ी से लहंगा बनवाएं।
कंटेंट: प्री-वेडिंग शूट पर हजारों खर्च करने के बजाय दोस्तों से शादी के इमोशनल पल रिकॉर्ड करके रील्स बनवाएं। ये सबसे ज्यादा शेयरेबल और रियल होता है। टिप 5: इको-फ्रेंडली और सामाजिक जिम्मेदारी नो फूड वेस्ट: खाने की बर्बादी को रोकने के लिए बचा हुआ खाना लोकल NGO तक पहुंचाएं।
प्लास्टिक को ‘NO’: प्लास्टिक की जगह कागज या इकोफ्रेंडली मटेरियल से बने डिस्पोजेबल का इस्तेमाल करें। ये वेडिंग सीजन आपका है। अपनी शादी को भव्य ही नहीं स्मार्ट, सार्थक और कल्चर से भरपूर बनाएं। कल हम आपको यूपी के उन चुनिंदा शहरों के बारे में बताएंगे जहां कम खर्च में यादगार डेस्टिनेशन वेडिंग हो सकती है। **** स्टोरी एडिट- कृष्ण गोपाल ग्राफिक्स- सौरभ कुमार
लखनऊ के वेडिंग प्लानर शुभ कहते हैं कि बजट छोटा-बड़ा नहीं होता, प्लानिंग स्मार्ट होनी चाहिए। पहले शादी का मतलब था बड़ा हॉल, ढेर सारे मेहमान और धूम-धड़ाका। अब लोग स्मार्ट प्लानिंग पर फोकस कर रहे। कई बार तो ऐसा होता है कि कपल हमारे पास सजेशन लेने आते हैं। प्लान बनवाते हैं और शादी खुद अरेंज करते हैं। वेडिंग प्लानर शिवांगी कहती हैं कि यूपी के टियर-2 और टियर-3 यानी कानपुर, वाराणसी, शाहजहांपुर, इटावा, रामपुर जैसे शहरों में भी शादी का तरीका बदल रहा है। लोग चमक-दमक की जगह क्लास पर फोकस कर रहे। कपल्स दिखावे में खर्च होने वाला पैसा फ्यूचर के लिए सेव कर रहे, यही ‘स्मार्ट वेडिंग’ है। प्लानर्स बताते हैं कि ज्यादातर खर्च वेन्यू, सजावट, खाना, कपड़े, मेकअप वगैरह पर ही आता है। स्मार्ट शादी के लिए हम इन सबका बजट पहले ही तय कर लेना चाहिए। ऐसा इसलिए, ताकि एक हिस्से पर बहुत ज्यादा खर्च न हो और पूरी शादी में एक जैसा क्लास दिखे। सबसे जरूरी बात, ऑफ सीजन में शादी की खरीदारी करने से काफी पैसा बच सकता है। खर्च करने से पहले उसकी जरूरत और अन्य ऑप्शन भी देखें। दिखावे की जगह इमोशनल वैल्यू की चीजों पर खर्च करें। इसके लिए आपको शादी से 6-8 महीने पहले प्लानिंग शुरू करनी चाहिए। वेन्यू और डेकोरेशन में दिखेगा टैरेस और लॉन का जादू हल्दी, मेहंदी, संगीत: वेडिंग प्लानर शिवांगी सजेस्ट करती हैं कि बजट फ्रेंडली शादी के लिए हल्दी, मेहंदी और संगीत जैसे फंक्शन किसी छोटे रेस्टोरेंट या कम्युनिटी हॉल में कर सकते हैं। चाहें तो घर के लॉन या छत पर भी फंक्शन हो सकते हैं। इससे पैसे तो बचते ही हैं, परिवार का अपनापन भी मिलता है। फंक्शन सनसेट के टाइम रखें। वो टाइम फोटो-वीडियोग्राफी के लिए सबसे अच्छा होता है और डिम लाइट से ऐस्थेटिक लुक भी मिलता है। इन दिनों दिन में शादी करने का भी ट्रेंड है। इससे लाइटिंग का खर्च बचता है, साथ ही रात की थकावट न होने से फोटो अच्छे आते हैं। शादी का वेन्यू: वेडिंग प्लानर शुभ कहते हैं कि आजकल हर शहर में शादी के ढेरों वेन्यू ऑप्शन मौजूद हैं। आप बजट के हिसाब से बैंक्वेट हॉल, गेस्ट हाउस या लॉन चुन सकते हैं। कुछ के पास ‘कॉम्बो ऑफर’ भी रहता है। इसमें डेकोरेशन और फूड भी शामिल रहता है। वेन्यू + डेकोरेशन का ऑप्शन बजट फ्रेंडली रहता है। इसके अलावा वेन्यू के लिए स्कूल या क्लब ग्राउंड्स बहुत किफायती साबित होते हैं। छोटे शहरों में आसानी से मिल भी जाते हैं। लोकल वेंडर कम बजट में बढ़िया सजावट करते हैं, लेकिन शादी से तीन-चार महीने पहले इनकी बुकिंग कर लें। इससे 30% तक की बचत हो सकती है। खाने में कल्चरल टच, स्मार्ट मेन्यू से वेस्ट कंट्रोल लखनऊ के समीर वारसी करीब 6 साल से कैटरिंग बिजनेस में हैं। वे कहते हैं कि खाना ही शादी का दिल होता है। सबसे ज्यादा खर्च भी इसी पर होता है और रिश्तेदार ढूंढ-ढूंढकर कमियां भी निकालते हैं। कोरोना से पहले शादियों में चार-छह सौ मेहमान तक आते थे। कहीं-कहीं ये और भी ज्यादा होते थे। अब 150 से 200 मेहमान ही होते हैं। इसके अलावा यूपी में लोकल फ्लेवर्स की वापसी हो रही है। क्लाइंट अब कढ़ी, दम आलू, मटर चाट, आलू टिक्की, अलग-अलग तरह की पकौड़ियां, मीठे में जलेबी, इमरती, रबड़ी की डिमांड करते हैं। छोटे शहरों में लोग लोकल हलवाई ही हायर कर रहे हैं। इससे खाने की क्वालिटी और खर्च दोनों कंट्रोल में रहता है। स्मार्ट प्लानिंग ये है कि बुफे में बहुत ज्यादा आइटम न रखें। वही डिश रखें जो सबको पसंद आए। पांच आइटम रखिए, लेकिन लाजवाब टेस्ट हो। फूड वेस्ट न हो, इसके लिए किसी NGO से कॉन्टैक्ट जरूर रखें। मां की साड़ी से बनेगा ‘यादगार’ लहंगा फैशन डिजाइनर कृतिका बताती हैं कि आजकल मां और दादी-नानी की साड़ियों से लहंगा बनवाने का चलन है। टाइमलेस बनारसी हो या कांजीवरम उसे रि-डिजाइन करके ड्रेस बनवा सकते हैं। लोकल बुटीक बेहद कम बजट में मनमाफिक आउटफिट बना देते हैं। इसकी इमोशनल वैल्यू भी होती है। हमारी एक कस्टमर के पिता की डेथ हो चुकी थी। उनकी डिमांड थी कि पिता की कोई याद लहंगे में हो। हमने लहंगे की डिजाइन में कस्टमर के पिता का नाम लिखवाया। डिजाइन उन्हें इमोशनली टच कर गई। फैशन डिजाइनर सुधी मिश्रा कहती हैं कि ब्रांडेड या बड़े बाजारों से खरीदारी की जरूरत नहीं। लोकल मार्केट में भी आपको यूनीक और डिफरेंट डिजाइंस मिल सकते हैं। बस थोड़ी-सी मेहनत करनी होगी। लखनऊ या आसपास के जिले में हैं, तो चौक-अमीनाबाद जैसी मार्केट्स जरूर एक्सप्लोर करें। बनारस में पीली कोठी और आगरा, कानपुर की लोकल मार्केट्स में कल्चरल डिजाइन तैयार करने वाले कारीगर मिल जाएंगे। यही डिजाइन को यूनीक बनाता है। दूल्हा ज्यादातर शेरवानी या सूट पहनता है, लेकिन वो भी इमोशनल जुड़ाव वाले कपड़े डिजाइन करवा सकते हैं। साड़ी के पल्लू से बहुत सुंदर नेहरू जैकेट बन सकती है। बची हुई साड़ी का लहंगे में इस्तेमाल हो सकता है। इनके अलावा रेंटल आउटफिट भी अच्छा ऑप्शन है। इसकी वजह है कि शादी का लहंगा या शेरवानी शायद ही दोबारा बेहद कम पहना जाता है। ऐसे में रेंटल सर्विस किफायती हो सकती है। मेकअप-मेहंदी के फैमिली ऑफर से 30% की बचत मेकअप आर्टिस्ट नेहा रस्तोगी बताती हैं- मेरठ, आगरा, बरेली जैसे शहरों में मेकअप का कम से कम खर्च 5 से 20 हजार रुपए होता ही है। बजट के हिसाब से ऊपर-नीचे होता है। एयरब्रश मेकअप चाहिए तो रेट और बढ़ जाएंगे। शादी से तीन-चार महीने पहले ही मेकअप और मेहंदी आर्टिस्ट भी उसी समय तय कर लेना चाहिए, ताकि रेट लॉक हो जाए। ये भी क्लियर करें कि हाफ हैंड मेहंदी चाहिए या फुल। फैमिली ऑफर भी जरूर पूछें। ये 20 से 30% की बचत करवा सकता है। डिजाइन, टाइमिंग और फैमिली पैकेज सब पहले लिखवा लें, वरना शादी वाले दिन सब उलझ जाता है। शादी से 10-15 दिन पहले मेकअप का ट्रायल लेना भी ठीक रहता है। इससे एलर्जी या रिएक्शन पता चल जाता है और समय रहते दूसरी तरह का मेकअप फाइनल कर सकते हैं। भारी ज्वेलरी की जगह आर्टिफिशियल या पर्ल ज्वेलरी लें। यह बजट फ्रेंडली के साथ सुंदर भी होती है। कुछ पीस शादी के दूसरे फंक्शंस में पहनने के लिए भी चुनें। प्री-वेडिंग शूट की जगह इमोशनल पल कैप्चर करें पुराने समय में घरवाले और रिश्तेदार ही मिलकर शादी का सारा काम करते थे। आजकल इसे DIY यानी डू इट योर सेल्फ कहते हैं। दूल्हा-दुल्हन के दोस्त, रिश्तेदार वगैरह मिलकर घर और हल्दी-मेहंदी जैसे फंक्शन में सजावट कर सकते हैं। हल्दी में यलो और मेहंदी में ग्रीन फैब्रिक थीम का इस्तेमाल आम है। आप अपने हिसाब से एक्सपेरिमेंट कर सकते हैं। इमोशनल टच के लिए बिजली की लड़ियों के बीच पुरानी फोटोज की हैंगिंग्स इस्तेमाल कर सकते हैं। फोटोग्राफी किसी भी शादी का सबसे खास हिस्सा होता है। प्रोफेशनल फोटोग्राफर तुषार बताते हैं कि शादी करने वाले लोग महंगे स्टूडियो के बजाय शौकिया फोटोग्राफर्स को हायर कर रहे हैं, क्योंकि ये लोग भी बेहतरीन रिजल्ट दे रहे हैं। कानपुर-लखनऊ जैसे शहरों में कॉलेज स्टूडेंट्स कम बजट में डॉक्यूमेंट्री-स्टाइल फोटो शूट कर रहे हैं। फ्रीलांसर भी अच्छा काम कर रहे। इंस्टाग्राम पर आपको आसानी से ऐसे लोग मिल जाएंगे। प्री-वेडिंग शूट पर खर्च करने के बजाय दोस्तों से शादी के इमोशनल पल रिकॉर्ड करके रील्स बनवाएं। ये सबसे ज्यादा शेयरेबल और रियल होता है। ‘स्मार्ट वेडिंग’ के लिए 5 जादुई टिप्स टिप 1: अपने बजट को 4 हिस्सों में बांटें (4-पिलर बजट) वेन्यू+डेकोरेशन: 30-35% तक
कैटरिंग: 35-40% तक
कपड़े+ज्वैलरी+मेकअप: 15-20% तक
मिसलेनियस: 10-15% तक टिप 2: लोकल वेंडर्स की ताकत पहचानें छोटे लॉन/सरकारी गेस्ट हाउस: महंगे बैंक्वेट हॉल की जगह, अपनी कॉलोनी के कम्युनिटी सेंटर, किसी स्कूल के लॉन, या सरकारी गेस्ट हाउस को किराए पर लें।
डेकोरेशन: लोकल मार्केट में उपलब्ध फूल इस्तेमाल करें। DIY पर फोकस करें। ये कम कीमत में ‘देसी और रियल’ ऐस्थेटिक देते हैं।
लोकल हलवाई: कैटरिंग के लिए लोकल हलवाई को हायर करें। मेन्यू में लिमिटेड आइटम रखें। क्वालिटी और UP का लोकल स्वाद कम बजट में मिल जाएंगे। टिप 3: DIY और डिजिटल बनिए ई-इन्विटेशन: महंगे प्रिंटेड कार्ड की जगह डिजिटल इन्विटेशन यानी वीडियो या ग्राफिक भेजें। इससे पैसे बचेंगे और ये इको-फ्रेंडली भी है।
DIY डेकोर: हल्दी/मेहंदी के लिए अपनी पुरानी साड़ी और दुपट्टों का इस्तेमाल करें। जूट की रस्सियां, कांच की बोतलें और गेंदे के फूल सबसे किफायती और एथनिक डेकोरेशन देते हैं।
फोटोग्राफी: बड़े स्टूडियो के बजाय फ्रीलांसर या शौकिया फोटोग्राफर्स चुनें। टिपिकल वेडिंग पोज की जगह क्रिएटिव फोटोशूट दे सकते हैं। टिप 4: ‘इमोशनल वैल्यू’ को ब्रांडेड से ऊपर रखें कपड़े: अच्छे रेंटल सर्विस से लहंगा किराए पर लें। मां-दादी की पुरानी बनारसी साड़ी से लहंगा बनवाएं।
कंटेंट: प्री-वेडिंग शूट पर हजारों खर्च करने के बजाय दोस्तों से शादी के इमोशनल पल रिकॉर्ड करके रील्स बनवाएं। ये सबसे ज्यादा शेयरेबल और रियल होता है। टिप 5: इको-फ्रेंडली और सामाजिक जिम्मेदारी नो फूड वेस्ट: खाने की बर्बादी को रोकने के लिए बचा हुआ खाना लोकल NGO तक पहुंचाएं।
प्लास्टिक को ‘NO’: प्लास्टिक की जगह कागज या इकोफ्रेंडली मटेरियल से बने डिस्पोजेबल का इस्तेमाल करें। ये वेडिंग सीजन आपका है। अपनी शादी को भव्य ही नहीं स्मार्ट, सार्थक और कल्चर से भरपूर बनाएं। कल हम आपको यूपी के उन चुनिंदा शहरों के बारे में बताएंगे जहां कम खर्च में यादगार डेस्टिनेशन वेडिंग हो सकती है। **** स्टोरी एडिट- कृष्ण गोपाल ग्राफिक्स- सौरभ कुमार