अंबेडकर जयंती पर मोहन भागवत के बयानों के 5 मायने:दलित वर्ग को साथ लेकर एक सूत्र में पिरोने का मंत्र; जाति नहीं सिर्फ हिंदुत्व पर फोकस

संघ प्रमुख मोहन भागवत कानपुर में हैं। 13 अप्रैल की शाम को वह कानपुर पहुंचे, 14 अप्रैल को उन्होंने यूपी के सबसे बड़े संघ कार्यालय का लोकार्पण किया। प्रवेशोत्सव कार्यक्रम के दौरान संघ प्रमुख ने अपने बयानों में संदेश दिया कि संघ अब सिर्फ हिंदुत्व पर फोकस करेगा, इसमें दलितों का साथ अहम होगा। संघ प्रमुख ने डॉ. हेडगेवार और डॉ. भीमराव की तुलना की। संघ कार्यालय में डॉ. भीमराव के नाम से हॉल का नामकरण किया, वहीं कार्यक्रम के दौरान डॉ. भीमराव की बड़ी प्रतिमा भी लगाई गई। संघ प्रमुख के बयानों के 5 बड़े मायने… 1. सभी के अंदर समानता का भाव
अपने वक्तव्य में मोहन भागवत ने समाज में समानता का स्पष्ट संदेश दिया। उन्होंने कहा कि संघ का कार्य समाज के लिए है। डॉ. हेडगेवार और डॉक्टर अंबेडकर दोनों में अपने समाज के लिए कूट-कूट कर अपार आत्मीयता भरी थी। दोनों का जो कार्य था वह समाज में उसी आत्मीयता को उत्पन्न कर सब स्वार्थ और भेदों को तिलांजलि देने का काम था। उस काम के लिए दोनों चले। 2. एससी-एसटी वर्ग की नाराजगी दूर करना
संघ अंदरखाने अब एससी-एसटी वर्ग की भाजपा के प्रति नाराजगी को भी दूर करने का कार्य करेगा। बीते लोकसभा चुनाव में जहां कांग्रेस और सपा ने संविधान संशोधन का मुद्दे का तूल देकर लाभ उठाया। वहीं संघ अब पूरे मुद्दे को कैप्चर कर एक समानता के भाव के साथ एससी-एसटी वर्ग को अपने साथ कंधे से कंधा मिलाकर साथ लेकर चलेगा। इससे साफ है कि पॉलिटिकल पार्टियों को इसका नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। 3. डॉ. हेडगेवार और डॉ. भीमराव की तुलना
मोहन भागवत ने अपने बयानों में भी बाबा साहब का खूब जिक्र किया। इससे दलित वर्ग तक साफ संदेश जाए। भागवत ने बाबा साहब के बायन को यादकर कहा कि दुनिया का यह अनुभव है कि जब हम स्वतंत्रता लाने की सोचेंगे तो समता नष्ट हुई है और और जब समता लाएंगे तो स्वतंत्रता इसलिये यदि हमे स्वतंत्रता और समता दोनों ही लानी है तो उसके लिये तीसरा तत्व अनिवार्य है कि बंधुभाव का होना। बाबा साहब का काम था कि समाज से जणमूल से विषमता से हटाना। 4. देश को हिंदू राष्ट्र बनाने पर फोकस ज्यादा
मोहन भागवत ने साफ संदेश दिया कि सभी वर्ग के हिंदुओं को अब एकजुट होना है। उन्होंने कहा कि जैसे संघ एक स्टार्टर है। वैसे बाबा साहब का कार्य भी स्टार्टर था। बाबा साहेब का स्टार्टर किक वाला स्टार्टर था क्योंकि हिंदू समाज सुन नहीं रहा था। उन्होंने इस कार्य में अपना पूरा जीवन लगा दिया। उनका मानना था कि भारत देश को अच्छा बनना है तो विषमता, असमानता और एक दूसरे के प्रति प्रेम की कमी को भरने का प्रयास करना जरूरी है। मोहन भागवत ने कहा कि संघ का कार्य भी जिन्होंने ने शुरू किया उनको सामाजिक विषमता का शिकार तो नहीं होना पड़ा लेकिन डायरेक्ट उपेक्षा का शिकार वह भी होते रहे। 5. हिंदुत्व के मुद्दे से सीधा फायदा भाजपा को
संघ पहले भी अंबेडकरवादी लोगों को साथ लेकर चलता रहा है। लेकिन जिस तरह से कानपुर में मोहन भागवत ने डा. भीमराव अंबेडकर को अपने बयानों से दलित वर्ग को जोड़ने का प्रयास किया है, इससे साफ है कि संघ के साथ दलित आए तो इसका सीध फायदा भारतीय जनता पार्टी को आगामी चुनाव में देखने को मिलेगा। शाखा में गए थे बाबा साहब, भागवत ने किया याद
सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि हिंदू समाज में एकता-समानता बनाने के लिए डॉ. बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर और डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार ने अपना पूरा जीवन खपा दिया। काम दोनों का एक ही था। मगर दोनों ने प्रारम्भ अलग-अलग अवस्था में अलग-अलग दिशा से किया था। भागवत ने कहा कि जब 1934 में महाराष्ट्र में सतारा के पास कराड़ की शाखा में डॉ. अंबेडकर गए थे तो उसका समाचार छपा था। केसरी में समाचार पत्र में डॉक्टर बाबा साहब अंबेडकर का शाखा पर जो भाषण हुआ उसका तीन पंक्तियों में वृतांत दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि कुछ बातों में हमारे में मतभेद है तो भी मैं संघ को अपनत्व के भाव से देखता हूं।