कानपुर के अखिलेश दुबे के मददगार इंस्पेक्टर अरेस्ट हो गए। पुलिस सभाजीत को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है। शनिवार को कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेजा जाएगा। एसआईटी ने जैसे ही अरेस्ट करने का आदेश दिया, इंस्पेक्टर जोर-जोर से चिल्लाने लगा। बोला- इसमें मेरा क्या कुसूर है। मैंने तो सिर्फ अफसरों के आदेश का पालन किया है। कहा- क्या उस आईपीएस अफसर की अरेस्टिंग करने की क्षमता है किसी पुलिस अफसर में, जिसने अखिलेश दुबे के लिए सारे नियम और कानून को ताक पर रखकर काम कराया। आरोपियों ने 300 करोड़ की कीमत वाली सिविल लाइंस की वक्फ संपत्ति कब्जा कर लिया था। इसमें इंस्पेक्टर ने मदद की थी। पीड़ित ने 13 अगस्त 2025 को पुलिस को तहरीर दी थी। इसके बाद पुलिस ने इंस्पेक्टर समेत 7 पर FIR दर्ज की थी। पुलिस अब अन्य आरोपियों की तलाश कर रही है। 1892 में संपत्ति को वक्फ को सौंप दिया, 2010 में पट्टा खत्म हुआ सिविल लाइंस में ग्रीनपार्क के सामने नवाब मंसूर अली ने तीन बीघा जमीन को 1892 में शेख फखरुद्दीन हैदर को बेचा था। शेख फखरुद्दीन हैदर की कोई संतान नहीं थी, इस वजह से उन्होंने इस संपत्ति को वक्फ को सौंप दिया था। एग्रीमेंट में लिखा था कि जमीन की देखरेख करने वाला उनका वंशज (मुतवल्ली) ही होगा। इसके बाद उनके चचेरे भाई हाफिज हलीम को वर्ष-1911 में 99 साल का पट्टा कर दिया था। इसमें छह-सात किराएदार भी बसा दिए गए। वर्ष-2010 में पट्टा खत्म हो गया। इसके बाद उनकी पांचवी पीढ़ी के वंशज परेड नवाब इब्राहिम हाता निवासी मोइनुद्दीन आसिफ जाह ने किराएदारों को जमीन खाली करने को कहा। मगर किराएदारों ने जमीन को खाली करने से मना कर दिया। इस पर वह कोर्ट चले गए। अखिलेश दुबे ने फर्जी केस दर्ज कराकर जमीन कब्जाई
मामला कोर्ट पहुंचने के बाद इस बेशकीमती जमीन पर अखिलेश दुबे की नजर पड़ गई। इसके बाद अखिलेश दुबे ने कुछ को रुपए देकर जमीन को खाली करा दिया। कुछ को फर्जी मुकदमों में फंसा दिया। इससे वह लोग भी जमीन छोड़ गए। फिर कुछ को रुपए और केस दर्ज कराने का खौफ दिखाकर पावर ऑफ अटार्नी हासिल कर ली। इसके बाद पूरी जमीन पर अखिलेश दुबे ने कब्जा कर लिया। मोइनुद्दीन आसिफ जाह ने 13 अगस्त 2025 को ने ग्वालटोली थाना में मुकदमा दर्ज कराया था। इसके बाद पुलिस ने जांच शुरू की। ग्वालटोली थाना प्रभारी संजय गौड़ ने बताया कि मामले की जांच में कई फर्जीवाड़ा सामने आए। जो व्यक्ति मर गया था, उसके नाम पर दूसरे को खड़ा करके पावर ऑफ अटार्नी कराई गई। इसके साथ ही कोर्ट में भी झूठे तथ्यों को रखा गया। मामले में पुख्ता साक्ष्य मिलने के बाद जमीन कब्जाने में सहयोग करने वाले इंस्पेक्टर सभाजीत मिश्रा को अरेस्ट कर लिया। ग्वालटोली थाने की पुलिस और एसआईटी ने सभाजीत को पूछताछ के लिए बुलाया था। इसके बाद उन्हें अरेस्ट कर लिया गया। शनिवार को कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेजा जाएगा। अरेस्ट होते ही जोर-जोर से इंस्पेक्टर चिल्लाया
शुक्रवार को एसआईटी ने पूछताछ के लिए आरोपी निलंबित इंस्पेक्टर सभाजीत मिश्र को एसआईटी ने पूछताछ के लिए बुलाया था। इंस्पेक्टर से पूछताछ की जा रही थी। साक्ष्यों के आगे इंस्पेक्टर की एक नहीं चल सकी और वह टूट गया। साक्ष्यों के आधार पर उसे अरेस्ट करने का आदेश होते ही वह चीखने लगा। बोला- अफसरों ने जो कहा, वह मैंने किया। एक आइपीएस ने सारे नियम और कानून को ताक पर रखकर काम किए। चाहे पिंटू सेंगर मर्डर केस से आरोपियों का नाम निकालने का मामला हो या फिर वक्फ संपत्ति पर कब्जा कराने का। सबकुछ आईपीएस अफसरों के दबाव में हुआ है। इसमें मेरा कोई कुसूर नहीं है। इन लोगों के खिलाफ दर्ज हुई थी FIR
सिविल लाइंस स्थित आगमन लॉन वाली वक्फ की 300 करोड़ की संपत्ति कब्जाने के मामले में पीड़ित मोइनुद्दीन आसिफ जाह की शिकायत पर अखिलेश दुबे, उसके भाई सर्वेश दुबे, भतीजी सौम्या, जयप्रकाश, शिवांग, राजकुमार शुक्ला और इंस्पेक्टर सभाजीत के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हुई थी। मामले की जांच की गई तो सामने आया कि करीब 300 करोड़ रुपए की संपत्ति को अखिलेश दुबे और परिवार के साथ ही गिरोह के लोगों ने कब्जा कर लिया है। जमीन कब्जाने में इंस्पेक्टर ने अहम भूमिका निभाई थी। साक्ष्य मिलने के बाद उसे अरेस्ट किया गया है। इंस्पेक्टर पर धमकाकर संपत्ति कब्जा करवाने का आरोप
नवाब इब्राहिम हाता परेड निवासी मोइनुद्दीन आसिफ जाह का आरोप है कि अखिलेश दुबे के द्वारा अपने साथियों के सहयोग तथा निलंबित इंस्पेक्टर जाजमऊ सभाजीत के द्वारा प्रार्थी को डराया धमकाया गया फर्जी मुकदमों में फंसाने की धमकी दी। इस वजह से प्रार्थी डिप्रेशन में चला गया और जुलाई 2023 में प्रार्थी बाथरूम में गिर गया। इस वजह से जनवरी 2024 तक ऑनबेड था वाकर के सहारे घर के अन्दर ही वाकर के सहारे चल फिर लेता था, परन्तु उपरोक्त अखिलेश दुबे व साथियों के द्वारा परेशान किया जाता रहा और धमकी दी जाती रही। अप्रैल 2024 में शीवांश सिंह और इंस्पेक्टर सभाजीत के साथ प्रार्थी के घर आए और जेल भेजने की धमकी देने लगे। इसके बाद दबाव में लेकर बगैर पढ़ाए व दिखाये एक पेपर पर हस्ताक्षर करा लिये और आधार कार्ड ले लिया। कहा कि संपत्ति की लखनऊ में दर्ज एफआईआर की पैरवी बन्द नहीं की तो तुम्हारा जेल जाना तय है। इतना ही नहीं दुबे सिंडीकेट में शामिल रीवांश सिंह ने 5 लाख रुपए की रंगदारी भी मांगी। कहा कि तुम्हारी वजह से अखिलेश दुबे का 5 लाख रुपए खर्च हो गया है। रुपए पहुंचा देना नहीं तो पूरा परिवार को जेल में सड़ा दूंगा। लगातार प्रताड़ित होने के कारण प्रार्थी ने माननीय उच्च न्यायालय की शरण ली तब से उपरोक्त लोगो ने प्रार्थी के घर आना बन्द कर दिया। प्रार्थी ने मुकदमे की कार्रवाई नहीं छोड़ी। जिस कारण उसे जान का खतरा पैदा हो गया प्रार्थी व उसके भाई पर लखनऊ जाते समय ट्रक से कुचलने का प्रयास किया गया था जिस कारण प्रार्थी / मुतवल्ली ने घर से लगभग निकलना बन्द कर दिया है और घर से ही सारा कार्य करता है। पिंटू सेंगर मर्डर केस से दीनू और अरिदमन का भी नाम था निकाला
जाजमऊ में 30 जून 2020 में बाइक सवार शूटरों ने बसपा नेता पिंटू सेंगर की गोली मारकर नृशंस हत्या कर दी थी। पिंटू के भाई धर्मेंद्र सेंगर ने पप्पू स्मार्ट, सउद अख्तर, महफूज अख्तर, मनोज गुप्ता, कथित अधिवक्ता दीनू उपाध्याय और अरिदमन सिंह के नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई थी। विवेचना में वीरेंद्र पाल, श्याम सुशील मिश्रा, शूटर राशिद कालिया, अहसान कुरैशी, सलमान बेग, फैजल कुरैशी, साफेज हैदर और असलम कुलरेज, मकबूल उर्फ बबलू सुल्तानपुरी, तनवीर बादशाह और मोहमम्द आयाज उर्फ टायसन के नाम सामने आए थे। राशिद का इनकाउंटर कर दिया गया था। आरोप है कि इस मामले में चकेरी में तैनात विवेचक तत्कालीन इंस्पेक्टर सभाजीत मिश्रा ने सभी आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट में पेश की थी, लेकिन नामजद होने के बावजूद दीनू उपाध्याय उर्फ धीरज और अरिदमन सिंह का नाम साठगांठ करके बाहर निकाल दिया था। दोनों के खिलाफ फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी। पुलिस कमिश्नर के आदेश पर पिंटू सेंगर मर्डर केस की साढ़े चार साल बाद अग्रिम विवेचना शुरू हुई तो तत्कालीन विवेचनाधिकारी सभाजीत मिश्रा का खेल सामने आ गया। साक्ष्यों के बावजूद दीनू और अरिदमन का नाम निकालने के मामले में पुलिस कमिश्नर ने उन्हें निलंबित कर दिया। हत्या जैसी गंभीर विवेचना होने के बाद भी लाभ के लिए दो हत्यारोपियों का नाम केस से बाहर कर दिया था। इस वजह से विभागीय जांच का भी आदेश दिया है। मौजूदा समय में वह कर्नलगंज थाने में अतिरिक्त निरीक्षक तैनात थे। ……………………. ये खबर भी पढ़िए- अखिलेश दुबे के गैंग में मिस यूपी:BJP नेता को फंसाने वाली लड़की बोली- हर केस के 2 लाख रुपए मिलते थे ‘अधिवक्ता टोनू ने रुपए का लालच देकर मुझे अखिलेश दुबे से मिलवाया। मैंने उसके कहने पर ही रवि सतीजा के खिलाफ रेप की झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई थी। एक मुकदमे के बदले मुझे 50 हजार से 2 लाख रुपए तक मिलते थे। पुलिस कुछ नहीं करेगी, इसकी गारंटी देते थे। हमारी बस्ती की महिलाएं दुबे के साथ इस धंधे में लिप्त हैं। जब SIT ने जांच शुरू की तो टोनू ने बस्ती में रहने वाली 10 से अधिक महिलाओं को छत्तीसगढ़ भेज दिया। मेरी छोटी बहन भी किसी लड़के के साथ भाग निकली।’ पढ़ें पूरी खबर
मामला कोर्ट पहुंचने के बाद इस बेशकीमती जमीन पर अखिलेश दुबे की नजर पड़ गई। इसके बाद अखिलेश दुबे ने कुछ को रुपए देकर जमीन को खाली करा दिया। कुछ को फर्जी मुकदमों में फंसा दिया। इससे वह लोग भी जमीन छोड़ गए। फिर कुछ को रुपए और केस दर्ज कराने का खौफ दिखाकर पावर ऑफ अटार्नी हासिल कर ली। इसके बाद पूरी जमीन पर अखिलेश दुबे ने कब्जा कर लिया। मोइनुद्दीन आसिफ जाह ने 13 अगस्त 2025 को ने ग्वालटोली थाना में मुकदमा दर्ज कराया था। इसके बाद पुलिस ने जांच शुरू की। ग्वालटोली थाना प्रभारी संजय गौड़ ने बताया कि मामले की जांच में कई फर्जीवाड़ा सामने आए। जो व्यक्ति मर गया था, उसके नाम पर दूसरे को खड़ा करके पावर ऑफ अटार्नी कराई गई। इसके साथ ही कोर्ट में भी झूठे तथ्यों को रखा गया। मामले में पुख्ता साक्ष्य मिलने के बाद जमीन कब्जाने में सहयोग करने वाले इंस्पेक्टर सभाजीत मिश्रा को अरेस्ट कर लिया। ग्वालटोली थाने की पुलिस और एसआईटी ने सभाजीत को पूछताछ के लिए बुलाया था। इसके बाद उन्हें अरेस्ट कर लिया गया। शनिवार को कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेजा जाएगा। अरेस्ट होते ही जोर-जोर से इंस्पेक्टर चिल्लाया
शुक्रवार को एसआईटी ने पूछताछ के लिए आरोपी निलंबित इंस्पेक्टर सभाजीत मिश्र को एसआईटी ने पूछताछ के लिए बुलाया था। इंस्पेक्टर से पूछताछ की जा रही थी। साक्ष्यों के आगे इंस्पेक्टर की एक नहीं चल सकी और वह टूट गया। साक्ष्यों के आधार पर उसे अरेस्ट करने का आदेश होते ही वह चीखने लगा। बोला- अफसरों ने जो कहा, वह मैंने किया। एक आइपीएस ने सारे नियम और कानून को ताक पर रखकर काम किए। चाहे पिंटू सेंगर मर्डर केस से आरोपियों का नाम निकालने का मामला हो या फिर वक्फ संपत्ति पर कब्जा कराने का। सबकुछ आईपीएस अफसरों के दबाव में हुआ है। इसमें मेरा कोई कुसूर नहीं है। इन लोगों के खिलाफ दर्ज हुई थी FIR
सिविल लाइंस स्थित आगमन लॉन वाली वक्फ की 300 करोड़ की संपत्ति कब्जाने के मामले में पीड़ित मोइनुद्दीन आसिफ जाह की शिकायत पर अखिलेश दुबे, उसके भाई सर्वेश दुबे, भतीजी सौम्या, जयप्रकाश, शिवांग, राजकुमार शुक्ला और इंस्पेक्टर सभाजीत के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हुई थी। मामले की जांच की गई तो सामने आया कि करीब 300 करोड़ रुपए की संपत्ति को अखिलेश दुबे और परिवार के साथ ही गिरोह के लोगों ने कब्जा कर लिया है। जमीन कब्जाने में इंस्पेक्टर ने अहम भूमिका निभाई थी। साक्ष्य मिलने के बाद उसे अरेस्ट किया गया है। इंस्पेक्टर पर धमकाकर संपत्ति कब्जा करवाने का आरोप
नवाब इब्राहिम हाता परेड निवासी मोइनुद्दीन आसिफ जाह का आरोप है कि अखिलेश दुबे के द्वारा अपने साथियों के सहयोग तथा निलंबित इंस्पेक्टर जाजमऊ सभाजीत के द्वारा प्रार्थी को डराया धमकाया गया फर्जी मुकदमों में फंसाने की धमकी दी। इस वजह से प्रार्थी डिप्रेशन में चला गया और जुलाई 2023 में प्रार्थी बाथरूम में गिर गया। इस वजह से जनवरी 2024 तक ऑनबेड था वाकर के सहारे घर के अन्दर ही वाकर के सहारे चल फिर लेता था, परन्तु उपरोक्त अखिलेश दुबे व साथियों के द्वारा परेशान किया जाता रहा और धमकी दी जाती रही। अप्रैल 2024 में शीवांश सिंह और इंस्पेक्टर सभाजीत के साथ प्रार्थी के घर आए और जेल भेजने की धमकी देने लगे। इसके बाद दबाव में लेकर बगैर पढ़ाए व दिखाये एक पेपर पर हस्ताक्षर करा लिये और आधार कार्ड ले लिया। कहा कि संपत्ति की लखनऊ में दर्ज एफआईआर की पैरवी बन्द नहीं की तो तुम्हारा जेल जाना तय है। इतना ही नहीं दुबे सिंडीकेट में शामिल रीवांश सिंह ने 5 लाख रुपए की रंगदारी भी मांगी। कहा कि तुम्हारी वजह से अखिलेश दुबे का 5 लाख रुपए खर्च हो गया है। रुपए पहुंचा देना नहीं तो पूरा परिवार को जेल में सड़ा दूंगा। लगातार प्रताड़ित होने के कारण प्रार्थी ने माननीय उच्च न्यायालय की शरण ली तब से उपरोक्त लोगो ने प्रार्थी के घर आना बन्द कर दिया। प्रार्थी ने मुकदमे की कार्रवाई नहीं छोड़ी। जिस कारण उसे जान का खतरा पैदा हो गया प्रार्थी व उसके भाई पर लखनऊ जाते समय ट्रक से कुचलने का प्रयास किया गया था जिस कारण प्रार्थी / मुतवल्ली ने घर से लगभग निकलना बन्द कर दिया है और घर से ही सारा कार्य करता है। पिंटू सेंगर मर्डर केस से दीनू और अरिदमन का भी नाम था निकाला
जाजमऊ में 30 जून 2020 में बाइक सवार शूटरों ने बसपा नेता पिंटू सेंगर की गोली मारकर नृशंस हत्या कर दी थी। पिंटू के भाई धर्मेंद्र सेंगर ने पप्पू स्मार्ट, सउद अख्तर, महफूज अख्तर, मनोज गुप्ता, कथित अधिवक्ता दीनू उपाध्याय और अरिदमन सिंह के नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई थी। विवेचना में वीरेंद्र पाल, श्याम सुशील मिश्रा, शूटर राशिद कालिया, अहसान कुरैशी, सलमान बेग, फैजल कुरैशी, साफेज हैदर और असलम कुलरेज, मकबूल उर्फ बबलू सुल्तानपुरी, तनवीर बादशाह और मोहमम्द आयाज उर्फ टायसन के नाम सामने आए थे। राशिद का इनकाउंटर कर दिया गया था। आरोप है कि इस मामले में चकेरी में तैनात विवेचक तत्कालीन इंस्पेक्टर सभाजीत मिश्रा ने सभी आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट में पेश की थी, लेकिन नामजद होने के बावजूद दीनू उपाध्याय उर्फ धीरज और अरिदमन सिंह का नाम साठगांठ करके बाहर निकाल दिया था। दोनों के खिलाफ फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी। पुलिस कमिश्नर के आदेश पर पिंटू सेंगर मर्डर केस की साढ़े चार साल बाद अग्रिम विवेचना शुरू हुई तो तत्कालीन विवेचनाधिकारी सभाजीत मिश्रा का खेल सामने आ गया। साक्ष्यों के बावजूद दीनू और अरिदमन का नाम निकालने के मामले में पुलिस कमिश्नर ने उन्हें निलंबित कर दिया। हत्या जैसी गंभीर विवेचना होने के बाद भी लाभ के लिए दो हत्यारोपियों का नाम केस से बाहर कर दिया था। इस वजह से विभागीय जांच का भी आदेश दिया है। मौजूदा समय में वह कर्नलगंज थाने में अतिरिक्त निरीक्षक तैनात थे। ……………………. ये खबर भी पढ़िए- अखिलेश दुबे के गैंग में मिस यूपी:BJP नेता को फंसाने वाली लड़की बोली- हर केस के 2 लाख रुपए मिलते थे ‘अधिवक्ता टोनू ने रुपए का लालच देकर मुझे अखिलेश दुबे से मिलवाया। मैंने उसके कहने पर ही रवि सतीजा के खिलाफ रेप की झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई थी। एक मुकदमे के बदले मुझे 50 हजार से 2 लाख रुपए तक मिलते थे। पुलिस कुछ नहीं करेगी, इसकी गारंटी देते थे। हमारी बस्ती की महिलाएं दुबे के साथ इस धंधे में लिप्त हैं। जब SIT ने जांच शुरू की तो टोनू ने बस्ती में रहने वाली 10 से अधिक महिलाओं को छत्तीसगढ़ भेज दिया। मेरी छोटी बहन भी किसी लड़के के साथ भाग निकली।’ पढ़ें पूरी खबर