ऐशन्या बोलीं- आंखों के सामने पति को मारा…दृश्य भूलता नहीं:प्रेमानंद महाराज का जवाब- हर इंसान की उम्र निश्चित, काल ऐसे संयोग बना देता है

पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए शुभम द्विवेदी के परिवार ने मथुरा में प्रेमानंदजी महाराज से मुलाकात की। इस दौरान शुभम की पत्नी ऐशन्या ने कहा- महाराज मेरे पति को आंखों के सामने मार दिया गया। मैं उस दृश्य को भूल नहीं पा रही हूं। पता नहीं क्यों ऐसा हो गया? उस दिन से मेरे सामने वही मंजर बार-बार आता है। इसके बाद फूट-फूटकर रोने लगती हूं। परिवार वाले मुझे संभालते हैं। इस पर प्रेमानंद महाराज ने ऐशन्या को समझाया। कहा- भगवान का नियम निश्चित होता है। जिसका जब समय तय होता है, वो उतना ही रहता है। शुभम द्विवेदी एक दिन आगे-पीछे वहां जाते तो, ऐसी घटना नहीं होती। लेकिन, उनकी आयु पूरी हो चुकी थी। इसीलिए ऐसा संयोग बना। जिनकी मृत्यु निश्चित थी, वो लोग वहां गए। ऐसी घटना हुई। काल को कोई दोष नहीं दे सकता। वो कभी हार्ट अटैक, एक्सीडेंट, तो कभी किसी बहाने से सामने वाले को निगल जाता है। हमें पता है कि इसे स्वीकार करना मुश्किल है। लेकिन, इस सत्य को जितना जल्दी मान लेंगे, दुख कम हो जाएंगे। वो लीला होनी थी, वो हो गई
प्रेमानंद महाराज ने कहा- वह दिन तय था, क्योंकि वो लीला होनी थी। मुझे पता है कि हृदय का दर्द कम नहीं होगा। लेकिन, जो मिट गया वो नहीं आ सकता। प्रकृति के अपने नियम होते हैं। जो समय आने पर इंसान को समझ आते हैं। इसलिए शुभम का पहलगाम में शहीद होना विधि का विधान है। प्रेमानंद महाराज ने परिवारजनों को इस दुख के समय नाम जाप करने की सलाह दी। कहा कि इसी से सबका कल्याण होगा। जो होना है वो होकर रहेगा। उन लोगों का वहां पहुंचना हुआ, जिनका प्रारंभ बना था। प्रेमानंद महाराज बोले- हमले से मैं भी व्यथित था
शुभम द्विवेदी के पिता संजय द्विवेदी ने पूछा- हमारा बेटा आतंकी हमले में मारा गया। मैं सब अच्छे और धर्म से काम करता हूं। लेकिन, मेरे साथ ऐसी घटना हो गई। इससे मन बहुत व्यथित है। इसके जवाब में प्रेमानंद महाराज ने कहा- इस घटना से मेरा मन भी बहुत व्यथित था। पुत्र वियोग संसार का सबसे बड़ा दुख होता है। श्रीरामचरित मानस का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि पुत्र वियोग में महाराज दशरथ ने प्राण त्याग दिए थे। लक्ष्मण शक्ति के समय स्वयं भगवान श्रीराम भी दुख के सागर में डूब गए थे। इसलिए संसार में पुत्र और भाई से बढ़कर कोई नहीं। शुभम द्विवेदी के परिवार से पत्नी ऐशन्या, पिता संजय द्विवेदी, चाचा ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज कुमार द्विवेदी, सुरेश कुमार दुबे और अन्य परिजनों ने प्रेमानंद महाराज से मुलाकात की। करीब 10 मिनट तक महाराज ने परिवारवालों से चर्चा की। अब पढ़िए, पहलगाम में क्या हुआ था नाम पूछकर घाटी में टूरिस्टों को गोली मारी थी
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल, 2025 को आतंकी हमले में कानपुर के शुभम द्विवेदी (31) की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। शुभम द्विवेदी की फरवरी में ही ऐशन्या से शादी हुई थी। 17 अप्रैल को ऐशन्या और उनके परिवार के 11 सदस्यों के साथ शुभम कश्मीर घूमने गए थे। उन्हें 23 अप्रैल को घर लौटना था। ऐशन्या ने बताया था कि वह बायसरन घाटी के एक रेस्टोरेंट में शुभम के साथ बैठी थीं। दोपहर करीब 2.15 बजे आतंकवादी आए और ताबड़तोड़ गोलीबारी करने लगे। इससे वहां पर अफरा-तफरी का माहौल हो गया। एक आतंकी ने शुभम से उनका नाम पूछा। नाम बताते ही शुभम के सिर में गोली मार दी। शुभम जमीन पर गिर गए और ऐशन्या बेहोश हो गईं। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर में आतंकियों ने पर्यटकों पर फायरिंग की, जिसमें 26 लोगों की मौत हो गई थी। एक नेपाल का नागरिक था। बाकी पर्यटक गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और ओडिशा के थे। इसके बाद ही भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर चलाया था। ————————– ये खबर भी पढ़िए प्रयागराज में एनकाउंटर में मारा गया झारखंड का बदमाश, AK-47 से STF पर फायरिंग की प्रयागराज में यूपी STF ने झारखंड के कुख्यात गैंगस्टर छोटू धनबादिया उर्फ आशीष रंजन को ढेर कर दिया। आशीष रंजन पर 4 लाख रुपए का इनाम था। STF इंस्पेक्टर प्रयागराज जेपी राय ने बताया- वह एमपी के रास्ते शंकरगढ़ पहुंचा था। सर्विलांस से उसकी लोकेशन ट्रेस हुई। शंकरगढ़ के शिवराज चौराहे पर घेराबंदी की गई। यहां बाइक से आशीष रंजन आता हुआ नजर आया। STF ने उसे रोकने की कोशिश की। पुलिस को देख उसने गाड़ी की स्पीड तेज कर ली। STF ने उसका पीछा किया। कुछ दूर जाकर उसने एके-47 से अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। टीम ने क्रॉस फायरिंग की। इसमें गोली आशीष रंजन के लग गई। खून से लथपथ होकर वहीं गिर गया। इसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई। पूरी खबर पढ़िए