गोरखपुर में 17 घंटे बवाल-आगजनी, CCTV में तस्कर दिखे:गांववाले बोले- गोवंश ले जाते थे, अब क्या हमारे बच्चे भी उठा ले जाएंगे? NEET स्टूडेंट की मौत

मैं सिर्फ मेडिकल स्टोर चलाता हूं, फिर भी मुझे लोग ‘डॉक्टर’ कहकर बुलाते हैं। मैं इस झूठ काे स्वीकार नहीं कर पाता था, इसलिए दीपक को डॉक्टर बनाने की जिद ठान ली थी। मगर पशु तस्करों ने मेरे बेटे को ही मार डाला। यह कहते हुए दीपक के पिता दुर्गेश गुप्ता जमीन पर बैठकर रोने लगते हैं। परिवार के लोग उन्हें संभालते हैं। वह थोड़ा संभलकर कहते हैं- दीपक बहुत अच्छा क्रिकेट खेलता था। मगर NEET की तैयारी के लिए अपनी प्रैक्टिस भी छोड़ देता था। मैं दीपक के डॉक्टर बनने का इंतजार कर रहा था, मगर अब जिंदगीभर जवान बेटे की मौत का दर्द लेकर जीना है। गोरखपुर में अकेले दुर्गेश अपने बेटे की मौत से दुखी नहीं हैं, बल्कि गांव के 2 हजार से ज्यादा लोग गुस्से में हैं। पुलिस को देखकर ही पत्थर फेंकने लगते हैं। महिलाएं PAC जवानों को हाथ से मारने लगती हैं, जवान गुस्से में देखते हैं, मगर महिलाएं उन्हें गालियां देने लगती हैं। गांव में 15 सितंबर की रात 10.30 बजे से शुरू हुआ बवाल अगले दिन शाम 4 बजे तक जारी रहा। गुस्साए गांव के लोगों ने पुलिस पर पथराव किया। गाड़ियों को आग लगा दी। सड़क जाम कर दी गई। गांव के लोगों का कहना है कि पहले वो सिर्फ गोवंश ले जाते थे, अब क्या हमारे बच्चे भी उठा ले जाएंगे? इसकी वजह ये रही कि इस गांव में पहली बार पशु तस्करों ने किसी लड़के को मार डाला था। पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर कहते हैं- दीपक के शरीर पर मारपीट के दौरान लगी चोटें मिली हैं। मगर उसकी मौत सिर पर किसी भारी चीज के वार से हुई है। उसके सिर पर गहरी चोट लगी थी। खून ज्यादा बह चुका था। SSP राज करन नय्यर ने जंगल धूषण चौकी इंचार्ज ज्योति नारायण तिवारी समेत पूरे स्टाफ को सस्पेंड कर दिया। इनके खिलाफ विभागीय जांच बैठा दी है। जांच के लिए स्पेशल टीम बना दी गई है। गोरखपुर पुलिस को गांव का एक CCTV भी मिला है। 1.30 मिनट की फुटेज में 2 तरह के सीन दिखते हैं- सीन 1. गोवंश भागते दिखते हैं सीन 2. पशु तस्कर पिकअप से पहुंचते हैं पशु तस्कर बिहार का रहने वाला, अपने साथियों के नाम बताए
पिपराइच क्षेत्र के गांव महुआचापी में पशुओं की चोरी के मकसद से आए 12 तस्करों को अंदाजा नहीं था कि उन्हें गांव के लोग ही घेर लेंगे। विरोध करने वालों में सबसे आगे खड़े दीपक को उन्होंने पिकअप गाड़ी में खींच लिया। भाग रहे बदमाशों के एक साथी को गांव के लोग पकड़ भी लेते हैं। उसको इतना पीटा कि वो इस वक्त मेडिकल कॉलेज में एडमिट है। उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है। पुलिस ने उसको गांव के लोगों से छुड़ाया। पूछताछ में उसने कहा- मैं बिहार के गोपालगंज का रहने वाला हूं। मेरा नाम अजब हुसैन है। गांव के लोगों ने बताया- हम एक पशु तस्कर को पकड़कर लाए, वो अपने साथियों के नाम-पते बता रहा था, उस वक्त पर पुलिस दीपक को नहीं ढूंढ रही थी। उस तस्कर को छुड़ाने के लिए हमसे भिड़ी हुई थी। अगर उस वक्त बदमाशों की घेराबंदी हो जाती, तो वो पकड़े भी जाते और दीपक की जान भी बच जाती। हकीकत यही है कि पुलिस लापरवाही में ये जान गई है। गांव के लोगों में बच्चे की मौत का दुख, पुलिस के लिए गुस्सा
दैनिक भास्कर ने 17 घंटे के बाद एक बार फिर इस गांव के माहौल को समझा। दीपक का दाह संस्कार पुलिस सिक्योरिटी में किया जा चुका है। गांव की सड़कों पर अब बिल्कुल सन्नाटा पसरा हुआ था। लोग अपने घरों के अंदर थे। सिर्फ दीपक के घर के बाहर लोगों की भीड़ थी। सिर झुकाए बैठे लोग दूर से दिख रहे थे। उनके चेहरों पर दुख के साथ पुलिस के लिए गुस्सा था। वो लोग आपस में चर्चा कर रहे थे- कितनी भी पुलिस, PAC लगा लें। अगर पशु तस्कर पकड़े नहीं गए, तो फिर बवाल तय है। उनके एनकाउंटर ही होने चाहिए। गांव के एक व्यक्ति गुस्से में कहते हैं- पहले ये लोग सिर्फ गोवंश को उठाकर ले जाते थे, काट डालते थे। अब क्या हमारे बच्चों को भी नहीं छोड़ेंगे? हमने बातचीत के लिए कैमरा निकाला, मगर गांव के लोगों ने ऑन कैमरा बातचीत करने से मना कर दिया। मां बोलीं- वो कहता तुम्हें पूरा देश घुमाऊंगा
अब हम दीपक के घर के अंदर पहुंचे। यहां दीपक का छोटा भाई प्रिंस अपनी मां सीमा को संभाल रहा था। वो लगातार रोए जा रही थीं। प्रिंस नवोदय विद्यालय में 9वीं का स्टूडेंट है। मां कहती हैं- उसको 9 महीने कोख में रखा, फिर 18 साल तक पाल पोसकर बड़ा किया। वो अपने क्रिकेट किट और किताबें संभालकर रखता था। मेरा बहुत ख्याल रखता था। वो कहता- एक बार डॉक्टर बन जाऊं, फिर तुम्हें अपने साथ घुमाने ले जाऊंगा। छोटे भाई को भी पढ़ाऊंगा। यह सुनकर मां की गोद में सिर रखकर प्रिंस भी रोने लगा। घर में दीपक के चाचा वीरेंद्र का परिवार भी साथ रहता है। दादा बोले- मेरी आंखों के सामने पोते को उठा ले गए
दीपक के बाबा खरबार गुप्ता और दादी अमरावती देवी की तबीयत खराब चल रही है। दादी कहती हैं- रात में मेरे ही पास दीपक सोया था। अचानक कोई फोन आया। थोड़े देर में आने के लिए कहकर निकला। इसके बाद उनके जुबान से आवाज नहीं निकल पाई। वह रोने लगी। बाबा की आंखों के सामने ही पशु तस्कर दीपक को उठा ले गए। उन्हें सुबह पता चला कि दीपक अब इस दुनिया में नहीं है। दोस्त बोले- दीपक बहुत अच्छा बैट्समैन था
गांव में दीपक के दोस्तों का कहना है- पूरे पिपराइच में दीपक से अच्छा क्रिकेट खेलने वाला कोई नहीं था। वह बहुत अच्छा बैट्समैन था। उसने स्कूल से खेलते हुए ढेर सारे इनाम जीते थे। इंस्टाग्राम प्रोफाइल उसकी क्रिकेट की यादों से भरी हुई हैं। इंस्टाग्राम पर क्रिकेट खेलते हुए ढेर सारे वीडियो और फोटो दीपक ने शेयर किए हैं। गांव के दिनेश कहते हैं- हमलोग उसका मैच देखने जाते थे। लंबी-लंबी बाउंड्री मारता था। जीत के बाद उसे कंधे पर उठाकर गांव तक लाते थे। आज कंधे पर ही आखिरी बार विदाई देकर आए हैं। यह कहते हुए उनकी आंखें नम हो गईं। पशु तस्करों का नेटवर्क जानिए गोरखपुर के गोवंश की सप्लाई बिहार, पश्चिम बंगाल तक
पुलिस जांच मेंं सामने आया था कि पशु तस्कर गोरखपुर से गोवंश गाड़ियों में लादकर कुशीनगर के रास्ते बिहार बॉर्डर पर जाते हैं। वहां पर बाकायदा एक खेत में जगह बनाई है। जहां पर गोवंश उतारे जाते हैं। इसके बाद बिहार के रास्ते पश्चिम बंगाल तक गोवंश भेजे जाते हैं। एक चक्कर में एक तस्कर को 5 से 10 हजार रुपए तक मिल जाते हैं। इस धंधे में कुशीनगर और बिहार के ढेर सारे नई उम्र के लड़के लगे हुए हैं। वहीं कुशीनगर में तो तस्करी के लिए ही अधिकतर घरों में पिकअप गाड़ी भी खरीदी जाती है। जिससे उनकी मोटी कमाई होती है। कई दफा पुलिस से मुठभेड़ होने के बावजूद ये तस्करी थम नहीं रही है। ये भी बताया जा रहा है कि पशु तस्कर ज्यादातर कुशीनगर से होते हुए पिपराइच के रास्ते ही जिले में प्रवेश करते हैं। इसके बावजूद रात में पुलिस पिकेट नहीं लगती है। जहां पिकेट हैं, वहां सही से चेकिंग नहीं होती है। इस हत्या के बाद पुलिस की 2 टीमें कुशीनगर और बिहार में सर्च ऑपरेशन चला रही हैं। अब गांव में क्या हुआ, ये जानिए गांव के लोगों के पथराव में SP, थाना प्रभारी घायल
गोरखपुर में पशु तस्करों और ग्रामीणों में भिड़ंत हो गई। पशु तस्करों ने NEET की तैयारी कर रहे छात्र को खींच लिया। उसकी पीट-पीटकर हत्या कर दी। लाश को घर से 4 किमी दूर फेंक दिया। साढ़े चार घंटे बाद घरवालों को छात्र की खून से लथपथ लाश मिली। उसका सिर कुचला हुआ था। दरअसल, मामले की शुरुआत सोमवार रात साढ़े 11 बजे हुई। 10-12 पशु तस्कर दो गाड़ियों (पिकअप) से पिपराइच के मऊआचापी गांव पहुंचे। गांव के एंट्री पॉइंट पर ही दुर्गेश गुप्ता की फर्नीचर की दुकान थी। तस्करों ने जब सुनसान जगह देखी तो लूट के इरादे से दुकान का ताला तोड़ने लगे। उस वक्त दुकान के ऊपरी मंजिल में ट्रैवल का ऑफिस था। यहां दुर्गेश की बहन का लड़का सो रहा था। शटर खड़खड़ाने की आवाज हुई तो वह उठ गया। उसने देखा तो नीचे 10-12 लोग खड़े थे। उसने तुरंत मामा दुर्गेश के बेटे दीपक को कॉल किया। दीपक ने शोर मचाया। वह तुरंत स्कूटी से दुकान की तरफ भागा। पीछे-पीछे 10-15 ग्रामीण भी वहां पहुंच गए। शोर शराबा सुनकर तस्कर भागने लगे, तभी उनका ग्रामीणों से आमना-सामना हो गया। तस्करों ने फायरिंग कर दी। दीपक सबसे आगे था, ऐसे में तस्करों ने उसको अपनी गाड़ी में खींचकर भर लिया। वहीं, ग्रामीणों ने भी एक तस्कर को पकड़ लिया। उसकी गाड़ी फूंक दी और पीट-पीटकर अधमरा कर दिया। इसी दौरान पुलिस पहुंच गई। पुलिस ने तस्कर को अपनी गिरफ्त में लेने की कोशिश की, तो ग्रामीण एसपी से उलझ गए। पुलिस और ग्रामीणों में झड़प हो गई। इसमें एसपी नॉर्थ जितेंद्र श्रीवास्तव और पिपराइच थाना प्रभारी पुरुषोत्तम आनंद घायल हो गए। साथ ही, 4 और पुलिस वाले चोटिल हुए हैं। उनके नाम हैं विकास साहू, पमीश पांडेय, दीपिका यादव और अजीत चतुर्वेदी। दीपक के पिता दुर्गेश गुप्ता की शिकायत पर देर शाम पिपराइच थाने में 12 लोगों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। हत्या, पशु क्रूरता की धाराएं लगाई गई हैं। ……… अब पहले दिन की कवरेज डिटेल में पढ़िए
गोरखपुर में पशु तस्करों ने की NEET छात्र की हत्या:SP घायल, बवाल-आगजनी; योगी बोले- दोषियों को बख्शेंगे नहीं गोरखपुर में पशु तस्करों और ग्रामीणों में भिड़ंत हो गई। पशु तस्करों ने NEET की तैयारी कर रहे छात्र को खींच लिया। उसकी पीट-पीटकर हत्या कर दी। लाश को घर से 4 किमी दूर फेंक दिया। साढ़े चार घंटे बाद घरवालों को छात्र की खून से लथपथ लाश मिली। उसका सिर कुचला हुआ था। पढ़िए पूरी खबर…