नेपाल में हिंसा के दौरान गाजियाबाद की एक महिला की मौत हो गई। वो अपने पति के साथ नेपाल घूमने गईं थीं। उनकी बॉडी शुक्रवार की सुबह गाजियाबाद पहुंचेगी। दरअसल, 6 सितंबर को रामवीर अपनी पत्नी राजेश के साथ नेपाल घूमने गए थे। उन्हें और उनके परिवार को इस बात की जरा सी भी आशंका नहीं थी कि नेपाल-काठमांडू में हिंसा जैसा कोई बवाल होगा। दोनों 6 महीने पहले से यहां जाने की प्लानिंग कर रहे थे और बाबा पशुपतिनाथ के दर्शन करने के लिए भी काफी एक्साइटेड थे। 8 सितंबर को पशुपतिनाथ मंदिर गए थे। दर्शन करने के बाद वह लोग होटल लौट आए। मंगलवार रात में वह जिस होटल में ठहरे थे, उपद्रवियों ने उसमें आग लगा दी। जान बचाने के लिए दोनों पति-पत्नी चौथी मंजिल से नीचे बिछे गद्दों पर कूदे। यहां से उनकी जान बच गई। लेकिन आगे के सफर में दोनों एक-दूसरे से बिछड़ गए। इसके 2 दिन बाद गाजियाबाद में उनके बेटे के पास कॉल आया कि यहां आपकी मां की इलाज के दौरान मौत हो गई है। ट्रांसपोर्टर पत्नी के साथ नेपाल घूमने गए गाजियाबाद के नंदग्राम इलाके की मास्टर कॉलोनी में रहने रामवीर सिंह गोला (58), अपनी पत्नी राजेश देवी गोला (55) अपने दो बेटों के साथ रहते थे। रामवीर ट्रांसपोर्टेशन का काम करते हैं। वह छोटा हाथी और ट्रक चलवाते हैं। बड़ा बेटा विशाल अपने पिता के साथ बिजनेस में हाथ बंटाता है, जबकि छोटा बेटा राजकमल इलेक्ट्रॉनिक्स का शोरूम चलाता है। रामवीर और राजेश शनिवार को घर से नेपाल के लिए निकले। 8 सितंबर को दोनों ने सबसे पहले काठमांडू में भगवान पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन किए। वहां पूजन-अर्चना की। पूरा दिन यहां घूमे-फिरे। घर पर वीडियो कॉल करके सभी काठमांडू के खूबसूरत नजारे दिखाए। इसके बाद रात में दोनों फिर हयात रेजिडेंसी होटल में ठहरे। अगले दिन फिर काठमांडू में नजदीकी जगहों पर घूमे-फिरे। तभी उसी दिन मंगलवार देर रात को होटल में अचानक अफरा-तफरी मच गई। उपद्रवियों ने होटल में आग लगा दी थी। चारों तरफ शोर-शराबा, धुआं और आग की लपटें फैल गईं। जान बचाने के लिए चौथी मंजिल से कूदे
चौथी मंजिल पर मौजूद रामवीर और राजेश घबराकर बाहर निकलने का रास्ता खोजने लगे। जान बचाने के लिए दोनों ने नीचे छलांग लगा दी। बिल्डिंग के ग्राउंड पर बचाव दल ने गद्दे बिछाए थे। जिस पर गिरकर दोनों की जान तो बच गई। दोनों यहां से तो जान बचाकर निकल गए। आग बुझाने और लोगों को निकालने के बीच माहौल और बिगड़ता चला गया। उपद्रवियों ने फिर हमला कर दिया। इसी दौरान रामवीर और राजेश बिछड़ गए। कई घंटे तक परिवार को उनकी कोई खबर नहीं मिली। इधर परिवार को जब नेपाल हिंसा की जानकारी मिली, तो वो सभी परेशान हो गए। नेपाल में संपर्क की सारी सेवाएं बंद कर दी गईं थी। जिसकी वजह से परिवार के लोग किसी तरह से उनसे कॉन्टेक्ट नहीं कर पा रहे थे। पिता राहत शिविर में मिले
हिंसा के दो दिन बाद रामवीर सिंह के बेटे विशाल को नेपाल से फोन आया। बताया गया कि उनकी मां राजेश का इलाज के दौरान निधन हो गया है। यह खबर मिलते ही परिवार में कोहराम मच गया। दूसरी ओर, रामवीर सिंह घायल अवस्था में एक राहत शिविर में मिले। परिवार का कहना है कि राजेश देवी का पार्थिव शरीर जल्द ही गाजियाबाद लाया जाएगा। नेपाल से उनके चार परिजन और दो ड्राइवर साथ में पार्थिव शरीर लेने गए हैं। अस्पताल से दोपहर 2 बजे शव को रवाना किया गया है और रात लगभग 10 बजे तक बॉर्डर तक पहुँचने की संभावना है। वहाँ से शव गाजियाबाद लाया जाएगा। कल सुबह 11 बजे तक शव गाजियाबाद पहुंच जाएगा। ………………… गाजियाबाद के दो और परिवार भी नेपाल घूमने गए थे। जोकि हिंसा में फंस गए थे। राहत की बात ये है कि ये दोनों परिवार किसी तरह बचते हुए निकल आए। काठमांडू हिंसा में फंसा गाजियाबाद का परिवार:दो दिन होटल में रहने के बाद आज शाम दिल्ली लौटेगा ये खबर भी पढ़िए- यूपी में कैमरे पर लाशों का सौदा, पोस्टमॉर्टम कर्मचारी-पुलिस की डील, बोले- एक लाश डेढ़ लाख में ‘महीने में 30 से 40 लाशें निकल जाती हैं। आप बहुत कम दे रहे हैं। अभी पुराना रिकॉर्ड देखा जाए… उस समय डेढ़ लाख का रेट चल रहा था। राममूर्ति वाले डेढ़ लाख रुपए देकर जाते थे।’ यह दावा है बरेली के पोस्टमॉर्टम हाउस के कर्मचारी सुनील का। यूपी के बरेली में लाशों का सौदा हो रहा है। दैनिक भास्कर के हिडन कैमरे पर सुनील कह रहा है- जो पैसे आप हमें दोगे, हम तो नमक के बराबर रखते हैं। बाकी पैसे ऊपर अधिकारी को देने पड़ते हैं। लाशों के इस सौदे में पुलिस भी शामिल है। पढ़ें पूरी खबर…
चौथी मंजिल पर मौजूद रामवीर और राजेश घबराकर बाहर निकलने का रास्ता खोजने लगे। जान बचाने के लिए दोनों ने नीचे छलांग लगा दी। बिल्डिंग के ग्राउंड पर बचाव दल ने गद्दे बिछाए थे। जिस पर गिरकर दोनों की जान तो बच गई। दोनों यहां से तो जान बचाकर निकल गए। आग बुझाने और लोगों को निकालने के बीच माहौल और बिगड़ता चला गया। उपद्रवियों ने फिर हमला कर दिया। इसी दौरान रामवीर और राजेश बिछड़ गए। कई घंटे तक परिवार को उनकी कोई खबर नहीं मिली। इधर परिवार को जब नेपाल हिंसा की जानकारी मिली, तो वो सभी परेशान हो गए। नेपाल में संपर्क की सारी सेवाएं बंद कर दी गईं थी। जिसकी वजह से परिवार के लोग किसी तरह से उनसे कॉन्टेक्ट नहीं कर पा रहे थे। पिता राहत शिविर में मिले
हिंसा के दो दिन बाद रामवीर सिंह के बेटे विशाल को नेपाल से फोन आया। बताया गया कि उनकी मां राजेश का इलाज के दौरान निधन हो गया है। यह खबर मिलते ही परिवार में कोहराम मच गया। दूसरी ओर, रामवीर सिंह घायल अवस्था में एक राहत शिविर में मिले। परिवार का कहना है कि राजेश देवी का पार्थिव शरीर जल्द ही गाजियाबाद लाया जाएगा। नेपाल से उनके चार परिजन और दो ड्राइवर साथ में पार्थिव शरीर लेने गए हैं। अस्पताल से दोपहर 2 बजे शव को रवाना किया गया है और रात लगभग 10 बजे तक बॉर्डर तक पहुँचने की संभावना है। वहाँ से शव गाजियाबाद लाया जाएगा। कल सुबह 11 बजे तक शव गाजियाबाद पहुंच जाएगा। ………………… गाजियाबाद के दो और परिवार भी नेपाल घूमने गए थे। जोकि हिंसा में फंस गए थे। राहत की बात ये है कि ये दोनों परिवार किसी तरह बचते हुए निकल आए। काठमांडू हिंसा में फंसा गाजियाबाद का परिवार:दो दिन होटल में रहने के बाद आज शाम दिल्ली लौटेगा ये खबर भी पढ़िए- यूपी में कैमरे पर लाशों का सौदा, पोस्टमॉर्टम कर्मचारी-पुलिस की डील, बोले- एक लाश डेढ़ लाख में ‘महीने में 30 से 40 लाशें निकल जाती हैं। आप बहुत कम दे रहे हैं। अभी पुराना रिकॉर्ड देखा जाए… उस समय डेढ़ लाख का रेट चल रहा था। राममूर्ति वाले डेढ़ लाख रुपए देकर जाते थे।’ यह दावा है बरेली के पोस्टमॉर्टम हाउस के कर्मचारी सुनील का। यूपी के बरेली में लाशों का सौदा हो रहा है। दैनिक भास्कर के हिडन कैमरे पर सुनील कह रहा है- जो पैसे आप हमें दोगे, हम तो नमक के बराबर रखते हैं। बाकी पैसे ऊपर अधिकारी को देने पड़ते हैं। लाशों के इस सौदे में पुलिस भी शामिल है। पढ़ें पूरी खबर…