राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने वाराणसी में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के समारोह में बुधवार को बेटियों को नसीहत दी। कहा, ‘अभी लिव-इन-रिलेशन का चलन है… मत करिए। अच्छा फैसला करिए। मैंने 50-50 टुकड़े कर बीम में भरने वालों को देखा है। पिछले 10 दिन से ऐसी घटनाओं के बारे सूचनाएं मिल रही हैं, सुनकर कष्ट होता है। यह ऐसा समाज है, जो आम खाता है, गुठलियां फेंक देता है। सावधान रहिए।’ उन्होंने कहा, ‘एक हाईकोर्ट के जज ने चिंता जताई। पॉक्सो एक्ट के बारे में बताया। ऐसे लोग जो गलत काम करते हैं, भाग जाते हैं। उन्होंने मुझे बताया कि मैडम एक-दो लोग हैं, हमें न्याय भी देना है। समय नहीं है तो हम क्या करें? आप मदद कीजिए। मैंने कहा- जरूर करेंगे। जज ने मुझसे कहा- एक काम आप ऐड कर दीजिए कि पॉक्सो एक्ट में जो बच्चियां जहां भी रहती हैं, उनके लिए क्या करना चाहिए।’ राज्यपाल ने कहा, ‘मैंने सभी यूनिवर्सिटी से जानना चाहा कि इस पर क्या किया जा सकता है। सर्वे वगैरह से कुछ हो सकता है क्या? इस बच्चियों तक कैसे पहुंचें। फिर मैंने 40 बेटियों को बंद कमरे में सामने बिठाया। चार बेटियों की बात सुनी। एक ने कहा- मेरे पिताजी मुझे प्रताड़ित करते थे। दूसरी ने कहा- मामा। तीसरी ने कहा- काका। चौथी ने कहा- पड़ोसी। बेटियों ने हिम्मत दिखाई। वो पुलिस स्टेशन पर गईं। FIR दर्ज कराईं। पिता-मामा जैसे लोगों की धरपकड़ हुई, अब जेल में हैं। इसके बाद बाकी बच्चियों की बात सुनने की हिम्मत नहीं हुई।’
तस्वीरें देखिए- ‘सावधान रहिए, लिव इन समाज सिर्फ शोषण करता है’ राज्यपाल ने कहा, ‘बच्चियों से मिलने के बाद मैंने ऐसी 80 लड़कियों से मुलाकात की। इन्हें उनके साथियों ने छोड़ दिया था। किसी के पास एक साल का तो किसी के पास 2 महीने का बच्चा था। पहले लिव-इन में रहीं, फिर साथी ने छोड़ दिया। इसीलिए कहती हूं, सावधान रहिए। ये लिव-इन समाज ऐसा है कि बस शोषण करता है, फिर छोड़ देता है। दो हॉस्टलों के बीच में जो खाली जगह होती है, उसमें शराब की बोतलें दिखाई देती हैं, ड्रग्स दिखाई देता है। यह बहुत गंभीर और चिंताजनक है।’ दीक्षांत समारोह रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में हुआ पहली बार काशी विद्यापीठ का दीक्षांत समारोह कैंपस से बाहर रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में हुआ। कुलाधिपति और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने शुरुआत की। आज 101 छात्रों को 103 गोल्ड मेडल दिए गए। इस बार स्नातकोत्तर में 3 ट्रांसजेंडर को भी उपाधि दी गई। मुख्य अतिथि पद्मश्री प्रोफेसर सरोज चूड़ामणि AIIMS नई दिल्ली मौजूद रहीं। बलिया में कहा था- पटाना, बच्चे पैदा करना, यही लिव-इन रिलेशनशिप इससे पहले बलिया में जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के 7वें दीक्षांत समारोह में राज्यपाल ने कहा था कि आजकल यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स पढ़ते नहीं और टीचर उन्हें पढ़ाते भी नहीं। अब स्टूडेंट्स ड्रग्स लेने लगे हैं। बलिया से मेरठ तक मैंने देखा है। एक रस्म बन गई है, ड्रग्स खाना और मंगवाना। दारू की बोतल लाना और पीना, फिर मस्ती से सो जाना। उन्होंने कहा था- ‘मेरी बेटियों को सलाह है कि वे किसी चक्कर में न पड़ें। लिव-इन के चक्कर में न पड़ें। लिव-इन के परिणाम देखने हैं तो अनाथालय चले जाइए। वहां एक 15-20 साल की बेटियां गोद में बच्चा लिए खड़ी हैं। ये किसने पैदा किए। ये पढ़ाई नहीं है हमारी। क्या यही पढ़ाई है हमारी? लालच देना, पटाना, बच्चे पैदा करना और फिर छोड़ देना। ये संस्कार हमारा नहीं, लेकिन ऐसा हो रहा है।’ दीक्षांत से जुड़ी पल-पल की अपडेट के लिए नीचे एक-एक ब्लॉग से गुजर जाइए…
तस्वीरें देखिए- ‘सावधान रहिए, लिव इन समाज सिर्फ शोषण करता है’ राज्यपाल ने कहा, ‘बच्चियों से मिलने के बाद मैंने ऐसी 80 लड़कियों से मुलाकात की। इन्हें उनके साथियों ने छोड़ दिया था। किसी के पास एक साल का तो किसी के पास 2 महीने का बच्चा था। पहले लिव-इन में रहीं, फिर साथी ने छोड़ दिया। इसीलिए कहती हूं, सावधान रहिए। ये लिव-इन समाज ऐसा है कि बस शोषण करता है, फिर छोड़ देता है। दो हॉस्टलों के बीच में जो खाली जगह होती है, उसमें शराब की बोतलें दिखाई देती हैं, ड्रग्स दिखाई देता है। यह बहुत गंभीर और चिंताजनक है।’ दीक्षांत समारोह रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में हुआ पहली बार काशी विद्यापीठ का दीक्षांत समारोह कैंपस से बाहर रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में हुआ। कुलाधिपति और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने शुरुआत की। आज 101 छात्रों को 103 गोल्ड मेडल दिए गए। इस बार स्नातकोत्तर में 3 ट्रांसजेंडर को भी उपाधि दी गई। मुख्य अतिथि पद्मश्री प्रोफेसर सरोज चूड़ामणि AIIMS नई दिल्ली मौजूद रहीं। बलिया में कहा था- पटाना, बच्चे पैदा करना, यही लिव-इन रिलेशनशिप इससे पहले बलिया में जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के 7वें दीक्षांत समारोह में राज्यपाल ने कहा था कि आजकल यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स पढ़ते नहीं और टीचर उन्हें पढ़ाते भी नहीं। अब स्टूडेंट्स ड्रग्स लेने लगे हैं। बलिया से मेरठ तक मैंने देखा है। एक रस्म बन गई है, ड्रग्स खाना और मंगवाना। दारू की बोतल लाना और पीना, फिर मस्ती से सो जाना। उन्होंने कहा था- ‘मेरी बेटियों को सलाह है कि वे किसी चक्कर में न पड़ें। लिव-इन के चक्कर में न पड़ें। लिव-इन के परिणाम देखने हैं तो अनाथालय चले जाइए। वहां एक 15-20 साल की बेटियां गोद में बच्चा लिए खड़ी हैं। ये किसने पैदा किए। ये पढ़ाई नहीं है हमारी। क्या यही पढ़ाई है हमारी? लालच देना, पटाना, बच्चे पैदा करना और फिर छोड़ देना। ये संस्कार हमारा नहीं, लेकिन ऐसा हो रहा है।’ दीक्षांत से जुड़ी पल-पल की अपडेट के लिए नीचे एक-एक ब्लॉग से गुजर जाइए…