वाराणसी में गांव सरैंया में 100 साल से हिंदू और मुस्लिम घरों के बीच ‘दीवार’ से बंटवारा है। इसको गांव के बुजुर्गों ने खानपान और रहन-सहन का हवाला देते हुए बनवाया था। इसके एक तरफ मुस्लिम आबादी के 25 घर हैं। दूसरी तरफ, 239 घर हिंदुओं के हैं। 4 फीट ऊंची दीवार ने इस गांव को हमेशा बांटे रखा। हाल में 4 फीट ऊंची दीवार के जर्जर होने का हवाला देते हुए हिंदू पक्ष ने मरम्मत शुरू करवाई। विवाद तब उपजा, जब मुस्लिम पक्ष ने इस दीवार का एक हिस्सा तोड़ दिया। कहा- अब दीवार को 6 फीट ऊंचाई के साथ क्यों बनाया जा रहा है। इसके बाद गांव में महिलाएं और पुरुष सड़क पर आए गए। खूब विवाद हुआ। रात में ही पुलिस पहुंची, दीवार के बारे में जानकारी करने के बाद पूरी दीवार ही तुड़वा दी। दोनों पक्ष थाने में जुटे, पंचायत हुई, मगर विवाद खत्म नहीं हुआ। 22 अगस्त को हिंदू पक्ष वाराणसी कमिश्नर के ऑफिस पूरा मामला लेकर पहुंचा। पढ़िए रिपोर्ट… गांव में कभी कोई विवाद नहीं हुआ, ऐसा माहौल पहली बार
इस गांव के असल विवाद को समझने के लिए दैनिक भास्कर से अलग-अलग लोगों से बात की। सामने आया कि गांव में 239 घर में 1400 हिंदू वोटर हैं। जबकि 25 घरों में 90-100 मुस्लिम वोटर हैं। इस गांव में कभी कोई विवाद नहीं हुआ। वजह थी गांव की दीवार। इसकी एक तरफ हिंदू रहते हैं, दूसरी तरफ मुस्लिम परिवारों की बसाहट है। हालांकि दोनों तरफ लोग एक दूसरे के तीज त्योहार में भी शामिल होते थे। परिवार एक-दूसरे की मदद भी करते थे। इस पूरे विवाद की शुरुआत दीवार की मरम्मत करने से हुई। गांव के लोगों ने चौपाल पर तय किया कि बुजुर्गों की बनाई हुई दीवार को मरम्मत की जरूरत है। ये भी सहमति बन गई कि 4 फीट की दीवार की ऊंचाई को थोड़ा बढ़ाने की जरूरत है। गांव के लोगों ने ही चंदा लगाया और दीवार बनाने का काम शुरू हो गया। पहले दिन यानी 21 अगस्त को दीवार को बनते देख मुस्लिम पक्ष ने शिकायत नहीं की, क्योंकि दीवार तो पहले से वो देख रहे थे, मगर दूसरे दिन 22 अगस्त को जब दीवार की ऊंचाई 2 फीट ज्यादा देखी, तब आपत्ति शुरू हुई। आधी रात को मुस्लिम पक्ष ने दीवार तोड़ी आधी रात को मुस्लिम पक्ष के लोग फावड़ा और हथौड़े लेकर पहुंचे और दीवार का एक हिस्सा तोड़ डाला। हिंदू पक्ष को जैसे ही इस तोड़फोड़ के बारे में जानकारी मिली। वह एग्रेसिव हो गए। महिलाएं और पुरुष घरों से निकल आए। विवाद शुरू हो गया। हिंदू पक्ष इसको सालों पुराना कंस्ट्रक्शन बता रहा था। मुस्लिम पक्ष का कहना था कि नए कंस्ट्रक्शन में पुराने नियमों का ख्याल नहीं रखा गया। इसलिए इसको नहीं बनने देंगे। रात में ही पुलिस पहुंची, झगड़ा कर रहे दोनों पक्षों को छितर–बितर कर दिया। गांव में टेंशन का माहौल बनने के बाद फोर्स तैनात कर दी गई। गांव के लोगों की बात हिंदू पक्ष : मेला की जगह उर्स मनाने लगे
2 साल पहले से कजरी मेला की जगह उर्स मनाने लगे
गांव के रोहित सिंह ने कहा- हमारे गांव में कजरी मेला लगता था। सांस्कृतिक कार्यक्रम होते थे। इसको सुनने-देखने दूर-दूर से लोग आते थे। 2 साल पहले से गड़बड़ी शुरू हुई। मुस्लिम लोगों मजार-मस्जिद का विस्तार करना चाहते थे। वो यहां उर्स का आयोजन करने लगे। जबकि जिन आला हजरत का मना रहे हैं, उनका गांव से कोई ताल्लुक भी नहीं। जहां भगवा ध्वजा घुमाते थे, वहां हरी चादर घुमाने लगे
आकाश केसरी कहते हैं- कजरी मेला से पहले भगवा ध्वज पूरे गांव में घुमाया जाता था। अब उसकी जगह उर्स की हरी चादर गांव में घुमाई जाने लगी। वहीं, ग्राम पंचायत भवन के पास 1 मंदिर बना हुआ है। उसके करीब ही एक मुस्लिम व्यक्ति की बॉडी को दफनाकर वहां अलविदा की नमाज पढ़ी जाने लगी है। इससे गांव के ज्यादा लोगों में गुस्सा है। मुस्लिम पक्ष : दीवार से दिक्कत नहीं, 2 फीट ऊंचाई क्यों बढ़ाई
इस गांव में रहने वाले मोहम्मद सिराज कहते हैं- दीवार बनने से हमें दिक्कत नहीं, पहले भी दीवार यहां थी। मगर अब उसको 2 फीट और ऊंची क्यों बना रहे हैं। पहले लोग उस पार देख पाते थे। मगर अब ऐसा लग रहा है कि हमें गांव से ही बेदखल करना चाह रहे हैं, ऐसा कैसे होने दे सकते हैं। मोहम्मद बिलाल कहते हैं- दीवार को तोड़ने की मंशा नहीं थी, उससे कोई दिक्कत भी नहीं है, मगर हम भी इसी गांव का हिस्सा है। हमारे घरों की तरफ और ऊंची दीवार खींची जा रही थी, सिर्फ विरोध ही किया गया। उसके बाद तो पुलिस आ गई थी। पुलिस ने कहा- ACP से पूरे मामले की जांच करवा रहे इस पूरे मामले में BJP के पूर्व मंडल अध्यक्ष (सिन्धोरा) अनिल कुमार सिंह कहते हैं- सरकार BJP की है, मगर पुलिस मुस्लिम लोगों की ही मदद कर रही है। हमारे लोगों दबाव बनाया जा रहा है। जोकि गलत है। हम इसके खिलाफ आवाज उठाएंगे। वहीं ,एडिशनल सीपी राजेश कुमार सिंह ने कहा- गांव के लोगों की शिकायत मिल गई है। वास्तविक स्थिति का जायजा लेने के लिए एसीपी को कहा गया है। जांच के बाद विवाद की असली वजह सामने आ जाएगी। ……….. यह भी पढ़ें : टीचर को मार डालेंगे…24 घंटे पहले तय हुआ:40Km दूर से वाराणसी दोस्त बुलाए, हत्या के बाद अस्सी घाट पर सिगरेट पी वाराणसी में सनबीम स्कूल के टीचर की हत्या की स्क्रिप्ट 24 घंटे पहले ही लिखी जा चुकी थी। दरअसल, टीचर प्रवीण झा का मातृछाया अपार्टमेंट की पार्किंग में कार खड़ी करने को लेकर आदर्श झा से झगड़ा हुआ था। कॉलोनी के कई लोगों के सामने प्रवीण ने आदर्श को खरी-खोटी सुनाई थी। आदर्श को लग रहा था कि प्रवीण की वजह से सोसाइटी में उसका वर्चस्व कम हो रहा है, इसलिए उसने मर्डर करने की प्लानिंग कर डाली। पढ़िए पूरी खबर …
इस गांव के असल विवाद को समझने के लिए दैनिक भास्कर से अलग-अलग लोगों से बात की। सामने आया कि गांव में 239 घर में 1400 हिंदू वोटर हैं। जबकि 25 घरों में 90-100 मुस्लिम वोटर हैं। इस गांव में कभी कोई विवाद नहीं हुआ। वजह थी गांव की दीवार। इसकी एक तरफ हिंदू रहते हैं, दूसरी तरफ मुस्लिम परिवारों की बसाहट है। हालांकि दोनों तरफ लोग एक दूसरे के तीज त्योहार में भी शामिल होते थे। परिवार एक-दूसरे की मदद भी करते थे। इस पूरे विवाद की शुरुआत दीवार की मरम्मत करने से हुई। गांव के लोगों ने चौपाल पर तय किया कि बुजुर्गों की बनाई हुई दीवार को मरम्मत की जरूरत है। ये भी सहमति बन गई कि 4 फीट की दीवार की ऊंचाई को थोड़ा बढ़ाने की जरूरत है। गांव के लोगों ने ही चंदा लगाया और दीवार बनाने का काम शुरू हो गया। पहले दिन यानी 21 अगस्त को दीवार को बनते देख मुस्लिम पक्ष ने शिकायत नहीं की, क्योंकि दीवार तो पहले से वो देख रहे थे, मगर दूसरे दिन 22 अगस्त को जब दीवार की ऊंचाई 2 फीट ज्यादा देखी, तब आपत्ति शुरू हुई। आधी रात को मुस्लिम पक्ष ने दीवार तोड़ी आधी रात को मुस्लिम पक्ष के लोग फावड़ा और हथौड़े लेकर पहुंचे और दीवार का एक हिस्सा तोड़ डाला। हिंदू पक्ष को जैसे ही इस तोड़फोड़ के बारे में जानकारी मिली। वह एग्रेसिव हो गए। महिलाएं और पुरुष घरों से निकल आए। विवाद शुरू हो गया। हिंदू पक्ष इसको सालों पुराना कंस्ट्रक्शन बता रहा था। मुस्लिम पक्ष का कहना था कि नए कंस्ट्रक्शन में पुराने नियमों का ख्याल नहीं रखा गया। इसलिए इसको नहीं बनने देंगे। रात में ही पुलिस पहुंची, झगड़ा कर रहे दोनों पक्षों को छितर–बितर कर दिया। गांव में टेंशन का माहौल बनने के बाद फोर्स तैनात कर दी गई। गांव के लोगों की बात हिंदू पक्ष : मेला की जगह उर्स मनाने लगे
2 साल पहले से कजरी मेला की जगह उर्स मनाने लगे
गांव के रोहित सिंह ने कहा- हमारे गांव में कजरी मेला लगता था। सांस्कृतिक कार्यक्रम होते थे। इसको सुनने-देखने दूर-दूर से लोग आते थे। 2 साल पहले से गड़बड़ी शुरू हुई। मुस्लिम लोगों मजार-मस्जिद का विस्तार करना चाहते थे। वो यहां उर्स का आयोजन करने लगे। जबकि जिन आला हजरत का मना रहे हैं, उनका गांव से कोई ताल्लुक भी नहीं। जहां भगवा ध्वजा घुमाते थे, वहां हरी चादर घुमाने लगे
आकाश केसरी कहते हैं- कजरी मेला से पहले भगवा ध्वज पूरे गांव में घुमाया जाता था। अब उसकी जगह उर्स की हरी चादर गांव में घुमाई जाने लगी। वहीं, ग्राम पंचायत भवन के पास 1 मंदिर बना हुआ है। उसके करीब ही एक मुस्लिम व्यक्ति की बॉडी को दफनाकर वहां अलविदा की नमाज पढ़ी जाने लगी है। इससे गांव के ज्यादा लोगों में गुस्सा है। मुस्लिम पक्ष : दीवार से दिक्कत नहीं, 2 फीट ऊंचाई क्यों बढ़ाई
इस गांव में रहने वाले मोहम्मद सिराज कहते हैं- दीवार बनने से हमें दिक्कत नहीं, पहले भी दीवार यहां थी। मगर अब उसको 2 फीट और ऊंची क्यों बना रहे हैं। पहले लोग उस पार देख पाते थे। मगर अब ऐसा लग रहा है कि हमें गांव से ही बेदखल करना चाह रहे हैं, ऐसा कैसे होने दे सकते हैं। मोहम्मद बिलाल कहते हैं- दीवार को तोड़ने की मंशा नहीं थी, उससे कोई दिक्कत भी नहीं है, मगर हम भी इसी गांव का हिस्सा है। हमारे घरों की तरफ और ऊंची दीवार खींची जा रही थी, सिर्फ विरोध ही किया गया। उसके बाद तो पुलिस आ गई थी। पुलिस ने कहा- ACP से पूरे मामले की जांच करवा रहे इस पूरे मामले में BJP के पूर्व मंडल अध्यक्ष (सिन्धोरा) अनिल कुमार सिंह कहते हैं- सरकार BJP की है, मगर पुलिस मुस्लिम लोगों की ही मदद कर रही है। हमारे लोगों दबाव बनाया जा रहा है। जोकि गलत है। हम इसके खिलाफ आवाज उठाएंगे। वहीं ,एडिशनल सीपी राजेश कुमार सिंह ने कहा- गांव के लोगों की शिकायत मिल गई है। वास्तविक स्थिति का जायजा लेने के लिए एसीपी को कहा गया है। जांच के बाद विवाद की असली वजह सामने आ जाएगी। ……….. यह भी पढ़ें : टीचर को मार डालेंगे…24 घंटे पहले तय हुआ:40Km दूर से वाराणसी दोस्त बुलाए, हत्या के बाद अस्सी घाट पर सिगरेट पी वाराणसी में सनबीम स्कूल के टीचर की हत्या की स्क्रिप्ट 24 घंटे पहले ही लिखी जा चुकी थी। दरअसल, टीचर प्रवीण झा का मातृछाया अपार्टमेंट की पार्किंग में कार खड़ी करने को लेकर आदर्श झा से झगड़ा हुआ था। कॉलोनी के कई लोगों के सामने प्रवीण ने आदर्श को खरी-खोटी सुनाई थी। आदर्श को लग रहा था कि प्रवीण की वजह से सोसाइटी में उसका वर्चस्व कम हो रहा है, इसलिए उसने मर्डर करने की प्लानिंग कर डाली। पढ़िए पूरी खबर …