वाराणसी में शनिवार दोपहर बाद तेज हवाओं के साथ एक घंटे जोरदार बारिश हुई। यहां दिन में अंधेरा छा गया। सड़कों पर 3 से 4 फीट तक पानी भर गया। ट्रैफिक संभालने के लिए पुलिसकर्मियों को जूते उतारकर सड़क पर आना पड़ा। सीतापुर में मछुआरों के जाल में करीब 15 फीट का मगरमच्छ फंस गया। मछुआरे उसे गांव ले आए और घर के सामने किसी मवेशी तरह खूंटे से बांध दिया। बाद में वनकर्मियों ने उसे शारदा नदी में छोड़ा है। यूपी में गंगा, यमुना समेत नदियों का बढ़ता जलस्तर लोगों के लिए मुसीबत बन गया है। उन्नाव में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से 23 सेमी ऊपर पहुंच गया है। 80 गांव बाढ़ की चपेट में हैं। सड़कों पर नाव चल रही है। 100 से ज्यादा परिवार बेघर हो गए हैं। लोग तंबुओं या किराए के घरों में रह रहे हैं। आगरा में 47 साल बाद बाढ़ का भयावह मंजर देखने को मिला। यहां के रहने वाले मुरारीलाल का कहना है कि ऐसा लग रहा है कि 1978 वाली बाढ़ आ गई। उस बार बहुत नुकसान हुआ था। इस बार भी ऐसा लग रहा है। सेम टू सेम वही हालात हैं। फर्रुखाबाद में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से 15 सेंटीमीटर नीचे आ गया है। मगर, नदी किनारे कटान तेज हो गया है। ग्रामीण अपने मकानों को खुद तोड़ रहे हैं। वे ईंटें और सरिया निकालकर बैलगाड़ियों से सुरक्षित स्थानों पर ले जा रहे। वहीं, कानपुर में गंगा के जलस्तर ने 14 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया। 2011 के बाद गंगा बैराज पर जलस्तर 115 मीटर पहुंच गया है। 16 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। 500 परिवार बैराज से बिठूर जाने वाली सड़क पर पालीथीन से तंबू बनाकर रह रहे हैं। इधर, हथिनी कुंड बैराज से पानी छोड़े जाने के बाद मथुरा के वृंदावन में हालात बिगड़ गए हैं। करीब 40% हिस्सा बाढ़ की चपेट में है। रावल स्थित राधारानी मंदिर को जाने वाला रास्ता पानी में डूबा है। यमुनापार के तिवारी पुरम में अभी भी ट्रैक्टर से लोग आ-जा रहे हैं। फर्रुखाबाद में बदायूं स्टेट हाईवे पर डेढ़ फीट बाढ़ का पानी बह रहा है। जमापुर डिप में हाईवे पर एक युवक बाढ़ में बहने लगा। वहां मौजूद लोगों ने किसी तरह बहते युवक को बचा लिया। 4 तस्वीरें देखिए-
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