पीलीभीत टाइगर रिजर्व से 6 माह पहले रेस्क्यू कर गोरखपुर चिड़ियाघर लाए गए बाघ केसरी की मौत हो गई। उसने रविवार तड़के 4 बजे दम तोड़ दिया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मौत की वजह उसके दिमाग में पानी भरना बताई गई है। जांच के लिए इसका सैंपल इंडियन वेटनेरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (आईवीआरआई) बरेली भेजा गया। चिड़ियाघर के अफसरों के मुताबिक, शनिवार से ही उसके व्यवहार में परिवर्तन आ गया था। वह काफी बेचैन था। उसने बाड़े में ही खुद को घायल कर लिया था। जिसके बाद उसकी हालत बिगड़ गई। सीएम योगी ने बाघ का नाम ‘केसरी’ रखा था। इसे पहले ‘पंपिंग टाइगर’ के नाम से जाना जाता था। बाघ केसरी 8 साल का था। पढ़िए बाघ केसरी के आतंक की कहानी पीलीभीत में 13 लोगों को बनाया था निवाला
केसरी की पीलीभीत टाइगर रिजर्व से सटे कलीनगर तहसील क्षेत्र के छह गांवों में दहशत थी। क्षेत्रीय ग्रामीणों का कहना है कि करीब 7 किलोमीटर दायरे में बाघ चहलकदमी करता था। बाघ ने गत वर्ष अगस्त-सितंबर माह में करीब 13 लोगों को अपना निवाला बनाया था। उसे पकड़ने के लिए 14 दिन की कड़ी मशक्कत के बाद पकड़ा गया था। 23 सितंबर की सुबह 4:50 बजे, वन विभाग की टीम ने माला रेंज की भैरों बीट में ट्रंकुलाइज कर रेस्क्यू किया था। चार दिन तक पिंजरे में रखा गया था, क्योंकि यह तय नहीं हो पाया था कि इसे कहां भेजा जाए। आखिरकार, विशेषज्ञों की सलाह पर गोरखपुर चिड़ियाघर भेजा गया। यहां बाड़े में आने के बाद भी वह तनाव में था। एक दिन उग्र होकर उसने नाइटसेल में लगे सीसीटीवी कैमरे को भी तोड़ दिया था। उसका यही तनाव न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर का कारण बन गया। मगर शारीरिक रूप से फिट होने की वजह से उसकी बीमारी को कोई समझ नहीं पाया।
बाघ का वजन 280 किलो से अधिक था। पीलीभीत में इसका नाम पंपिंग बाघ रखा गया था। जंगल से आने की वजह से यह क्वारैंटाइन सेल में काफी बेचैन रहता था। धीरे-धीरे व्यवहार सही हुआ। दिमाग में करीब 100 एमएल पानी भरा मिला
विशेषज्ञों के मुताबिक, जब पीलीभीत में था, तब भी तनाव में था। इसी तनाव में उसने हमले किए थे। तनाव की वजह से उसके दिमाग में पानी भरता गया। यह पानी केवल एक दिन में नहीं भरा है। धीरे-धीरे यह पानी भरा और काफी गाढ़ा हो गया था। इसकी वजह से उसे न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर की समस्या हुई। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में बताया गया कि उसके दिमाग में करीब 100 एमएल पानी मिला, जिसे मेनिनजाइटिस बीमारी कहते हैं। दिमाग में सूजन भी थी। पोस्टमॉर्टम के बाद अस्पताल के क्रिमेटोरियम में उसका अंतिम संस्कार किया गया। चिड़ियाघर के उप निदेशक डॉ. योगेश प्रताप सिंह ने बताया कि पोस्टमॉर्टम करने वाली टीम में आईवीआरआई बरेली के डॉ. एम करि कलन, लखनऊ चिड़ियाघर डॉ. बिजेंद्र मणि यादव, बीसी वर्मा शामिल रहे। CM योगी ने किया था बाघ का नामकरण
शुरुआत में इसे शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणि उद्यान के अस्पताल में रखा गया। इसके बाद इसे बाड़े में रखा गया। सीएम योगी ने 20 जनवरी को इसका केसरी नामकरण करते हुए बाड़े में छोड़ा था। गीता की वजह से भी बढ़ा तनाव
केसरी का क्रॉल गीता (सफेद बाधिन) के बगल में था। उन दोनों में नजदीकियां भी बढ़ रही थीं। वहीं गीता के दूसरी तरफ बाघ (अमर) का क्रॉल (बाड़ा) था। ऐसे में दो बाघ के बीच एक ही बाघिन थी। यह भी उसके तनाव का कारण बना। कैसे हुई केसरी की मौत? पढ़िए
शनिवार सुबह केसरी अपने नाइट सेल से बाहर निकलने के लिए बेचैन दिखा। उसने खुद को दीवारों और ग्रिल से टकराना शुरू कर दिया, जिससे उसके सिर और शरीर पर गहरी चोटें आ गईं। कुछ ही देर में उसकी हालत बिगड़ गई और उसने दम तोड़ दिया। मेनिनजाइटिस एक गंभीर संक्रमण है, जो दिमाग और रीढ़ की हड्डी की झिल्लियों को प्रभावित करता है। इससे मानसिक संतुलन बिगड़ सकता है, जिससे जानवर अजीब हरकतें करने लगते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि संभवतः इस बीमारी की वजह से ही केसरी ने खुद को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया था। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या चिड़ियाघर प्रशासन को पहले इस बीमारी के लक्षण नजर नहीं आए? क्या केसरी का समय पर सही इलाज किया गया? यह बीमारी अचानक नहीं होती, इसके लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं। अगर इसकी समय पर पहचान कर ली जाती, तो क्या केसरी को बचाया जा सकता था? बाघ के मौत की होगी जांच
चिड़ियाघर के निदेशक विकास यादव का कहना है कि मामले की जांच की जाएगी। यह भी देखा जाएगा कि कहीं अन्य जानवरों में कोई संक्रमण तो नहीं फैला है। वन विभाग इस बात की भी पड़ताल करेगा कि क्या केसरी की मौत सिर्फ बीमारी से हुई या इसके पीछे कोई और वजह भी थी। ………………… ये खबर भी पढ़ें- सूटकेस छोटा पड़ा तो सौरभ को मारकर ड्रम में भरा:साहिल-मुस्कान ने 10-12 बार में गला काटा; फोरेंसिक जांच में चौंकाने वाले खुलासे मेरठ में सौरभ राजपूत मर्डर के 27 दिन बीत चुके हैं। इस हत्याकांड में 3 स्तर पर जांच चल रही है। पहली- पुलिस, दूसरी- फोरेंसिक टीम और तीसरी-साइबर सेल। पुलिस केस डायरी, साइबर सेल की मोबाइल जांच के बाद अब फोरेंसिक टीम की जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे सामने आ रहे हैं। साहिल और मुस्कान ने सौरभ के टुकड़ों को पहले सूटकेस में भरकर ठिकाने लगाने का प्लान बनाया था। लेकिन, सूटकेस उस हिसाब से छोटा पड़ गया। इस पर अगले दिन मुस्कान ड्रम खरीदकर लाई और उसमें बॉडी के टुकड़े सील किए। पढ़ें पूरी खबर
केसरी की पीलीभीत टाइगर रिजर्व से सटे कलीनगर तहसील क्षेत्र के छह गांवों में दहशत थी। क्षेत्रीय ग्रामीणों का कहना है कि करीब 7 किलोमीटर दायरे में बाघ चहलकदमी करता था। बाघ ने गत वर्ष अगस्त-सितंबर माह में करीब 13 लोगों को अपना निवाला बनाया था। उसे पकड़ने के लिए 14 दिन की कड़ी मशक्कत के बाद पकड़ा गया था। 23 सितंबर की सुबह 4:50 बजे, वन विभाग की टीम ने माला रेंज की भैरों बीट में ट्रंकुलाइज कर रेस्क्यू किया था। चार दिन तक पिंजरे में रखा गया था, क्योंकि यह तय नहीं हो पाया था कि इसे कहां भेजा जाए। आखिरकार, विशेषज्ञों की सलाह पर गोरखपुर चिड़ियाघर भेजा गया। यहां बाड़े में आने के बाद भी वह तनाव में था। एक दिन उग्र होकर उसने नाइटसेल में लगे सीसीटीवी कैमरे को भी तोड़ दिया था। उसका यही तनाव न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर का कारण बन गया। मगर शारीरिक रूप से फिट होने की वजह से उसकी बीमारी को कोई समझ नहीं पाया।
बाघ का वजन 280 किलो से अधिक था। पीलीभीत में इसका नाम पंपिंग बाघ रखा गया था। जंगल से आने की वजह से यह क्वारैंटाइन सेल में काफी बेचैन रहता था। धीरे-धीरे व्यवहार सही हुआ। दिमाग में करीब 100 एमएल पानी भरा मिला
विशेषज्ञों के मुताबिक, जब पीलीभीत में था, तब भी तनाव में था। इसी तनाव में उसने हमले किए थे। तनाव की वजह से उसके दिमाग में पानी भरता गया। यह पानी केवल एक दिन में नहीं भरा है। धीरे-धीरे यह पानी भरा और काफी गाढ़ा हो गया था। इसकी वजह से उसे न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर की समस्या हुई। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में बताया गया कि उसके दिमाग में करीब 100 एमएल पानी मिला, जिसे मेनिनजाइटिस बीमारी कहते हैं। दिमाग में सूजन भी थी। पोस्टमॉर्टम के बाद अस्पताल के क्रिमेटोरियम में उसका अंतिम संस्कार किया गया। चिड़ियाघर के उप निदेशक डॉ. योगेश प्रताप सिंह ने बताया कि पोस्टमॉर्टम करने वाली टीम में आईवीआरआई बरेली के डॉ. एम करि कलन, लखनऊ चिड़ियाघर डॉ. बिजेंद्र मणि यादव, बीसी वर्मा शामिल रहे। CM योगी ने किया था बाघ का नामकरण
शुरुआत में इसे शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणि उद्यान के अस्पताल में रखा गया। इसके बाद इसे बाड़े में रखा गया। सीएम योगी ने 20 जनवरी को इसका केसरी नामकरण करते हुए बाड़े में छोड़ा था। गीता की वजह से भी बढ़ा तनाव
केसरी का क्रॉल गीता (सफेद बाधिन) के बगल में था। उन दोनों में नजदीकियां भी बढ़ रही थीं। वहीं गीता के दूसरी तरफ बाघ (अमर) का क्रॉल (बाड़ा) था। ऐसे में दो बाघ के बीच एक ही बाघिन थी। यह भी उसके तनाव का कारण बना। कैसे हुई केसरी की मौत? पढ़िए
शनिवार सुबह केसरी अपने नाइट सेल से बाहर निकलने के लिए बेचैन दिखा। उसने खुद को दीवारों और ग्रिल से टकराना शुरू कर दिया, जिससे उसके सिर और शरीर पर गहरी चोटें आ गईं। कुछ ही देर में उसकी हालत बिगड़ गई और उसने दम तोड़ दिया। मेनिनजाइटिस एक गंभीर संक्रमण है, जो दिमाग और रीढ़ की हड्डी की झिल्लियों को प्रभावित करता है। इससे मानसिक संतुलन बिगड़ सकता है, जिससे जानवर अजीब हरकतें करने लगते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि संभवतः इस बीमारी की वजह से ही केसरी ने खुद को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया था। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या चिड़ियाघर प्रशासन को पहले इस बीमारी के लक्षण नजर नहीं आए? क्या केसरी का समय पर सही इलाज किया गया? यह बीमारी अचानक नहीं होती, इसके लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं। अगर इसकी समय पर पहचान कर ली जाती, तो क्या केसरी को बचाया जा सकता था? बाघ के मौत की होगी जांच
चिड़ियाघर के निदेशक विकास यादव का कहना है कि मामले की जांच की जाएगी। यह भी देखा जाएगा कि कहीं अन्य जानवरों में कोई संक्रमण तो नहीं फैला है। वन विभाग इस बात की भी पड़ताल करेगा कि क्या केसरी की मौत सिर्फ बीमारी से हुई या इसके पीछे कोई और वजह भी थी। ………………… ये खबर भी पढ़ें- सूटकेस छोटा पड़ा तो सौरभ को मारकर ड्रम में भरा:साहिल-मुस्कान ने 10-12 बार में गला काटा; फोरेंसिक जांच में चौंकाने वाले खुलासे मेरठ में सौरभ राजपूत मर्डर के 27 दिन बीत चुके हैं। इस हत्याकांड में 3 स्तर पर जांच चल रही है। पहली- पुलिस, दूसरी- फोरेंसिक टीम और तीसरी-साइबर सेल। पुलिस केस डायरी, साइबर सेल की मोबाइल जांच के बाद अब फोरेंसिक टीम की जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे सामने आ रहे हैं। साहिल और मुस्कान ने सौरभ के टुकड़ों को पहले सूटकेस में भरकर ठिकाने लगाने का प्लान बनाया था। लेकिन, सूटकेस उस हिसाब से छोटा पड़ गया। इस पर अगले दिन मुस्कान ड्रम खरीदकर लाई और उसमें बॉडी के टुकड़े सील किए। पढ़ें पूरी खबर