‘छह महीने से किसान सबकुछ लगाते-लगाते मर गए, लेकिन अब खाने को कुछ नहीं बच रहा। बारिश से सब बर्बाद कर दिया है। खाने को भी कुछ नहीं बच रहा। रात में तो मन कर रहा था कि किसी गाड़ी के सामने कूदकर मर जाएं। पहले खाद के लिए मारामारी रही। किसी तरह धान की फसल तैयार हुई, तो बारिश ने सब कुछ चौपट कर दिया।’ ये दर्द है उन किसानों का, जिनकी फसलें खेतों में बेमौसम बारिश में बर्बाद हो गईं। दरअसल, यूपी में बेमौसम बारिश किसानों पर कहर बनकर टूटी है। सबसे ज्यादा असर पूर्वांचल, मध्य यूपी के साथ बुंदेलखंड के कुछ जिलों पर पड़ा है। खेतों में खड़ी धान की पकी फसल बिछ गई है। कटा पड़ा धान भीग गया, फसल का दाना सड़ने लगा। पराली भी सड़कर गलने लगी है। 4 दिनों की बेमौसम बरसात के कारण किसान धान की मड़ाई भी नहीं कर पा रहे हैं। बारिश का असर आलू की खेती पर भी पड़ा है। बोई गई आलू सड़ने की कगार पर है। हरी सब्जियों की खेती करने वाले किसानों की भी बारिश से कमर टूट गई है। फूल-पत्ता गोभी, ब्रोकली और पालक जैसी सब्जियां खेतों में डूबी हैं। जिसके चलते किसान खेतों में ही उन्हें नष्ट करने को मजबूर हैं। किसानों को मुनाफा तो दूर लागत निकलना भी मुश्किल हो गया है। इधर, बारिश से बर्बाद तिलहन की फसल देख महोबा में किसान को सदमा लगा। अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। अब हम आपको पूर्वांचल-मध्य और बुंदेलखंड के किसानों का दर्द पढ़वाते हैं… सबसे पहले लखनऊ से सटे बाराबंकी की बात
बाराबंकी में लगातार 4 दिन से रुक रुककर हो रही बारिश से धान की फसलें पूरी तरह चौपट हो गई हैं। खेतों में पानी भरने के कारण खड़ी फसलें डूब गई हैं, जिससे किसानों के सामने गहरा आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। खेतों में बड़े पैमाने पर जलभराव हो गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 70 प्रतिशत खड़ी धान की फसल पानी भरने से सड़ गई। इस बारिश ने न केवल किसानों की मेहनत पर पानी फेरा, बल्कि अगली फसल की तैयारी को लेकर भी संकट खड़ा कर दिया है। जिले में करीब 600 बीघा धान की फसल बर्बाद हो गई है। सियाराम बोले- 5 एकड़ फसल डूबकर सड़ गई
खेत में मायूस खड़े किसान सियाराम ने बताया- मेरा परिवार पूरी तरह खेती पर निर्भर है। लगभग 5 एकड़ भूमि पर धान की फसल बोई थी, जो अब पूरी तरह पानी में डूब चुकी है। फसल बर्बाद होने से परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई है। खाने के भी लाले पड़ जाएंगे। प्रशासन से मांग है कि तत्काल मदद और उचित मुआवजा दिया जाए। महोबा में बारिश से बर्बाद फसल देख किसान की सदमे से मौत बुंदेलखंड के महोबा में 2 दिन से लगातार बारिश हो रही है। गुरुवार को बारिश से खेतों में खराब होती फसल को देखकर दिव्यांग किसान की सदमे में मौत हो गई। किसान फसल को देखकर खेत में गिर पड़ा। परिजनों ने छोटेलाल को जिला अस्पताल में भर्ती कराया। जहां उन्होंने दम तोड़ दिया। छोटेलाल की बेटी पूजा की फरवरी में शादी थी। जिसकी तैयारी कर रहे थे। मामला कबरई थाना क्षेत्र के भगत सिंह मोहल्ले का है। 7 बीघा खेत में भरा था पानी
भतीजे रवि चंद्र वर्मा ने बताया- फरवरी में बहन की शादी है। इस साल 7 बीघा खेत में पानी भरे होने से कुछ नहीं बोया था। 16 बीघा बलकट के खेत में अरहर और तिली बोई थी, जो बारिश से बर्बाद हो गई। गुरुवार को खेत से आए पापा ने कहा कि इस साल सब बर्बाद हो गया, क्या होगा। इसके बाद घर से बाहर निकल कर बोले कि मुझे कुछ दिख नहीं रहा। हम लोग उन्हें महोबा जिला अस्पताल ले गए। जहां से डॉक्टर ने झांसी रेफर कर दिया। लेकिन, वहां ले जाने से पहले ही उन्होंने दम तोड़ दिया। बलिया में तीन दिन से लगातार बारिश, पानी में तैरने लगी फसल बलिया में मंगलवार रात से शुरू हुई बारिश शुक्रवार तक होती रही। इस दौरान 16 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही हवाओं ने भीगी धान की फसल को जमीन पर गिरा दिया। खेतों में कटी पड़ी धान की फसलें पानी में डूब गई हैं। जिससे किसानों की चिंता बढ़ गई है। किसान ददन चौहान ने बताया- धान की फसल काटकर खेतों से उठाई भी नहीं थी। बारिश शुरू हो गई। उनका कहना है कि अब उनकी फसल पूरी तरह बर्बाद हो जाएगी। सतीश चौहान ने अपना दर्द बताते हुए कहा- बेमौसम बारिश और तेज हवा के कारण मेरी धान की फसल गिर गई है। मैंने कर्ज लेकर खेती की थी और अब कर्ज चुकाने की चिंता सता रही है। किरन देवी ने बताया- काटकर खेत में रखी गई धान की फसल में पानी भर गया है, अब वह बर्बाद हो जाएगी। 12 हजार रुपए प्रति बीघे के हिसाब से लगान पर खेत लेकर धान की खेती की थी, जिससे दोहरा नुकसान हुआ है। अब बात कौशांबी की… कौशांबी में लगातार दो दिन से हो रही बारिश से धान की खड़ी फसल बर्बाद हो गई है। आलू और सरसों की बुआई भी प्रभावित हो गई है। धान की हजारों बीघा खड़ी फसलें गिर गई हैं। जिसे लेकर किसान चिन्तित हैं। मंझनपुर मुख्यालय स्थित नवीन मंडी ओसा में किसानों का हजारों कुंतल धान भीग गया। जिससे किसानों को भारी नुकसान का डर सता रहा है। किसान बोले- घर क्या लेकर जाएंगे
मंडी में आए किसान बच्चा लाल, बंशी लाल, नोखे लाल, हजारी, विन्देश्वरी प्रसाद ने बताया कि इस बेमौसम बारिश से धान की खड़ी फसलों को नुकसान हो रहा है। अब हम लोग घर क्या लेकर जाएंगे। किसान शिवलाल ने बताया- 150 कुंतल धान पूरी तरह से अंकुरित हो चुका है। धान खरीद के समय अधिकारी इसमें कई तरह की कमियां निकालेंगे। जिससे हमें काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा। किसान हरेंद्र कुमार ने बताया कि मंडी में कुप्रबंधन के कारण उनका 135 कुंतल धान भीग गया है। छह महीने में घर की पाई-पाई लगा दी, लेकिन अब कुछ भी नहीं बचा। सड़ी फसल देखकर मन तो किया कि किसी गाड़ी के सामने आकर मर जाएं। ग्राम पंचायत सुवागड़ा में खेत पर काम कर रहे कालीचरण ने बताया- इस बारिश ने किसानों को बर्बाद कर दिया है। जो धान खेत में कटा पड़ा हुआ था, वह भीग गया है। अगर इसे सुखाया जाएगा तो इसका रंग बदल जाएगा। भीगने की वजह से चावल टूटा हुआ निकलेगा। बाजार में कीमत कम मिलेगी। श्रावस्ती में बढ़ी किसानों की चिंता श्रावस्ती में बीते दो दिनों से रुक-रुककर हुई धीमी बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। खेतों में कटी पड़ी धान की फसल को भारी नुकसान होने की आशंका है। किसानों को फसल सड़ने का डर सता रहा है। कई लेट वैराइटी की धान की फसलें अभी भी खेतों में कटाई के इंतजार में खड़ी थीं। बारिश के कारण ये फसलें भीग गईं और हवा चलने से खेतों में गिर गईं। जिससे इन्हें नुकसान होने की संभावना है। मंगलवार और गुरुवार को धीमी बारिश के कारण खेतों में पानी भर गया है। किसान बोले- अभी भी रुक जाए बारिश तो गनीमत है
किसान सगीर अहमद, अनुज कुमार और राजित राम सहित अन्य किसानों ने बताया कि अगर फिर से बारिश हुई तो उनकी बची-खुची फसल भी बर्बाद हो जाएगी। वे धूप खिलने की उम्मीद कर रहे हैं ताकि कुछ फसल बचाई जा सके। किसान सगीर अहमद ने कहा- मेरी पूरी फसल पानी में डूबकर बर्बाद हो गई है। पहले खाद के लिए परेशानी हुई और अब बारिश ने तैयार फसल को नष्ट कर दिया। अनुज बोले- धान का वजन घटेगा, पैदावार कम होगी
किसान अनुज कुमार मिश्रा ने बताया कि बारिश से खेत में खड़ी फसल के पौधे जमीन पर गिर गए हैं। इससे पैदावार कम होगी और धान का वजन भी घट जाएगा। खेतों में ज्यादा दिन पड़े रहने से धान में अंकुर निकलने का खतरा भी है। सहारा अली बोले- 2 नवंबर को बेटी की शादी कैसे करेंगे
गाजीपुर जिले में पिछले 3 दिन से हो रही लगातार बारिश ने किसानों को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचाया है। खेतों में कटाई के बाद रखी धान की फसल पानी में डूबकर बर्बाद हो गई है। सदर तहसील के चौरी गांव निवासी बटाईदार किसान सहारा अली ने बताया- मेरी पूरी धान की फसल बारिश से खराब हो गई है। बेटी फरीना खातून की 2 नवंबर को बारात आनी है। परिवार ने धान की फसल बेचकर शादी के खर्च पूरे करने की योजना बनाई थी, लेकिन फसल बर्बाद होने से अब शादी की तैयारियों पर संकट छा गया है। फरीना खातून ने बताया कि शादी में सिर्फ दो दिन बचे हैं, और फसल खराब होने के कारण मेहमानों की व्यवस्था तथा अन्य तैयारियों को लेकर उनकी चिंता बढ़ गई है। बलरामपुर में खेतों में बिछी फसल
बलरामपुर में बुधवार की देर रात से शुरू हुई रुक-रुककर बारिश शुक्रवार को भी जारी रही। खेतों में खड़ी धान की फसल गिर गई। जबकि कटाई के बाद खेतों में पड़ी फसल भीगने से खराब होने की कगार पर है। जिले के 3,02,365 किसानों ने लगभग सवा लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की खेती की थी। अब लगातार हो रही बारिश से यह फसल संकट में आ गई है। ओमप्रकाश बोले- घर का गुजारा कैसे होगा
किसान ओमप्रकाश ने बताया कि बारिश से सबसे ज्यादा नुकसान धान की फसल को हुआ है। खेतों में कटी पड़ी फसल लगातार भीग रही है। हवा चलने से खड़ी फसल भी गिर गई है। अगर बारिश यूं ही जारी रही तो फसल सड़ जाएगी। परिवार का पेट पालने के लिए मजदूरी करनी पड़ेगी। जो थोड़ी बहुत फसल बचेगी, उसी से घर का गुजारा होगा। भानु बोले- धान के साथ आलू-सरसों की खेती प्रभावित
किसान भानु का कहना है कि बारिश के कारण न सिर्फ धान की कटाई रुकी है, बल्कि आलू और सरसों की बोआई भी ठप हो गई है। खेत समय से खाली नहीं हो पाए तो गेहूं की बुवाई भी देर से होगी, जिससे नुकसान और बढ़ जाएगा। किसान राजू ने बताया कि सिर्फ दो दिन के खराब मौसम ने फसल पूरी तरह खराब कर दी है। सारी उपज भीग चुकी है। अब तो बस भगवान से यही प्रार्थना है कि मौसम सुधर जाए, ताकि फसल कुछ हद तक बच सके। मिर्जापुर में खेतों में सड़ गया धान मिर्जापुर में लगातार दो दिन से रात के समय हो रही झमाझम बारिश और तेज हवाओं के कारण खेतों में खड़ी फसलें पानी में डूब गई। खेतों में जमा पानी और तेज हवा के झोंको से धान की बालियां गिरकर मिट्टी में मिल गई हैं। कई स्थानों पर तो पूरी की पूरी फसलें खेतों में समा गई हैं। मैनपुरी में कर्ज लेकर किसानों ने लगाया था धान मैनपुरी में पिछले तीन दिनों से हो रही लगातार बारिश ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। खेतों में खड़ी धान की फसल, जो अब कटने को तैयार थी, अचानक हुई बे-मौसम बारिश से पूरी तरह बर्बाद हो गई। कुरावली के ग्राम नानामऊ निवासी किसान अमित ने बताया- फसल को तैयार करने के लिए ब्याज पर कर्ज लिया था, दिन-रात मेहनत की थी, लेकिन प्रकृति की मार ने सबकुछ छीन लिया। पांच बीघा फसल पानी में डूबकर सड़ गई। एक तरफ सूदखोरों का कर्ज लौटाने की चिंता सता रही है और दूसरी ओर अपने परिवार के भरण-पोषण का संकट है। लखीमपुर खीरी में धान की फसल बिछी
लखीमपुर खीरी में ग्राम पंचायत सुवागड़ा में खेत पर काम कर रहे कालीचरण ने बताया- इस बरसात में किसानों को बर्बाद कर दिया। जो धान खेत में कटा पड़ा हुआ था, उसकी बालियां भीग गई हैं। सूखने के बाद उठाया जाएगा, तब तक उसका रंग बदल जाएगा और बाजार में कीमत कम मिलेगी। अब न धान की लागत निकलेगी और न चावल बेचकर कोई मुनाफा होगा। फतेहपुर में धान के साथ दलहन की फसल प्रभावित फतेहपुर के किसान सूरजपाल, धर्मपाल, दिनेश गुप्ता, गुड्डी देवी, अनिल गौतम, वीरेंद्र यादव,रमेश प्रसाद और रसीद ने बताया कि उनकी कटी हुई फसलें खेतों में पड़ी हैं। लगातार बारिश से धान की बालियां काली पड़ सकती हैं, जिससे फसल खराब होने की आशंका है। बारिश का असर फूलगोभी, मिर्च और बैंगन की खेती पर भी पड़ा है। बारिश के कारण फूलगोभी का रंग बदल सकता है। इसके अतिरिक्त, चना, लाही, मटर और आलू जैसी रबी फसलों की बुवाई पर भी संकट मंडरा रहा है। खेतों में पानी जमा होने से बीजों के सड़ने का खतरा बढ़ गया है, जिससे आगामी फसल चक्र भी प्रभावित हो सकता है। बलिया के जिला कृषि अधिकारी पवन कुमार प्रजापति ने बताया- जिले में करीब 80 हजार हेक्टेयर में धान की फसल किसानों द्वारा लगाई गयी। लेकिन लगातार बारिश की वजह से करीब 10 प्रतिशत फसल यानि करीब आठ हजार हेक्टेयर धान की फसल, जो बारिश की वजह से गिर गयी है। खराब होने की संभावना है। ———————————– इनपुट: बाराबंकी से सरफराज वारसी, श्रावस्ती से पंकज, बलिया से पुष्पेंद्र, मिर्जापुर से नितिन, चित्रकूट से जितेंद्र, कौशांबी से पंकज, बलरामपुर से सुजीत, लखीमपुर खीरी से गोपाल गिरी, मैनपुरी से अभिषेक, महोबा से इरफान पठान, गाजीपुर से शशिकांत, फतेहपुर से रामचंद्र सैनी… ये भी पढ़ें: उपराष्ट्रपति बोले- गंगा स्नान करके मैंने मांस खाना छोड़ दिया:धर्म को कुछ समय के लिए ही संकट; काशी में बाबा विश्वनाथ का अभिषेक किया देश के उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन शुक्रवार को पहली बार वाराणसी पहुंचे। उन्होंने नाटकोटक्षेत्रम की नट्टुकोट्टई धर्मशाला का तोहफा काशी के लोगों को दिया। ये धर्मशाला सिगरा में बनकर तैयार हुई है। इस दौरान उन्होंने कहा- मैं 25 साल पहले काशी आया था, वो शायद साल 2000 था, तब मैं मांस खाता था, यहां गंगा मइया में स्नान करने करने के बाद मन के भाव ऐसे बदले कि मैं शाकाहारी बन गया, फिर कभी मांस को हाथ नहीं लगाया। (पढ़ें पूरी खबर)
बाराबंकी में लगातार 4 दिन से रुक रुककर हो रही बारिश से धान की फसलें पूरी तरह चौपट हो गई हैं। खेतों में पानी भरने के कारण खड़ी फसलें डूब गई हैं, जिससे किसानों के सामने गहरा आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। खेतों में बड़े पैमाने पर जलभराव हो गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 70 प्रतिशत खड़ी धान की फसल पानी भरने से सड़ गई। इस बारिश ने न केवल किसानों की मेहनत पर पानी फेरा, बल्कि अगली फसल की तैयारी को लेकर भी संकट खड़ा कर दिया है। जिले में करीब 600 बीघा धान की फसल बर्बाद हो गई है। सियाराम बोले- 5 एकड़ फसल डूबकर सड़ गई
खेत में मायूस खड़े किसान सियाराम ने बताया- मेरा परिवार पूरी तरह खेती पर निर्भर है। लगभग 5 एकड़ भूमि पर धान की फसल बोई थी, जो अब पूरी तरह पानी में डूब चुकी है। फसल बर्बाद होने से परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई है। खाने के भी लाले पड़ जाएंगे। प्रशासन से मांग है कि तत्काल मदद और उचित मुआवजा दिया जाए। महोबा में बारिश से बर्बाद फसल देख किसान की सदमे से मौत बुंदेलखंड के महोबा में 2 दिन से लगातार बारिश हो रही है। गुरुवार को बारिश से खेतों में खराब होती फसल को देखकर दिव्यांग किसान की सदमे में मौत हो गई। किसान फसल को देखकर खेत में गिर पड़ा। परिजनों ने छोटेलाल को जिला अस्पताल में भर्ती कराया। जहां उन्होंने दम तोड़ दिया। छोटेलाल की बेटी पूजा की फरवरी में शादी थी। जिसकी तैयारी कर रहे थे। मामला कबरई थाना क्षेत्र के भगत सिंह मोहल्ले का है। 7 बीघा खेत में भरा था पानी
भतीजे रवि चंद्र वर्मा ने बताया- फरवरी में बहन की शादी है। इस साल 7 बीघा खेत में पानी भरे होने से कुछ नहीं बोया था। 16 बीघा बलकट के खेत में अरहर और तिली बोई थी, जो बारिश से बर्बाद हो गई। गुरुवार को खेत से आए पापा ने कहा कि इस साल सब बर्बाद हो गया, क्या होगा। इसके बाद घर से बाहर निकल कर बोले कि मुझे कुछ दिख नहीं रहा। हम लोग उन्हें महोबा जिला अस्पताल ले गए। जहां से डॉक्टर ने झांसी रेफर कर दिया। लेकिन, वहां ले जाने से पहले ही उन्होंने दम तोड़ दिया। बलिया में तीन दिन से लगातार बारिश, पानी में तैरने लगी फसल बलिया में मंगलवार रात से शुरू हुई बारिश शुक्रवार तक होती रही। इस दौरान 16 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही हवाओं ने भीगी धान की फसल को जमीन पर गिरा दिया। खेतों में कटी पड़ी धान की फसलें पानी में डूब गई हैं। जिससे किसानों की चिंता बढ़ गई है। किसान ददन चौहान ने बताया- धान की फसल काटकर खेतों से उठाई भी नहीं थी। बारिश शुरू हो गई। उनका कहना है कि अब उनकी फसल पूरी तरह बर्बाद हो जाएगी। सतीश चौहान ने अपना दर्द बताते हुए कहा- बेमौसम बारिश और तेज हवा के कारण मेरी धान की फसल गिर गई है। मैंने कर्ज लेकर खेती की थी और अब कर्ज चुकाने की चिंता सता रही है। किरन देवी ने बताया- काटकर खेत में रखी गई धान की फसल में पानी भर गया है, अब वह बर्बाद हो जाएगी। 12 हजार रुपए प्रति बीघे के हिसाब से लगान पर खेत लेकर धान की खेती की थी, जिससे दोहरा नुकसान हुआ है। अब बात कौशांबी की… कौशांबी में लगातार दो दिन से हो रही बारिश से धान की खड़ी फसल बर्बाद हो गई है। आलू और सरसों की बुआई भी प्रभावित हो गई है। धान की हजारों बीघा खड़ी फसलें गिर गई हैं। जिसे लेकर किसान चिन्तित हैं। मंझनपुर मुख्यालय स्थित नवीन मंडी ओसा में किसानों का हजारों कुंतल धान भीग गया। जिससे किसानों को भारी नुकसान का डर सता रहा है। किसान बोले- घर क्या लेकर जाएंगे
मंडी में आए किसान बच्चा लाल, बंशी लाल, नोखे लाल, हजारी, विन्देश्वरी प्रसाद ने बताया कि इस बेमौसम बारिश से धान की खड़ी फसलों को नुकसान हो रहा है। अब हम लोग घर क्या लेकर जाएंगे। किसान शिवलाल ने बताया- 150 कुंतल धान पूरी तरह से अंकुरित हो चुका है। धान खरीद के समय अधिकारी इसमें कई तरह की कमियां निकालेंगे। जिससे हमें काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा। किसान हरेंद्र कुमार ने बताया कि मंडी में कुप्रबंधन के कारण उनका 135 कुंतल धान भीग गया है। छह महीने में घर की पाई-पाई लगा दी, लेकिन अब कुछ भी नहीं बचा। सड़ी फसल देखकर मन तो किया कि किसी गाड़ी के सामने आकर मर जाएं। ग्राम पंचायत सुवागड़ा में खेत पर काम कर रहे कालीचरण ने बताया- इस बारिश ने किसानों को बर्बाद कर दिया है। जो धान खेत में कटा पड़ा हुआ था, वह भीग गया है। अगर इसे सुखाया जाएगा तो इसका रंग बदल जाएगा। भीगने की वजह से चावल टूटा हुआ निकलेगा। बाजार में कीमत कम मिलेगी। श्रावस्ती में बढ़ी किसानों की चिंता श्रावस्ती में बीते दो दिनों से रुक-रुककर हुई धीमी बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। खेतों में कटी पड़ी धान की फसल को भारी नुकसान होने की आशंका है। किसानों को फसल सड़ने का डर सता रहा है। कई लेट वैराइटी की धान की फसलें अभी भी खेतों में कटाई के इंतजार में खड़ी थीं। बारिश के कारण ये फसलें भीग गईं और हवा चलने से खेतों में गिर गईं। जिससे इन्हें नुकसान होने की संभावना है। मंगलवार और गुरुवार को धीमी बारिश के कारण खेतों में पानी भर गया है। किसान बोले- अभी भी रुक जाए बारिश तो गनीमत है
किसान सगीर अहमद, अनुज कुमार और राजित राम सहित अन्य किसानों ने बताया कि अगर फिर से बारिश हुई तो उनकी बची-खुची फसल भी बर्बाद हो जाएगी। वे धूप खिलने की उम्मीद कर रहे हैं ताकि कुछ फसल बचाई जा सके। किसान सगीर अहमद ने कहा- मेरी पूरी फसल पानी में डूबकर बर्बाद हो गई है। पहले खाद के लिए परेशानी हुई और अब बारिश ने तैयार फसल को नष्ट कर दिया। अनुज बोले- धान का वजन घटेगा, पैदावार कम होगी
किसान अनुज कुमार मिश्रा ने बताया कि बारिश से खेत में खड़ी फसल के पौधे जमीन पर गिर गए हैं। इससे पैदावार कम होगी और धान का वजन भी घट जाएगा। खेतों में ज्यादा दिन पड़े रहने से धान में अंकुर निकलने का खतरा भी है। सहारा अली बोले- 2 नवंबर को बेटी की शादी कैसे करेंगे
गाजीपुर जिले में पिछले 3 दिन से हो रही लगातार बारिश ने किसानों को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचाया है। खेतों में कटाई के बाद रखी धान की फसल पानी में डूबकर बर्बाद हो गई है। सदर तहसील के चौरी गांव निवासी बटाईदार किसान सहारा अली ने बताया- मेरी पूरी धान की फसल बारिश से खराब हो गई है। बेटी फरीना खातून की 2 नवंबर को बारात आनी है। परिवार ने धान की फसल बेचकर शादी के खर्च पूरे करने की योजना बनाई थी, लेकिन फसल बर्बाद होने से अब शादी की तैयारियों पर संकट छा गया है। फरीना खातून ने बताया कि शादी में सिर्फ दो दिन बचे हैं, और फसल खराब होने के कारण मेहमानों की व्यवस्था तथा अन्य तैयारियों को लेकर उनकी चिंता बढ़ गई है। बलरामपुर में खेतों में बिछी फसल
बलरामपुर में बुधवार की देर रात से शुरू हुई रुक-रुककर बारिश शुक्रवार को भी जारी रही। खेतों में खड़ी धान की फसल गिर गई। जबकि कटाई के बाद खेतों में पड़ी फसल भीगने से खराब होने की कगार पर है। जिले के 3,02,365 किसानों ने लगभग सवा लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की खेती की थी। अब लगातार हो रही बारिश से यह फसल संकट में आ गई है। ओमप्रकाश बोले- घर का गुजारा कैसे होगा
किसान ओमप्रकाश ने बताया कि बारिश से सबसे ज्यादा नुकसान धान की फसल को हुआ है। खेतों में कटी पड़ी फसल लगातार भीग रही है। हवा चलने से खड़ी फसल भी गिर गई है। अगर बारिश यूं ही जारी रही तो फसल सड़ जाएगी। परिवार का पेट पालने के लिए मजदूरी करनी पड़ेगी। जो थोड़ी बहुत फसल बचेगी, उसी से घर का गुजारा होगा। भानु बोले- धान के साथ आलू-सरसों की खेती प्रभावित
किसान भानु का कहना है कि बारिश के कारण न सिर्फ धान की कटाई रुकी है, बल्कि आलू और सरसों की बोआई भी ठप हो गई है। खेत समय से खाली नहीं हो पाए तो गेहूं की बुवाई भी देर से होगी, जिससे नुकसान और बढ़ जाएगा। किसान राजू ने बताया कि सिर्फ दो दिन के खराब मौसम ने फसल पूरी तरह खराब कर दी है। सारी उपज भीग चुकी है। अब तो बस भगवान से यही प्रार्थना है कि मौसम सुधर जाए, ताकि फसल कुछ हद तक बच सके। मिर्जापुर में खेतों में सड़ गया धान मिर्जापुर में लगातार दो दिन से रात के समय हो रही झमाझम बारिश और तेज हवाओं के कारण खेतों में खड़ी फसलें पानी में डूब गई। खेतों में जमा पानी और तेज हवा के झोंको से धान की बालियां गिरकर मिट्टी में मिल गई हैं। कई स्थानों पर तो पूरी की पूरी फसलें खेतों में समा गई हैं। मैनपुरी में कर्ज लेकर किसानों ने लगाया था धान मैनपुरी में पिछले तीन दिनों से हो रही लगातार बारिश ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। खेतों में खड़ी धान की फसल, जो अब कटने को तैयार थी, अचानक हुई बे-मौसम बारिश से पूरी तरह बर्बाद हो गई। कुरावली के ग्राम नानामऊ निवासी किसान अमित ने बताया- फसल को तैयार करने के लिए ब्याज पर कर्ज लिया था, दिन-रात मेहनत की थी, लेकिन प्रकृति की मार ने सबकुछ छीन लिया। पांच बीघा फसल पानी में डूबकर सड़ गई। एक तरफ सूदखोरों का कर्ज लौटाने की चिंता सता रही है और दूसरी ओर अपने परिवार के भरण-पोषण का संकट है। लखीमपुर खीरी में धान की फसल बिछी
लखीमपुर खीरी में ग्राम पंचायत सुवागड़ा में खेत पर काम कर रहे कालीचरण ने बताया- इस बरसात में किसानों को बर्बाद कर दिया। जो धान खेत में कटा पड़ा हुआ था, उसकी बालियां भीग गई हैं। सूखने के बाद उठाया जाएगा, तब तक उसका रंग बदल जाएगा और बाजार में कीमत कम मिलेगी। अब न धान की लागत निकलेगी और न चावल बेचकर कोई मुनाफा होगा। फतेहपुर में धान के साथ दलहन की फसल प्रभावित फतेहपुर के किसान सूरजपाल, धर्मपाल, दिनेश गुप्ता, गुड्डी देवी, अनिल गौतम, वीरेंद्र यादव,रमेश प्रसाद और रसीद ने बताया कि उनकी कटी हुई फसलें खेतों में पड़ी हैं। लगातार बारिश से धान की बालियां काली पड़ सकती हैं, जिससे फसल खराब होने की आशंका है। बारिश का असर फूलगोभी, मिर्च और बैंगन की खेती पर भी पड़ा है। बारिश के कारण फूलगोभी का रंग बदल सकता है। इसके अतिरिक्त, चना, लाही, मटर और आलू जैसी रबी फसलों की बुवाई पर भी संकट मंडरा रहा है। खेतों में पानी जमा होने से बीजों के सड़ने का खतरा बढ़ गया है, जिससे आगामी फसल चक्र भी प्रभावित हो सकता है। बलिया के जिला कृषि अधिकारी पवन कुमार प्रजापति ने बताया- जिले में करीब 80 हजार हेक्टेयर में धान की फसल किसानों द्वारा लगाई गयी। लेकिन लगातार बारिश की वजह से करीब 10 प्रतिशत फसल यानि करीब आठ हजार हेक्टेयर धान की फसल, जो बारिश की वजह से गिर गयी है। खराब होने की संभावना है। ———————————– इनपुट: बाराबंकी से सरफराज वारसी, श्रावस्ती से पंकज, बलिया से पुष्पेंद्र, मिर्जापुर से नितिन, चित्रकूट से जितेंद्र, कौशांबी से पंकज, बलरामपुर से सुजीत, लखीमपुर खीरी से गोपाल गिरी, मैनपुरी से अभिषेक, महोबा से इरफान पठान, गाजीपुर से शशिकांत, फतेहपुर से रामचंद्र सैनी… ये भी पढ़ें: उपराष्ट्रपति बोले- गंगा स्नान करके मैंने मांस खाना छोड़ दिया:धर्म को कुछ समय के लिए ही संकट; काशी में बाबा विश्वनाथ का अभिषेक किया देश के उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन शुक्रवार को पहली बार वाराणसी पहुंचे। उन्होंने नाटकोटक्षेत्रम की नट्टुकोट्टई धर्मशाला का तोहफा काशी के लोगों को दिया। ये धर्मशाला सिगरा में बनकर तैयार हुई है। इस दौरान उन्होंने कहा- मैं 25 साल पहले काशी आया था, वो शायद साल 2000 था, तब मैं मांस खाता था, यहां गंगा मइया में स्नान करने करने के बाद मन के भाव ऐसे बदले कि मैं शाकाहारी बन गया, फिर कभी मांस को हाथ नहीं लगाया। (पढ़ें पूरी खबर)